जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव का माहौल है। दोनों देश युद्ध की कगार पर आ खड़े हुए हैं। भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई बड़े एक्शन लिए हैं।

इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूरोप समेत पूरी दुनिया को एक सीधा और साफ संदेश दिया है। विदेश मंत्री ने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत सहयोगियों की तलाश में है। हमें सहयोगी चाहिए केवल उपदेश देने वाले लोग नहीं चाहिए। उन्होंने कहा ऐसे लोगों की कोई आवश्यकता नहीं है जिनके कहने और करने में फर्क हो।
यूरोप पर क्यों भड़के विदेश मंत्री?
- विदेश मंत्री एस जयंशकर ने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत ऐसे देशों के साथ काम करना चाहता है जो आपसी सम्मान और समझ दिखाएं। विदेश मंत्री ने यूरोप पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ यूरोपीय देश अभी भी अपने मूल्यों और कार्यों के बीच के अंतर से जूझ रहे हैं।
- जयशंकर ने कहा कि मुझे लगता है कि आज के अमेरिका के साथ जुड़ने का सबसे अच्छा तरीका हितों की पारस्परिकता खोजना है, न कि वैचारिक मतभेदों को सामने रखना और फिर इसे साथ मिलकर काम करने की संभावनाओं को धुंधला होने देना।
- यूरोप से भारत की अपेक्षाओं के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि उसे उपदेश देने से आगे बढ़कर पारस्परिकता के ढांचे के आधार पर काम करना शुरू करना होगा। उन्होंने कहा, “जब हम दुनिया को देखते हैं, तो हम भागीदारों की तलाश करते हैं; हम उपदेशकों की तलाश नहीं करते, खासकर ऐसे उपदेशकों की जो घर पर अभ्यास नहीं करते और विदेश में उपदेश देते हैं।”
- विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि मुझे लगता है कि यूरोप का कुछ हिस्सा अभी भी उस समस्या से जूझ रहा है। इसमें कुछ बदलाव आया है।” उन्होंने कहा कि यूरोप “वास्तविकता की जांच के एक निश्चित क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है।” उन्होंने कहा, “अब वे इस पर कदम उठा पाते हैं या नहीं, यह कुछ ऐसा है जिसे हमें देखना होगा
भारत और रूस के संबंधों पर क्या बोले विदेश मंत्री?
उधर, भारत और रूस के संबंधों के एक सवाल पर उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संसाधन प्रदाता और संसाधन उपभोक्ता के रूप में “महत्वपूर्ण तालमेल और पूरकता” है। जहां तक रूस का सवाल है, हमने हमेशा यह दृष्टिकोण अपनाया है कि एक रूसी यथार्थवाद है जिसकी हमने वकालत की है।