ACN18.COM कोरबा / राष्ट्रीय पक्षी मोर आमतौर पर जंगल या फिर चिड़ियाघरों में देखने को मिलता है। मगर कोरबा जिले के एक गांव में मोर इत्मीनान से टहलता नजर आता है। उसके साथ ग्रामीणों की गहरी दोस्ती हो गई है। सालो पहले मोर गांव पहुंचा और कभी वापस नहीं लौटा।
ये तस्वीर कोरबा जिला मुख्यालय से करीब 52 किलोमीटर दूर स्थित लेमरू गांव की है। पहाड़ी और घने जंगल से घिरे लेमरू गांव की खूबसूरती को राष्ट्रीय पक्षी मोर ने और बढ़ा दिया है। करीब 7 साल पहले घने जंगल में भटककर ये मोर रिहायशी इलाके में पहुंच गया। उस वक्त ये काफी छोटा था। ग्रामीणों ने इसे नुकसान नहीं पहुंचाया बल्कि इसके दानापानी की व्यवस्था कर दी गई। लोगो के इस व्यवहार को देखकर ये मोर यही का ही होकर रह गया। तब से ये खूबसूरत मोर गांव की सोभा बढ़ा रहा है।
मोर गांव की गलियों में इत्मीनान से घूमता है। जब भूख लगती है तो गांव के बीच स्थित होटल पहुंच जाता है। होटल व्यवसाई भी इसका इशारा समझ जाता है। भर पेट दाना चुगने के बाद मोर गांव की सैर पर निकल पड़ता है। सुबह और शाम के वक्त बीच चौराहे पर जब अपने पंख को फैलाकर झूमता है उस दौरान इसे देखने के लिए भीड़ लग जाती है।
मोर की मौजूदगी के कारण ये लेमरू सुर्खियों में है। खूबसूरत मोर को करीब से देखने के लिए दूर–दूर से लोग आते है। गांव के लोग इसका पूरा ख्याल रखते है। अब ये मोर ग्रामीणों के परिवार के सदस्य की तरह रहता है। वन विभाग द्वारा भी राष्ट्रीय पक्षी मोर की सुरक्षा का ध्यान रखा जाता है।