जहां नक्सली सीखते थे हथियार चलाना, वहां होगी वोटिंग:2 राज्यों की सीमा पर खुलेगा पोलिंग बूथ, पहली बार अपने गांव में वोट डालेंगे मतदाता

Acn18.com/छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर पर बस्तर जिले का अंतिम गांव चांदामेटा है। तुलसी डोंगरी की तराई पर बसे इस गांव को नक्सलियों का किला के नाम से जाना जाता था। यहां नक्सलियों का ट्रेनिंग सेंटर था। इस गांव में नक्सलियों की हुकूमत चलती थी, इसलिए गांव में आज तक किसी भी चुनाव में वोटिंग नहीं हुई है।

लेकिन, इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में गांव की तस्वीर बदलेगी। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद पहला मौका होगा कि, गांव में ही मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र के इस गांव के लगभग 337 मतदाता बेखौफ होकर वोट डालेंगे। उंगली में अमिट स्याही लगाएंगे। चुनाव के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होंगे।

दरअसल, बस्तर के संभागीय मुख्यालय जगदलपुर से महज 60 से 70 किमी की दूरी पर चांदामेटा गांव बसा है। जगदलपुर से कोलेंग और चिंगुर होते हुए चांदामेटा पहुंचा जाता है। यह गांव घने जंगल और पहाड़ी से घिरा हुआ है। इस गांव में कुल 4 मोहल्ला है। ऐसा बताया जाता है कि, कोलेंग को नक्सलियों की राजधानी और चांदामेटा को नक्सलियों का किला कहा जाता था।

यहां स्थित तुलसी डोंगरी में नक्सलियों का ट्रेनिंग सेंटर हुआ करता था। नक्सली अपने लाल लड़ाकों को हथियार चलाना, मुठभेड़ में कामयाबी हासिल करने के पैतरें सिखाते थे।

हार्डकोर नक्सली को मार गिराया गया
कुछ साल पहले नक्सलियों के इस गढ़ में फोर्स का कैंप स्थापित हुआ। फिर इस पूरे इलाके को जवानों ने अपने कब्जे में ले लिया। इस क्षेत्र में सक्रिय हार्डकोर नक्सली सोनाधर को जवानों ने खदेड़ दिया था। वहीं पहाड़ी के पीछे ओडिशा पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया। दूसरा नक्सली संजीव इलाके को छोड़कर चला गया है। जिसके बाद से यह क्षेत्र थोड़ा शांत हुआ है।

जवानों ने नक्सलियों के ट्रेनिंग सेंटर को भी ध्वस्त कर दिया और उसी के नजदीक अपना कैंप स्थापित कर दिया था। अब जब धीरे-धीरे गांव के हालात सुधरे तो प्रशासन इस गांव में ही वोटिंग करवाने की तैयारी कर रहा है।

हर घर से एक व्यक्ति नक्सल केस में गया है जेल
दावा किया जाता है कि, कुछ साल पहले तक नक्सली इस गांव के हर एक व्यक्ति को अपने संगठन में शामिल किए थे। कइयों की गिरफ्तारी भी हुई। गांव में हर घर से एक व्यक्ति नक्सल केस में जेल जा चुका है। पटेलपारा के कई घर ऐसे हैं जहां एक ही परिवार के 2-2 सदस्य नक्सल मामले में जेल गए हैं।

हालांकि, अब इस गांव में थोड़ी शांति है। अब नक्सलियों का साथ देने की बजाए लोग विकास के पक्षधर हो गए हैं। कुछ गांव वालों ने बताया कि, पहले नक्सलियों का समर्थन करना उनकी मजबूरी थी।लेकिन, अब स्कूल, अस्पताल, सड़क, पुल-पुलिया की आवश्यकता है।

पहली बार मनाया गया आजादी का जश्न
चांदामेटा गांव में जवानों का कैंप खुलने के बाद साल 2022 में पहली बार आजादी का जश्न मनाया गया था। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद पहली बार 15 अगस्त को जवानों संग ग्रामीणों ने तिरंगा फहराया था। इससे पहले इस इलाके में नक्सली 15 अगस्त और 26 जनवरी को काला झंडा फहराते थे।

दरभा डिवीजन के नक्सलियों की थी हुकूमत
इस पूरे इलाके में दरभा डिवीजन के नक्सलियों की हुकूमत चलती थी। खूंखार नक्सली सोनाधर बड़े लीडरों में से एक था। उसके एनकाउंटर के बाद से नक्सल दहशत कम हुई है। लेकिन, अब भी दरभा डिवीजन के 4 से 5 इनामी नक्सलियों की मौजूदगी उस इलाके में है।

कलेक्टर बोले- लोगों ने भी की थी मांग
बस्तर जिले के कलेक्टर विजय दयाराम के. ने बताया कि, चांदामेटा में सुरक्षाबलों का कैंप खुलने के बाद विकास काम भी हो रहे हैं। स्कूल भी खुली है। वहां के लोगों की भी मांग थी कि, अब वोटिंग उसी गांव में हो। इसलिए सुरक्षा व्यवस्था के बीच इस चुनाव उसी गांव में वोटिंग कराने का निर्णय लिया गया है।