ACN18.COM रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा को नई दिशा और गति देने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं. इन प्रयासों के परिणामस्वरूप बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर और कांकेर जैसे दुर्गम इलाकों में शिक्षा की अलख जग रही है. जहां कभी भय और असुरक्षा के कारण बच्चे स्कूल जाने से कतराते थे, वहीं अब वे पूरी लगन से पढ़ाई कर रहे हैं. राज्य सरकार की नीतियों और समर्पित प्रयासों के चलते कई गांवों में स्कूलों को पुनः स्थापित किया गया है, नए शिक्षण संस्थान खोले गए हैं और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा दिया गया है.

नक्सली हिंसा के कारण प्रभावित शिक्षा व्यवस्था
नक्सल प्रभावित इलाकों में पिछले कुछ दशकों में शैक्षिक ढांचे को गंभीर क्षति पहुंची थी.. कई स्कूलों को नक्सलियों ने उड़ा दिया था, शिक्षक भय के कारण स्कूलों में नहीं जा पा रहे थे और माता-पिता भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने से डरते थे, लेकिन मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई में सरकार ने इन चुनौतियों को पार करने का संकल्प लिया और इन इलाकों में शिक्षा के पुनरुद्धार के लिए व्यापक कदम उठाए. छत्तीसगढ़ के बस्तर, सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर और नारायणपुर जैसे कई जिले जो लंबे समय से नक्सली हिंसा से प्रभावित रहे हैं. उन इलाकों में सड़क निर्माण, स्वास्थ्य सेवाएँ और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएँ प्रभावित होती रही हैं. ऐसे क्षेत्रों के परीक्षा केंद्रों तक गोपनीय परीक्षा सामग्री की सुरक्षित आपूर्ति हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही है.. मजबूरी के चलते इन क्षेत्रों में परीक्षा सामग्री पहुंचाने के लिए हवाई मार्ग का सहारा लिया जाता था, या फिर इसे भारी सुरक्षा व्यवस्था के साथ भेजा जाता था, लेकिन इस बार, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने सुरक्षा नीति में महत्वपूर्ण सुधार करते हुए सड़क मार्ग से ही परीक्षा सामग्री पहुंचाने का काम सफलतापूर्वक कर दिखाया है.
सरकार की रणनीति और उसका सफल क्रियान्वयन
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रदेश की सरकार ने नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास कार्यों को गति दी है. सड़क निर्माण और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के कारण अब इन क्षेत्रों में प्रशासनिक गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित किया जा रहा है. इसका असर यह हुआ कि लगातार नक्सली गतिविधियों में गिरावट और शिक्षा का प्रसार दिखाई देने लगा है. छत्तीसगढ़ की साय सरकार के प्रयासों से नक्सली प्रभाव वाले क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है. भय मुक्त अब बच्चे अधिक संख्या में स्कूल जाने लगे हैं और शिक्षा की ओर उनका झुकाव बढ़ने लगा है. नक्सलियों द्वारा शिक्षा विरोधी मानसिकता फैलाने की कोशिशों के बावजूद सरकार ने इन इलाकों में स्कूलों को पुनः संचालित करने में सफलता पा ली है.
पढ़े बस्तर, बढ़े बस्तर” अभियान की सफलता
राज्य सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा को मजबूत करने के लिए “पढ़े बस्तर, बढ़े बस्तर” अभियान की शुरुआत की. इस अभियान के तहत –
बंद पड़े स्कूलों को फिर से खोला गया.
ग्रामीण और आदिवासी बच्चों को निःशुल्क शिक्षा सामग्री दी गई.
शिक्षकों की नियुक्ति की गई और उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया गया.
छात्रावास और आश्रम शालाओं की संख्या बढ़ाई गई, ताकि दूरदराज के बच्चे भी शिक्षा से वंचित न रहें.
मोबाइल शिक्षा इकाइयों की शुरुआत की गई, जिससे उन इलाकों में भी पढ़ाई संभव हो सकी, जहां स्थायी स्कूल खोलना मुश्किल था.
डिजिटल और आधुनिक शिक्षा का प्रसार
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने शिक्षा को आधुनिक बनाने के लिए डिजिटल सुविधाओं पर विशेष जोर दिया है. स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम, ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म, और मोबाइल शिक्षा वैन की सुविधा दी गई. इसके अलावा, ‘ई-लाइब्रेरी’ और ‘ई-शिक्षा’ प्रोजेक्ट के तहत छात्रों को ऑनलाइन अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है..इस पहल का सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि वे छात्र, जो पहले केवल पारंपरिक पढ़ाई पर निर्भर थे, अब डिजिटल दुनिया से भी सीखने लगे हैं. इससे शिक्षा प्रणाली अधिक समावेशी और प्रभावी बन गई है.
शिक्षकों की बहाली और प्रशिक्षण कार्यक्रम
नक्सल प्रभावित इलाकों में शिक्षकों की भारी कमी थी, जिसे दूर करने के लिए सरकार ने बड़े पैमाने पर शिक्षकों की भर्ती की. “गुरुजी आपके द्वार” कार्यक्रम के तहत स्थानीय युवाओं को शिक्षक के रूप में प्रशिक्षित कर स्कूलों में नियुक्त किया गया. सरकार ने विशेष रूप से आदिवासी शिक्षकों की भर्ती को प्राथमिकता दी, ताकि भाषा और संस्कृति की बाधाएं कम हो सकें. इसके अलावा, नियमित रूप से शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे वे नई तकनीकों और शिक्षण पद्धतियों को सीख सकें.
शिक्षा को सुरक्षित बनाने के लिए उठाए गए कदम
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्कूलों और शिक्षकों की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती थी.इसे देखते हुए सरकार ने –
स्कूलों की सुरक्षा के लिए विशेष बलों की तैनाती की.
शिक्षकों के लिए सुरक्षित यात्रा की सुविधा दी.
छात्रावासों और स्कूल परिसरों को सुरक्षात्मक ढांचे में बदला.
स्थानीय समुदायों की भागीदारी बढ़ाई, जिससे शिक्षा व्यवस्था पर सामुदायिक पहरा हो.
लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान
छत्तीसगढ़ सरकार ने लड़कियों की शिक्षा को भी प्राथमिकता दी है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने “बालिका शिक्षा प्रोत्साहन योजना” लागू की, जिसके तहत –
छात्राओं को निःशुल्क साइकिल दी गई, ताकि वे आसानी से स्कूल जा सकें.
कन्या छात्रवृत्ति योजना का विस्तार किया गया.
ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से लड़कियों के लिए आवासीय विद्यालय खोले गए.
इसका परिणाम यह हुआ कि नक्सल प्रभावित इलाकों में लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर में भारी कमी आई है, और अब वे उच्च शिक्षा की ओर बढ़ रही हैं.
परिणाम: नक्सल प्रभावित इलाकों में शिक्षा का उजाला
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में उठाए गए इन कदमों के सकारात्मक नतीजे सामने आ रहे हैं.
बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर जैसे जिलों में स्कूलों में नामांकन दर में 60% तक की वृद्धि हुई है.
हाई स्कूल और कॉलेजों में छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
डिजिटल शिक्षा अपनाने वाले छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
स्थानीय युवाओं को शिक्षण कार्य से जोड़कर रोजगार के अवसर भी सृजित किए गए हैं.
राज्य सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा की सुविधाओं को और बेहतर बनाया जाए, जिससे हर बच्चा एक उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ सके. इस बार नक्सली इलाकों में पहली बार बोर्ड परीक्षाओं की गोपनीय सामग्री सुरक्षित रूप से सफलता पूर्वक सड़क मार्ग के माध्यम से पहुंचाई गई. निश्चित रूप से यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, क्योंकि इससे पहले इन क्षेत्रों में परीक्षा सामग्री व अन्य शैक्षणिक संसाधनों की आपूर्ति हेलीकॉप्टर या विशेष सुरक्षा बलों की निगरानी में हुआ करती थी. इस परिवर्तन ने यह साबित कर दिया कि सरकार की नीतियां कारगर हो रही हैं और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था की स्थिति में बहुत तेज़ी से सुधार आया है. छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन का असर राज्य के कोने-कोने में दिखाई दे रहा है.
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन में छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में शिक्षा का उजाला तेजी से फैल रहा है. जहां पहले बंदूकें थीं, वहां अब किताबें हैं. जहां डर का माहौल था, वहां अब ज्ञान की रोशनी पहुंच रही है. सरकार की यह पहल न केवल नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने में मदद कर रही है, बल्कि समाज को एक सशक्त और आत्मनिर्भर भविष्य की ओर भी ले जा रही है.