छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने महारानी वीरांगना अवंती बाई लोधी जी की पुण्यतिथि ( बलिदान दिवस ) पर उनकी वीरता को याद करते हुए दी श्रद्धांजलि। डॉ महंत ने कहा, मध्यभारत की क्रांति की प्रमुख, वीरांगना अवंतीबाई जी बाल्यकाल से ही बड़ी वीर और साहसी थी। अंग्रेजों की गुलामी और उनके क्रूर अत्याचारों से देश को मुक्त करना चाहती थी। रानी ने अपनी ओर से क्रांति का संदेश देने के लिए अपने आसपास के सभी राजाओं और प्रमुख जमींदारों को चिट्ठी के साथ कांच की चूड़ियां भिजवाईं। उस चिट्ठी में लिखा था – ‘देश की रक्षा करने के लिए या तो कमर कसो या चूड़ी पहनकर घर में बैठो। तुम्हें धर्म-ईमान की सौगंध, जो इस कागज का सही पता बैरी को दो।’ सभी देशभक्त राजाओं और जमींदारों ने रानी के साहस और शौर्य की बड़ी सराहना की और उनकी योजनानुसार अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का झंडा खड़ा कर दिया। विस् अध्यक्ष डॉ महंत ने कहा कि, नि:संदेह वीरांगना अवंतीबाई जी का व्यक्तिगत जीवन जितना पवित्र, संघर्षशील तथा निष्कलंक था, उनकी मृत्यु (बलिदान) भी उतनी ही वीरोचित थी। धन्य है वह वीरांगना जिसने एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत कर 1857 के भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में 20 मार्च 1858 को अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसी वीरांगना का देश की सभी नारियों और पुरुषों को अनुकरण करना चाहिए और उनसे सीख लेकर नारियों को विपरीत परिस्थितियों में जज्बे के साथ खड़ा रहना चाहिए और जरूरत पड़े तो अपनी आत्मरक्षा व अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए वीरांगना का रूप भी धारण करना चाहिए।
विस अध्यक्ष डॉ. महंत ने वीरांगना अवंतीबाई के बलिदान दिवस पर दी श्रद्धांजलि।
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