acn18.com कुसमुंडा / एसईसीएल की कुसमुंडा कोल परियोजना से प्रभावित ग्राम जटराज के ग्रामीण बड़ी संख्या में कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। प्रबंधन ने गांव की जमीन का अधिग्रहण कर लिया है लेकिन ग्रामीणों को मुआवजा नहीं दिया है। हालांकि बसाहट देने की बात जरुर कही जा रही है। प्रभवितों का कहना है,कि जब तक उन्हें मुआवजा नहीं मिल जाता वे अपनी जमीन खाली करने को तैयार नहीं है।
कोरबा में एसईसीएल का उपेक्षापूर्ण रवैया अब भी बरकरार है। खदान विस्तार के लिए ग्रामीणों की जमीन का अधिग्रहण तो कर लिया जा रहा है लेकिन मुआवजा व अन्य सुविधाएं देने में आना कानी की जा रही है। यही वजह है,कि भू-विस्थापित प्रबंधन के खिलाफ एकजुट होने लगे है। एसईसीएल कुसमुंडा खदान के प्रभावित गांव जटराज से बड़ी संख्या में ग्रामीण कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे। कलेक्टर की गैरमौजूदगी में उन्होंने दूसरे सक्षम अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर अपनी समस्या सुनाई। ग्रामीणों का कहना है,कि प्रबंधान ने उनकी जमीन का अधिग्रहण कर लिया है लेकिन मुआवजे का भुगतान अब तक नहीं किया है। बसाहट देने की बात जरुर चल रही है लेकिन उन्हें प्रबंधन पर जरा भी भरोसा नहीं है। खदान का दायरा उनके गांव तक पहुंच गया है और प्रबंधन उन्हें बेदखल करने को तैयार है। ग्रामीणों ने स्पष्ट रुप से कह दिया है,कि जब तक उन्हें मुआवजा और बसाहट नहीं दिया जाता वे अपनी जमीन को छोड़कर नहीं जाएंगे।
कोरबा में एसईसीएल की मनमानी का इतिहास काफी पुराना है। खदान विस्तार के लिए प्रबंधन ग्रामीणों की जमीन तो हड़प लेता है लेकिन नौकरी और मुआवजा का भुगतान करने में आनाकानी करता है। यही वजह है,कि जटराज के ग्रामीण पहले नौकरी और मुआवजा की मांग कर रहे हैं ताकी भविष्य में उन्हें दिक्कतों का सामना ना करना पड़े।