ऋषि पंचमी के अवसर पर पिथौरा विकासखंड के खुश्रुपाली में सांपों की पूजा की गई। इस मौके पर गांव भर के लोग यहां एकत्रित हुए। इस दौरान कुछ युवाओं के शरीर पर कुछ हरकत हुई। गांव के बैगा ने अपने तरीके से बाद में इन्हें शांत किया।
खुश्रुपाली में ऋषि पंचमी पर सांपों की पूजा, एक स्थान पर जुटे गांव भर के लोग pic.twitter.com/HgjX5P6RxH
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आस्था एक ऐसी चीज है जिसे परखने के लिए कोई कसौटी नई बनी है। कुछ मामलों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अपना महत्व होता है लेकिन आस्था से जुड़े विषयों पर कई प्रकार के तर्क बौने साबित हो जाते हैं। इसलिए विज्ञान के युग में महासमुंद जिले के पिथौरा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले गाव खुश्रुपाली में ऋषि पंचमी पर प्रतीकात्मक रूप से सांपों की पूजा की गई। यहां एक ही स्थान पर आयोजन करने के साथ पूजा पाठ की गई। गीत संगीत के बीच कुछ युवाओं के शरीर में हलचल हुई और वे जमीन पर लोटने लगे। जबकि कुछ बुरी तरह से हाथ पैर पटक रहे थे। मौके पर उपस्थित गांव के जाने-माने बैगा समुदाय के लोगों ने उन्हें किसी तरह शांत कराया। सर्प काटने की घटनाओं में काफी समय से लोगों को ठीक करने का काम कर रहे बैगा दशरथ ने इस आयोजन पर इस तरह रोशनी डाली
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परदेसी राम सिन्हा भी सर्पदंश से पीड़ित लोगों को ठीक करने के काम में जुटा हुआ है। वह बताता है कि गुरु से जो कुछ सीखा हुआ है उसके जरिए लोगों की सेवा की जा रही है।
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खुश्रुपाली में ऋषि पंचमी पर सांपों की पूजा करने के पीछे काफी पुरानी परंपरा बनी हुई है। इसे लेकर अलग-अलग तरह की मान्यता कायम है। ग्रामीणों का कहना है कि वक्त के साथ विकास बहुत हुआ है आधुनिकता भी आसपास में नजर आई है लेकिन वह अपनी परंपरा के साथ अभी भी बने हुए है।