Acn18.com/केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अब कुछ घंटे बाद दुर्ग जिले के प्रवास पर पहुंचेंगे। इस दौरान भिलाई के जयंती स्टेडियम में हेलीकॉप्टर के लैंड होते ही शाह सबसे पहले पद्मश्री उषा बारले के सेक्टर 1 स्थित घर जाएंगे। यहां उनसे 20 मिनट की मुलाकात करने के बाद वो दुर्ग के रविशंकर शुक्ल स्टेडियम में आम सभा को संबोधित करने जाएंगे। अमित शाह के स्वागत की तैयारी में लगी उषा बारले का कहना है कि वो जैसे अपने परिवार के लोगों का स्वागत करती हैं, उसी तरह छत्तीसगढ़ी व्यंजन खिलाकर वो उनका भी स्वागत करेंगी।
अमित शाह के दौरे से एक दिन पहले उषा बारले ने भास्कर से खास बातचीत की। उन्होंने बताया कि अमित शाह को खिलाने के लिए वो सभी छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाकर रखी हैं। उषा ने कहा कि वो अपने घर में भाजी रोटी, दाल चावल, आम की चटनी, बड़ी की सब्जी, मुनगा की सब्जी खाती हैं। गरीब सुदामा की कुटिया में श्रीकृष्ण आ रहे हैं तो वो उनके लिए भी वहीं व्यवस्था रखेंगी जो अपने घर के अजीज के लिए रखती हैं। उन्होंने शाह के लिए अपने हाथों से ठेठरी, खुरमी, अरसा जैसे छत्तीसगढ़ी पकवान बनाए हैं और वहीं उन्हें खिलाएंगी। उनका कहना है कि अमित शाह उनके अपने परिवार के सदस्य बनकर आ रहे हैं। उनका सम्मान भी वो उसी तरह करेंगी, जैसे अपने लोगों का करती हैं।
उषा बारले ने बताया कि जब वो पद्मश्री लेने दिल्ली गई थीं तो वहां उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री के साथ खाना खाया था। उसी दौरान उन्होंने कहा कि मैं तुम्हारे घर आऊंगा। मैंने उस समय ये सोचा था कि वो ऐसे ही कह रहे हैं, लेकिन उन्होंने अपना वादा पूरा किया। वो मुझ गरीब की कुटिया में पैर रखने जा रहे हैं। मुझे इसको लेकर काफी खुशी हो रही है।
उषा बारले ने कहा जब उन्हें पता चला कि गृहमंत्री उनके घर आ रहे हैं तब से उनकी स्थिति ऐसी है जैसे कि भगवान कृष्ण के आने से सुदामा को हुई थी। मेरे घर में ऐसे व्यक्ति आ रहे हैं, जिनके पैर पड़ने से हम लोग तर जाएंगे। उनका इसी तरह प्यार और दुलार बना रहे हैं और हमें उनसे कुछ भी नहीं चाहिए।
विधानसभा चुनाव लड़ने के बारे में उषा ने कहा कि वो भविष्य बताएगा। फिलहाल उनकी राजनीति में जाने की इच्छा नहीं है। भाजपा जॉइन करने की बात से भी उन्होंने साफ मना कर दिया। उन्होंने कहा किसी पार्टी से जोड़कर उन्हें बदनाम न करें। आगे जो होगा वो देखा जाएगा। उन्होंने कहा कि महाभारत में अर्जुन बाण चलाते हैं, भीम गदा चलाते हैं। जिस तरह अर्जुन का बाण भीम नहीं चला सकते हैं और भीम का गदा अर्जुन नहीं चला सकते, उसी तरह वो कलाकार हैं तो राजनीति का काम कैसे कर सकती हैं।
उषा बारले ने कहा कि किसान अगर खेत दुबराज चावल बोएगा तो दुबराज ही पैदा होगा। इसी तरह उन्होंने पद्मश्री पाने का लक्ष्य रखकर ही पंडवानी गायन शुरू किया था। उन्होंने उसके मुताबिक कड़ी मेहनत की और आज उन्हें उनका लक्ष्य मिला। उन्होंने पूरे समाज और युवा वर्ग के लिए कहा कि जब तक कोई आदमी अपने जीवन का उद्देश्य नहीं बनाता वो कुछ भी नहीं कर सकता है। लड़का किसी क्लास में पढ़ेगा तो पास होने के लिए पढ़ेगा फेल होने के लिए नहीं पढ़ेगा। इसलिए जो करो एक लक्ष्य निर्धारित करके करो।