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उपेंद्र कुशवाहा का JDU से इस्तीफा:18 साल में 3 बार नीतीश का साथ छोड़ा; कहा- CM पड़ोसी के घर वारिस ढूंढ रहे हैं

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acn18.com पटना/ पूर्व केंद्रीय मंत्री और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का साथ छोड़ दिया है। कुशवाहा ने सोमवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और JDU से इस्तीफे के साथ अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल का ऐलान किया। वे इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी होंगे।

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18 साल में ये तीसरी बार है, जब उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश का साथ छोड़ा है। इससे पहले उन्होंने 2005 और 2013 में नीतीश का साथ छोड़ा था। कुशवाहा ने नीतीश से अलग होने के बाद 2013 में नई पार्टी बनाई थी। ये दूसरी बार है जब उन्होंने नई पार्टी का ऐलान किया।

मीडिया से बातचीत में कुशवाहा ने कहा- नीतीश के साथ शुरुआत अच्छी थी, लेकिन अंत बुरा। जमीर बेचकर हम अमीर नहीं बन सकते। नीतीश जी जिस रास्ते पर चल रहे हैं, वो पार्टी के लिए सही नहीं है। वे पड़ोस के घर में अपना वारिस ढूंढ रहे हैं। कुशवाहा का इशारा अगले विधानसभा में CM पद के चेहरे को लेकर था।

बता दें कि पिछले साल 13 दिसंबर को महागठबंधन के विधायकों की मीटिंग में नीतीश कुमार ने कहा था कि 2025 का विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। मेरा लक्ष्य 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराना है। मैं CM या PM पद का उम्मीदवार नहीं बनना चाहता।

उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी नई पार्टी के ऐलान के साथ पोस्टर भी जारी किया।
उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी नई पार्टी के ऐलान के साथ पोस्टर भी जारी किया।

नीतीश ने पार्टी को गिरवी रख दिया
कुशवाहा ने कहा- JDU के कार्यकर्ता परेशान हैं। मुख्यमंत्री जी ने शुरुआत में अच्छा काम किया, लेकिन आखिर में उन्होंने जो किया वो अच्छा नहीं हुआ।​​​​​ मैंने जब पार्टी में सवाल उठाया तो मुझे उन्होंने कह दिया पार्टी छोड़कर चले जाइए। नीतीश जी के पास है क्या। उनके पास अब कुछ नहीं बचा है। उन्होंने पार्टी को गिरवी रख दिया। मैं उनसे क्या हिस्सा मांगू। उनके हाथ में जीरो है।​

​​​​​​नीतीश जी पहले कोई भी फैसला खुद लेते थे। कार्यकर्ताओं और नेताओं से बात करते थे। उनके खुद के फैसले सही होते थे। आज की तारीख में वो कोई फैसला खुद नहीं लेते हैं। मुख्यमंत्री जी अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं कर रहे हैं। वो डरे हुए लोगों की सलाह पर चल रहे हैं। नीतीश जी गलत रास्ते पर चल रहे हैं।

नीतीश की तरफ से जदयू का उत्तराधिकारी घोषित नहीं करने पर दर्द भी छलका।
नीतीश की तरफ से जदयू का उत्तराधिकारी घोषित नहीं करने पर दर्द भी छलका।

उत्तराधिकारी परिवार में ही ढूंढना था
नीतीश जी पड़ोसी के घर में उत्तराधिकारी ढूंढ रहे हैं। अगर वो अतिपिछड़ा समाज से किसी को चुनते तो हमें कोई परेशानी नहीं होती। उपेंद्र कुशवाहा नहीं पसंद थे तो कोई बात नहीं, लेकिन परिवार में ही ढूंढना था। बीजेपी का साथ छोड़कर नया गठबंधन बना लिया गया। उस वक्त भी हमने साथ दिया। उपेंद्र कुशवाहा पिछले 2 दिनों से JDU के अपने नेताओं के साथ बैठक कर रहे थे। बैठक में फैसला लिया गया है कि नई पार्टी बनाएंगे और उसके अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा होंगे।

14 मार्च 2021 को उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश कुमार ने JDU में शामिल कराया था।
14 मार्च 2021 को उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश कुमार ने JDU में शामिल कराया था।

पहले भी 2 बार नीतीश का साथ छोड़ चुके हैं कुशवाहा
उपेंद्र कुशवाहा 2 बार पहले भी नीतीश कुमार का साथ छोड़ चुके हैं। साल 2005 में जब बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू की अगुआई वाली एनडीए बिहार की सत्ता में आई तब कुशवाहा अपनी ही सीट से चुनाव हार गए। इसके बाद कुशवाहा और नीतीश के बीच दूरियां बढ़ गईं। उन्होंने जेडीयू को छोड़कर नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे।

हालांकि साल 2010 में नीतीश के कहने पर कुशवाहा ने घर वापसी की। उपेंद्र एक बार फिर जेडीयू में आ गए, लेकिन ज्यादा दिन तक साथ नहीं रहे।

साल 2014 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च 2013 में उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) बना ली। 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को अपना समर्थन भी दे दिया। बिहार की तीन लोकसभा सीट पर उनकी पार्टी ने चुनाव लड़ा और तीनों सीटें जीत लीं। इसके इनाम में उन्हें मोदी कैबिनेट में जगह मिली और वो मानव संसाधन राज्य मंत्री बने।

साल 2018 आते-आते कुशवाहा की पार्टी ढह गई। फिर वे 2019 लोकसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के साथ गए, लेकिन एक भी सीट नहीं मिली। फिर उन्होंने 14 मार्च 2021 में अपनी पार्टी का जदयू में विलय कर दिया।

अब तक 9 बार चुनाव लड़ चुके हैं कुशवाहा
उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पूरी राजनीति करियर में 9 बार चुनाव लड़ा। महज दो बार ही उन्होंने चुनाव जीता है। पहली बार वे 2000 में समता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर वैशाली जिले की जंदाहा विधानसभा सीट से जीतकर विधायक बने थे।

वहीं, दूसरी बार उपेंद्र कुशवाहा 2014 के लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट जीतकर सांसद बने। इसके अलावा 2010 में वह राज्यसभा के सांसद बने और 2021 में विधान परिषद के सदस्य बने। हालांकि उपेंद्र कुशवाहा के नाम पर यह रिकॉर्ड जरूर है कि वह चारों सदनों के सदस्य रह चुके हैं।

JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा कि कुशवाहा को हमारी शुभकामनाएं हैं।
JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा कि कुशवाहा को हमारी शुभकामनाएं हैं।

ललन सिंह बोले- वो अति महत्वाकांक्षी, अब जहां रहें स्थिर रहें
उपेंद्र कुशवाहा के बाद JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उनको जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सुना है वो नई पार्टी बना रहे हैं। उन्हें हमारी ओर से शुभकामनाएं हैं। वो इसके पहले भी JDU को कई बार छोड़कर जा चुके हैं। उनकी कोई वैल्यू नहीं थी, लेकिन JDU ने उन्हें किसी लायक बनाया। वो जहां भी जाएं स्थिर से रहें। उपेंद्र कुशवाहा अति महत्वाकांक्षी हैं। कुछ दिनों बाद देख लीजिएगा उनका क्या हश्र होता है।

उन्होंने कहा कि पिछले दिसंबर से वो क्या कर रहे थे। कहां-कहां गए। दिल्ली से पटना। पटना से दिल्ली लगे रहे। वो जा रहे थे तो जाएं, इसलिए हम कह रहे थे। निशाना उनका दिल्ली पर था और बता रहे थे कि JDU कमजोर हो रही है। उनके कुनबे के कई साथी हमसे मिलते रहे। उन लोगों ने ही बताया कि ये अति महत्वाकांक्षी हैं। हम इनके साथ कहीं जाने वाले नहीं हैं।

तेजस्वी को उत्तराधिकारी बनाने के सवाल पर ललन सिंह ने कहा कि 2025 की बात अभी मत कीजिए। जदयू अभी जिंदा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। 2025 की बात 2025 में करेंगे। अभी 2024 की बात करेंगे।

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