ACN18.COM छत्तीसगढ़ /छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतिया (अक्ती) पर खास परंपरा है। इस दौरान बच्चे छोटे-छोटे मिट्टी के गुड्डे गुड़ियों की शादी रचाते हैं। आस-पड़ोस में रहने वाले बच्चे एक दूसरे के समधी बनते हैं। सब कुछ बिल्कुल वैसे ही होता है जैसे आम शादियों में रस्में निभाई जाती हैं। बाराती और घराती सभी बच्चे होते हैं।
बच्चे ही सभी रस्मों को पूरा करते हैं। लड़की वाले लड़के वाले बनते हैं।
रायपुर में भी इस तरह की एक शादी रचाई गई। बोरियाखुर्द के बच्चों ने ओम नगर में इस रस्म को निभाया। स्कूल वाली कॉपी के पेज पर स्केच पेन की ड्राइंग से आमंत्रण पत्र बनाया गया था। इसे ही बच्चों ने अपने दोस्तों को बांटा। फिर छत्तीसगढ़िया रिवाज से शादी हुई। मिट्टी की पूजा की गई। घर के आंगन को सजाया गया। कक्षा 2 से 5 तक की बच्चियों ने मां की साड़ी पहनकर इस माेमेंट को एंजॉय किया।
इन्वीटेशन।
छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में प्रायः सभी युवतियों को वैवाहिक रस्मों की पूरी जानकारी होती है। इसका कारण है कि साल में एक दिन अक्षय तृतीया पर गांव-गांव में छोटी बच्चियां अपने गुड्डा-गुड़िया का ब्याह अवश्य रचाती हैं।
बच्चों की क्रिएटिविटी।
माना जाता है कि इस रस्म की शुरूआत बच्चों को शादी उनकी रस्मों और संस्कार की जानकारी देने के लिए कराई गई थी। पहले बाल विवाह भी खूब होते थे। हालांकि अब ये पूरी तरह से प्रतिबंधित है। अक्षय तृतिया पर यूं गुड्डे गुड़ियों की शादी रचाना बेहद शुुभ माना जाता है।