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टीएस सिंहदेव का इस्तीफा:पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री के पद से इस्तीफा, कहा-यह तो होना ही था

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छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ नेता और मंत्री टीएस सिंहदेव ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री पद की जिम्मेदारी छाेड़ी है। उन्होंने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को भेज दिया है। सिंहदेव स्वास्थ्य और वाणिज्यिक कर विभाग में मंत्री की जिम्मेदारी पर बने रहेंगे।

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 स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, जिस तरह की चीजें चल रही थीं, यह तो एक दिन होना ही था। उन्होंने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा भेज दिया है। सिंहदेव के इस फैसले से सरकार के अंदर चल रही खींचतान सड़क पर आ गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यह इस्तीफा स्वीकार करते हैं अथवा नहीं यह तो बाद की बात है लेकिन इस्तीफे से सरकार और संगठन में खलबली मच गई है। बताया जा रहा है कि इसकी सूचना केंद्रीय नेतृत्व को भी भेज दी गई है।

यहां पढ़िए मुख्यमंत्री को लिखा मंत्री सिंहदेव का पूरा पत्र

टीएस सिंहदेव ने इस्तीफा अपने विधानसभा क्षेत्र अंबिकापुर से भेजा है। टीएस सिंहदेव कांग्रेस सरकार के आधार स्तंभों में से हैं। 17 दिसम्बर 2018 को उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ ही मंत्री पद की शपथ ली थी। उस दिन मुख्यमंत्री ने केवल दो मंत्रियों टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू के साथ कैबिनेट का गठन कर सरकार की औपचारिक शुरुआत की थी। किसानों की कर्जमाफी और 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने का ऐतिहासिक फैसला भी इन्हीं तीन लोगों ने मिलकर किया था। बाद में टीएस सिंहदेव के पोर्टफोलियो में स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, वाणिज्यिक कर (GST) और 20 सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग को शामिल किया गया।

पोर्टफोलियो से एक पद छोड़ने पर क्या है वैधानिक स्थिति

विधानसभा से सेवानिवृत प्रमुख सचिव देवेंद्र वर्मा का कहना है कि मंत्रिमंडल के सदस्यों के बीच विभागों का बंटवारा मुख्यमंत्री करते हैं। ऐसे में विभाग की जिम्मेदारी को लेकर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री का ही माना जाता है। वहीं उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने कहा, मंत्री अपनी पोर्टफोलियो की कोई जिम्मेदारी ऐसे ही नहीं छोड़ सकता है। यह मुख्यमंत्री पर निर्भर है कि वे उनके पत्र पर क्या कार्यवाही करते हैं। मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा मुख्यमंत्री करते हैं। ऐसे में कोई विभाग देना अथवा वापस लेना मुख्यमंत्री का ही अधिकार है। मंत्री ने इच्छा जताई है तो मुख्यमंत्री उन्हें पंचायत विभाग से मुक्त भी कर सकते हैं।

सिंहदेव अंबिकापुर में हैं ऐसे में रायपुर में सिविल लाइंस स्थित उनके सरकारी आवास के बाहर सन्नाटा है।
सिंहदेव अंबिकापुर में हैं ऐसे में रायपुर में सिविल लाइंस स्थित उनके सरकारी आवास के बाहर सन्नाटा है।

पिछले साल विधानसभा छोड़ दिया था

2021 में विधानसभा के मानसून सत्र से ठीक पहले कांग्रेस सरकार में बवंडर उठा था। रामानुजगंज से विधायक बृहस्पत सिंह ने प्रेस वार्ता कर आरोप लगाया कि सिंहदेव उनको मारना चाहते हैं। उनके साथ 18 विधायक और भी थे। अगले दिन सत्र शुरू हुआ और विधानसभा में बवाल हो गया। आहत सिंहदेव ने सरकार की ओर से सफाई आने तक सदन में आने से इन्कार कर दिया। बाद में बृहस्पत सिंह ने अपने बयानों के लिए सदन में माफी मांगी। गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने सरकार की ओर से बयान दिया कि सिंहदेव पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। उसके बाद सिंहदेव विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने वापस लौटे।

विपक्ष हमलावर, कांग्रेस ने साधी चुप्पी

मंत्री के इस्तीफे के बाद कांग्रेस पदाधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने फोन बंद कर लिया है। एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, अब संगठन इस मामले में क्या ही बोलेगा! वहीं भाजपा ने इसे मौके के रूप में लपक लिया है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, टीएस सिंहदेव जी ने अपने एक मंत्रालय से इस्तीफा किन कारणों से दिया है वो सब जानते हैं। इससे तो साफ है कि कांग्रेस के भीतरखाने कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा, मुख्यमंत्री को स्पष्ट करना चाहिए कि ऐसी स्थिति क्यों बन रही है।

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