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धार्मिक गीतों का गायन करने की परंपरा, निषाद समुदाय के लोग जुड़े हैं इस काम में

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Acn18.com/रामायण काल में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र को गंगा पार कराने में गुहा निषादराज ने अपनी भूमिका निभाई थी। लंबा समय बीतने के बाद भी निषाद समुदाय कि निष्ठा ईश्वर के प्रति काफी मजबूती से बनी हुई है। कर्नाटक प्रदेश से वास्ता रखने वाले इस समुदाय के काफी लोग भजन कीर्तन करने के साथ अपनी जीविका चला रहे हैं।

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मूल रूप से निषाद समुदाय जीविका के लिए भले ही दूसरे उपाय किया करता है लेकिन इसके बिल्कुल पर है कर्नाटक के गोविंद प्रसाद और उनके परिवार के लोग पिछले कई दशक से रामायण के पात्र मैं खुद को प्रस्तुत करने के साथ धार्मिक गायन करते हुए लोगों तक अपनी पहुंच बनाए हुए हैं। छत्तीसगढ़ से इनका संपर्क 40 वर्षों से बना हुआ है। सावन के महीने में यह समूह एक बार फिर कोरबा में उपस्थित है।

टीम के प्रमुख गोविंद प्रसाद ने बताया कि उन्होंने जीवन यापन के लिए भगवान की भक्ति को प्रमुख माध्यम बनाया है। वापसी में लोगों से मिलने वाली दक्षिण उनके लिए पर्याप्त होती है।

गोविंद बताते हैं कि अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से उनका इस तरफ आना जाना लगा रहा है। पिछली सरकार में उन्हें अपने कार्यक्रम प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त हुआ था। फिलहाल वे इंतजार कर रहे हैं।

सावन का महीना वैसे ही भगवान के प्रति भक्ति भाव दिखाने का है । ऐसे में धार्मिक गीतों की प्रस्तुति करने वाले कलाकारों को अपने सामने उपस्थित देखकर लोग काफी हर्षित हो जाते हैं।

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