हिंदू पंचांग के अनुसार, कल यानी 5 दिसंबर को काल भैरव जयंती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, काल भैरव जयंती के दिन महादेव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक का पाठ कर सकते हैं। तो आइए काल भैरव जयंती के शुभ मुहूर्त और तिथि के बारे में विस्तार से जानते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक साल मार्गशीष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, इस माह में काल भैरव जयंती 5 दिसंबर को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने अंधकासुर के वध के लिए काल भैरव का अवतार लिए थे। मान्यता है कि भगवान शिव मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यान्ह के समय महादेव ने काल भैरव देव का रूप धारण किया था।
कहा जाता है कि काल भैरव भगवान शिव का रौद्र अवतार है। ज्योतिषियों के अनुसार, काल भैरव की पूजा करने से जीवन की सारी समस्याएं जैसे- दुख, संकट, रोग, भय, काल और कष्ट सारे दूर हो जाते हैं। इसलिए जातक काल भैरव की पूजा सच्चे मन से करते हैं। मान्यता है कि काल भैरव जयंती के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व होता है। तो आज इस खबर में जानेंगे काल भैरव जयंती का शुभ मुहूर्त और इस दिन रुद्राभिषेक करने का महत्व का क्या है आइए विस्तार से जानते हैं।
काल भैरव जयंती का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी 4 दिसंबर को रात 9 बजकर 59 मिनट पर शुरू हो रहा है और 6 दिसंबर को देर रात 12 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी। हिंदू पंचांग में उदया तिथि को माना जाता है इसलिए 5 दिसंबर को काल भैरव जयंती मनाई जाएगी। इस दिन आप चाहे तो व्रत रखकर काल भैरव की विधि-विधान से पूजा कर सकते हैं।
रुद्राभिषेक का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भगवान शिव देवों के देव है। कालाष्टमी के दिन भगवान शिव मां जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के साथ रहेंगे। मान्यता है कि इस समय भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना बेहद ही शुभ फलदायी होता है। मान्यता है कि जो जातक इस दिन रुद्राभिषेक करता है उसके जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। साथ ही जातक की सारी मनोकामना भी पूर्ण हो जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, काल भैरव की पूजा हमेशा निशा काल में होती है तो जातक निशा काल में भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर सकते हैं।