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ग्राम देवता और गुरु को प्रसन्न करने ग्रामीणों ने कीचड़ में लेटकर निभाई ‘नगमत’ परंपरा, देखें VIDEO…

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बिलासपुर. छत्तीसगढ़ के लुप्त होती नगमत परंपरा को मस्तुरी के पेंड्री में 15 साल बाद फिर से शुरू की गई है. इसमें कीचड़ में लेटकर अपनी सुरक्षा के लिए ग्राम देवता व गुरु को प्रसन्न किया जाता है. सामाजिक सुरक्षा, ग्राम के देवताओं को खुश करने और मंत्रों के साथ गुरुजनों को भक्ति प्रदर्शित करने वाली नगमत परंपरा पहले क्षेत्र के हर गांव में मनाई जाती थी, लेकिन अब यह संस्कृति विलुप्ती के कगार पर है, इसलिए इसे फिर से जीवंत करने बिलासपुर जिले के मस्तूरी ब्लॉक के पेंड्री गांव के बड़े बुजुर्गों ने इसे 15 साल बाद मनाने का निर्णय लिया.

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गुरु से ज्ञान लेकर मंत्रोच्चारण सीखने के बाद हर साल नाग पंचमी के दिन से एक माह तक गुरु के वचन का पाठन करने के बाद इसका आयोजन किया जाता है. गुरु अपने शिष्यों के कान में मंत्र का उच्चारण करते हैं, इसके बाद शिष्य मंत्रमुग्ध हो जाते हैं और जमीन पर लेट कर पलटने लगते हैं. इस तरह एक के बाद एक सभी शिष्यों के साथ इस रिवाज को पूरा किया जाता है.

मान्यता है कि इस आयोजन से बाहरी शक्तियां क्षेत्र में आकर स्थानीयों को परेशान नहीं करती है. इतना ही नहीं, फसलों को देवताओं का आशीर्वाद मिलने से ग्रामवासियों का जीवन वर्षभर सुखमय हो जाता है.

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