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टाइगर चिंता है…:छत्तीसगढ़ में 9 साल में 29 बाघों को या तो मार दिया गया या मर गए, 2014 में 46 थे अब सिर्फ 17 बचे

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केंद्र सरकार ने जारी किए बाघ की गणना 2022 के आंकड़े - Dainik Bhaskarकेंद्र सरकार ने शनिवार को बाघ गणना 2022 के आंकड़े जारी कर दिए। इस रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में सिर्फ 17 बाघ रह गए हैं, जबकि 2014 की गणना में 46 और 2018 में 19 बाघ थे। 4 साल में 2 बाघ कम हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र में बाघों की संख्या बढ़ रही है।

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छत्तीसगढ़ में बाघों की घटती संख्या ने वन विभाग को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। आखिर बाघों की संख्या क्यों घट रही है, दैनिक भास्कर ने इसे लेकर पड़ताल की। वन्य प्राणी विशेषज्ञों, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के एक्सपर्ट से बात की। इन्होंने स्पष्ट कहा कि राज्य में बाघों के लिए पर्याप्त खाना उपलब्ध नहीं है। मेल बाघ तो हैं, लेकिन फीमेल नहीं। मध्यप्रदेश से फीमेल लाने का प्रस्ताव 3 साल पहले राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में पास हो चुका है, लेकिन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। वहीं राज्य में बाघों का शिकार नहीं रुक रहा। साल 2021-23 में नारायणपुर, बस्तर, भानुप्रतापपुर, कांकेर, सूरजपुर और गरियाबंद में बाघों की खाल बरामद हुई है। 2023 में भी 2 खाल जब्त हो चुकी है।

3 बड़ी वजह

1. बाघों के लिए पर्याप्त खाना नहीं

2. बाघिन का न होना

3. बाघों का बढ़ता शिकार

जंगलों में गणना नहीं, विभाग का दावा-22 बाघ हैं

राज्य में वर्तमान में 3 टाइगर रिजर्व हैं। अचानकमार, उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व और इंद्रावती टाइगर रिजर्व। इसके अलावा गुरु घासीदास नेशनल पार्क को अब तक टाइगर रिजर्व का दर्जा नहीं मिल सका है। 2022 की गणना के दौरान सिर्फ 3 टाइगर रिजर्व में कैमरा ट्रैपिंग हुई। इंद्रावती का भी अधिकांश क्षेत्र इसलिए छोड़ दिया गया क्योंकि वह नक्सल प्रभावित है। अगर, संपूर्ण क्षेत्र में कैमरा ट्रैपिंग, पगमार्क और मल के आधार पर गणना होती तो संख्या 30 से अधिक पहुंच जाती। अभी विभाग 22 बाघ होने का दावा कर रहा है।

हर महीने 5 करोड़ खर्च

बीते 7 साल में बाघों के संरक्षण के नाम पर 413 करोड़ रुपए खर्च हुए। यानी हर महीने 5 करोड़ रुपए। यह जानकारी विधानसभा में वन मंत्री द्वारा दी गई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर विभाग अभी गंभीर नहीं हुआ तो संख्या और घट सकती है।

स्टाफ की भारी कमी

भास्कर पड़ताल में यह सामने आया कि राज्य वन विभाग में बाघों के संरक्षण को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। स्वीकृत पदों की तुलना में फील्ड स्टाफ सिर्फ 50 प्रतिशत है, जो हैं वे प्रापर मॉनीटरिंग नहीं कर रहे। नेशनल टाइगर कंर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के स्टॉफ ही जिम्मा संभाले हुए हैं।

इंद्रावती-उदंती रिजर्व में 1-1 ही बाघ

शुक्रवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ के बारनवापारा टाइगर रिज़र्व में 5, इंद्रावती में 1 और उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व में 1 बाघ मिला है। लेकिन संख्या 17 जारी हुई है। टाइगर एक्सपर्ट का कहना है टाइगर रिज़र्व एरिया में जितने बाघ ऑन रिकॉर्ड मिलते हैं, उसका कैलकुलेशन करके अनुमानित संख्या जारी की जाती है। ये आंकड़ा इसलिए 17 है।

तस्कर सक्रिय, शिकार पर रोक जरूरी

छत्तीसगढ़ में हर 2-3 महीने में एक बाघ की खाल बरामद होती है। छत्तीसगढ़ तस्करों का सॉफ्ट जोन बन गया है या कहें कि छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र कॉरिडोर का अहम हिस्सा बन गया है। यहीं से जानवरों की तस्करी होती रही है। खासकर बाघ की। इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले हैं कि चीन तक जानवरों के अंग सप्लाई हो रहे हैं। भास्कर ने पूर्व में इस रैकेट का खुलासा भी किया था।

अभी राज्य में 22-23 बाघ हैं। बिल्कुल, जनगणना इंडीकेटर रहती है और जिस समय गणना हुई होगी उस समय बाघों की मूवमेंट होगी। राज्य में कैमरा ट्रैपिंग को और अधिक बढ़ाया जाएगा।
-सुधीर अग्रवाल,पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ, वन विभाग

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