वाराणसी। देश का पहला हाईड्रोजन फ्यूलसेल वेसेल (हाईड्रोजन चालित नौका) इस महीने 28 तक बनारस पहुंचेगा। ऐसे में नौका के संचालन की तैयारी शुरू हो चुकी है। आइडब्ल्यूएआइ (भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण) ने हाईड्रोजन की स्थायी उपलब्धता सुनिश्चित करना चाहता है।
सागरमाला डेलवेमेंट कंपनी लिमिटेड को गंगा के किनारे तीन हाईड्रोजन प्लांट स्थापित करने के आदेश हुए हैं। एक प्लांट में प्रतिदिन 500 किलोग्राम हाईड्रोजन का उत्पादन होगा। यह जिम्मेदारी सौंपने के लिए पेट्रोलियम कंपनी एचपीसीएल और आइओसीएल से वार्ता शुरू हो चुकी है।
अगर वेसेल आठ घंटे गंगा में संचालित होगा तो 40 किलोग्राम हाईड्रोजन की आवश्यकता होगी। प्राधिकरण की योजना है कि शुरू के छह महीने हाईड्रोजन नौका का संचालन कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ही करेगा, इसलिए वही हाईड्रोजन गैस की भी अस्थायी व्यवस्था करेंगे।
शिपयार्ड की तरफ से हाईड्रोलाइजर उपकरण की भी मदद ली जाएगी। इसी मशीन के जरिए स्वच्छ पानी से हाईड्रोजन तैयार किया जाएगा। उत्पादन के तुरंत बाद सिलेंडर में स्टोर करेंगे और वेसेल तक पहुंचाएंगे। समग्रता में शिपयार्ड ही नौका का रिपोर्ट तैयार करेगा।
बेहतर परिणाम मिलने के बाद कई और हाईड्रोजन जलयान का निर्माण होगा। गंगा के अलावा कई और नदियों में संचालित किया जाएगा। केंद्र सरकार ने प्राधिकरण से शुरूआत के सौ दिन और पांच साल की कार्ययोजना तैयार करने के आदेश दिए हैं। इसके बाद प्राधिकरण की तरफ से हाईड्रोजन नौका के बल्क उत्पादन की लागत का आंकलन रिपोर्ट तैयार करने के लिए उच्चस्तरीय कमेटी गठित की गई है।
नौका में होंगे पांच सिलेंडर, 50 लोग कर सकेंगे सफर
शिपयार्ड ने हाईड्रोजन नौका को 18 करोड़ रुपये में तैयार किया है। यह 24 मीटर लंबा है जो वातानुकूलित क्षेत्र में 50 लोगों को ले जा सकता है। कमरों का निर्माण मेट्रो ट्रेन के डिब्बों के समान उच्च गुणवत्ता वाले फाइबरग्लास प्रबलित प्लास्टिक से हुआ है। नौका में पांच हाइड्रोजन सिलेंडर हैं।
तीन किलोवाट का सोलर पैनल भी है। यह नौका शून्य उत्सर्जन, शून्य शोर और ऊर्जा कुशल है, जो इसे अधिक पर्यावरण अनुकूल बनाता है। चूंकि इसमें कोई गतिशील भाग नहीं है, इसलिए दूसरे नौा की तुलना में नौका को कम रखरखाव की आवश्यकता होती है। यह 6.5 नाट्स की गति से नदी में चलेगा।
ऐसे काम करते हैं हाईड्रोजन ईंधन सेल
हाईड्रोजन ईंधन सेल हाईड्रोजन में निहित रासायनिक ऊर्जा का उपयोग करके बिजली उत्पन्न करता है। यह केवल शुद्ध पानी छोड़ता है। हाईड्रोजन को सेल में लोड किया जाता है। हाइड्रोजन की अंदरूनी ऊर्जा को बिजली और गर्मी में परिवर्तित करते हैं, जिसका उपयोग नौका के प्रणोदन तंत्र (आगे की ओर धकेलना) को शक्ति प्रदान करने के लिए किया जाता है।
ईंधन सेल में, हाईड्रोजन हवा में आक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करके बिजली बनाता है। बैटरी के विपरीत, ईंधन सेल को रिचार्ज करने की आवश्यकता नहीं होती है। ईंधन और आक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति प्रदान करने पर, ये सेल लगातार काम करेंगे।
नोएडा आइडब्ल्यूएआइ मुख्यालय मुख्य अभियंता तकनीकी विजय कुमार दियलानी ने कहा कि नौका संचालित करने के लिए अभी कोचीन शिपयार्ड अपने स्तर से हाईड्रोजन की अस्थायी व्यवस्था करेेगा। जब प्लांट स्थापित हो जाएंगे तो हाईड्रोजन उत्पादन में कोई दिक्कत नहीं आएगी।