acn18.com छत्तीसगढ़ / छत्तीसगढ़ में इस बार मेयर का चुनाव पार्षद नहीं, बल्कि जनता करेगी। साय सरकार, भूपेश कार्यकाल में बनाए गए नियम का संशोधन करने की तैयारी कर रही है। सरकार के सूत्रों के अनुसार नियम में संशोधन किया जा सके, इसलिए नगरीय निकाय से प्रपोजल मांगा गया है। प्रपोजल में कानूनी अड़चने ना आए, इसलिए नगरीय निकाय के अधिकारियों की ओर से एक्सपर्ट से कानूनी सलाह ली गई है। अधिकारी प्रपोजल बनाकर मंत्रालय भेजेंगे। मंत्रालय से प्रपोजल कैबिनेट में रखा जाएगा। कैबिनेट में सहमति मिलने के बाद प्रपोजल को राजभवन भेजा जाएगा। राजभवन से सहमति मिलेगी तो गजट जारी होगा। इसके बाद महापौर चुनाव प्रत्यक्ष रूप से हो सकेगा।
5 साल पहले कांग्रेस सरकार ने किया था संशोधन
2018 में कांग्रेस की सरकार आई और भूपेश बघेल सीएम बने, तो उन्होंने नियम में संशोधन किया था। भूपेश कार्यकाल से पहले जनता ही पार्षदों के साथ मेयर को चुनती थी। लेकिन नियम में संशोधन करके तत्कालीन सीएम ने पार्षद को महापौर चुनने का हक दे दिया। कांग्रेस सरकार में किए गए नियम संशोधन का बीजेपी नेताओं ने विरोध किया था। अब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद इस नियम को बदलने की तैयारी की जा रही है।
कांग्रेस कार्यकाल में पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कैबिनेट बैठक में नियम संशोधित करके महापौर चुनाव का नियम बदला था।
जमानत राशि में भी होगा संशोधन
2018 में नगरीय निकाय में चुनाव में तत्कालीन सरकार ने जमानत राशि में भी बढ़ोत्तरी की थी। अब साय सरकार नगरीय निकाय चुनाव की जमानत राशि में भी संशोधन कर सकती है।
नगरीय निकाय के अधिकारी प्रस्ताव बनाकर मंत्रालय भेजेंगे।
दिग्विजय सिंह ने दिया था महापौर चुनने का अधिकार
मध्यप्रदेश शासन काल में 1999 में कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार ने राज्य में महापौर चुनने का अधिकार पार्षदों से छीनकर जनता के हाथ में दिया था। तब से लेकर 2018 तक ये अधिकार छत्तीसगढ़ की जनता के पास था। 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद संशोधन हुआ और हक पार्षदों को मिल गया था।
निगम चुनाव जीतना BJP के लिए चुनौती
2018 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनाने के बाद हुए निकाय चुनावों में कांग्रेस का दबदबा था। प्रदेश की 14 नगर निगमों में कांग्रेस का कब्जा है। इस बार भाजपा को इन निगमों में चुनाव जीतने की चुनौती होगी। वहीं कांग्रेस अपना कब्जा बरकरार रखने के उद्देश्य से चुनाव मैदान में उतरेगी। पिछली बार की तरह इस बार के चुनाव में प्रदेश के साथ-साथ स्थानीय मुद्दे हावी रहेंगे।