नेता-राजाराम पहुंचे किसान-राजाराम के फार्म पर (दोनों राजाराम रह चुके हैं सहपाठी)म.प्र.विधानसभा के विपक्ष के पूर्व उप नेता राजाराम तोड़ेम पहुंचे राजाराम त्रिपाठी के हर्बल फार्म,
दक्षिण-बस्तर में भी अब लगेगी गेम-चेंजर “मां दंतेश्वरी कालीमिर्च-16” : राजाराम तोड़ेम,
“मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म तथा रिसर्च सेंटर” पर इस हफ्ते मप्र की विधानसभा में विपक्ष के उपनेता रहे बीजापुर के पूर्व विधायक वरिष्ठ भाजपा नेता राजाराम तोड़ेम का आना हुआ।श्री तोड़ेम के साथ रायगढ़ से पधारे बालसखा इंजीनियर राजेंद्र थवाईत,श्री विजय एवं तोडेम जी के सुरक्षाकर्मी भी शामिल थे।
उल्लेखनीय है कि ये दोनों राजाराम कालेज के दिनों में सहपाठी थे। डॉ त्रिपाठी ने इस संदर्भ में आगे बताया कि श्री तोड़ेम कला संकाय में थे तथा आदिवासी हॉस्टल में रहते थे, मैं बीएससी गणित में था और जगदलपुर कालेज से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित अपने गांव ककनार से प्रतिदिन लगभग 50 किलोमीटर साइकिल चलाकर कॉलेज आना-जाना करता था। भाई राजेंद्र थवाईत ऐतिहासिक बस्तर हाई स्कूल जगदलपुर में मेरे साथ नवीं कक्षा के न केवल सहपाठी थे बल्कि तत्कालीन जनरल हॉस्टल में भी हम दोनों रूममेट भी थे। नवमी के बाद राजेंद्र का परिवार रायगढ़ जाकर वही बस गया और राजेंद्र भी वहीं के होकर रह गए । आज राजाराम तोडेम का नाम छत्तीसगढ़ तथा छग से बाहर भी कोई अनजाना नाम नहीं है। भाजपा के एक प्रखर नेता व सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी इन्होंने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है और आज वे प्रदेश तथा देश के सर्व आदिवासी समाज के संगठनों के प्रमुख आधार स्तंभों में से एक माने जाते हैं, तथा जनजातीय समाज के हित में कई स्तरों पर सामाजिक कार्यों में बड़ी शिद्दत के साथ जुटे हुए हैं। फार्म भ्रमण कर सभी ने मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म में उगाई जा रही जड़ी-बूटियों का निरीक्षण परीक्षण किया। साथ ही ‘उच्च लाभदायक बहुत स्तरीय खेती’ के सफल “कोंडागांव-मॉडल” में लगे ऑस्ट्रेलियन टीक तथा उसे पर चढ़ी काली मिर्च-16 एवं अंतर्वर्ती फसलों के रूप में हल्दी, स्टीविया, सफेद मूसली, पिपली आदि विभिन्न औषधीय फसलों की खेती को देखा समझा। सभी ने मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म तथा रिसर्च सेंटर द्वारा विकसित की गई काली मिर्च की नई प्रजाति “मां दंतेश्वरी कालीमिर्च -16” की मौके पर खड़ी फसल के संभावित उत्पादन का खेतों पर खड़े होकर बाकायदा आकलन किया गया। श्री तोड़ेम ने मां दंतेश्वरी हर्बल समूह द्वारा मिशन मोड में चलाई जा रही योजना “मिशन बस्तरिया ब्लैक-गोल्ड” तथा “मिशन-केसरिया” मिशन की प्रगति की भी जानकारी ली । डॉ त्रिपाठी ने बताया कि कैसे पिछले सालों से “मां दंतेश्वरी हर्बल समूह” के द्वारा बस्तर के कई दर्जन गांवों में किसानों ने के घरों की बाड़ियों में पहले से लगे पेड़ों पर काली मिर्च लगवाई गई है, तथा सिंदुरी के पौधे लगाए गए हैं । अब इसके परिणाम आने शुरू हो गए हैं और इससे इन किसानों के आर्थिक स्तर में वृद्धि हुई है। श्री तोड़ेम ने डॉ राजाराम से कहा कि वे अपने “मिशन ब्लैक गोल्ड” तथा “मिशन-केसरिया” का विस्तार करते हुए उनके गृह क्षेत्र बीजापुर भोपालपटनम गीदम, भैरमगढ़ आदि दक्षिण-बस्तर क्षेत्र के किसानों की बाड़ियों में भी पहले से लगे पेड़ों पर तथा गांव से साथ लगे जंगलों के पेड़ों पर काली मिर्च लगवाने का कष्ट करें। इसमें कोई शक नहीं कि इस योजना से, बस्तर के आदिवासियों की आय में अभूतपूर्व वृद्धि किया जा सकता है। इस कार्य में उन्होंने मां दंतेश्वरी हर्बल समूह से आगे आने का आवाहन किया तथा हर संभव सहयोग देने का वादा किया।
यहां लगभग पांच एकड़ के मानव निर्मित जंगल में, अपने प्राकृतिक रहवास में फलते-फूलते 25 दुर्लभ तथा विलुप्तप्राय औषधीय पौधों (#Endangered_Species_of_Medicinal_Plants) के साथ ही लगभग 340 प्रजाति के संरक्षित विभिन्न औषधीय पौधों वाले समृद्ध “इथनो मेडिको गार्डन” को देख कर सभी के चेहरों पर झलक रही खुशी देखने लायक थी। भ्रमण के उपरांत #CSIR_IHBT के सहयोग से विकसित की गई शक्कर से 25 गुना मीठी,फिर भी जीरो कैलोरी वाली मीठी तुलसी यानि की #स्टीविया #Stevia की पत्तियों को चखा कर मुंह मीठा कराया गया। चूंकि अब तक हम सब काफी पैदल चल चुके थे। इसलिए तरोताजा होने के लिए हम सभी ने बिना शक्कर और बिना चाय पत्ती वाली,, स्टीविया सहित दर्जनों जड़ी बूटियां से #मां_दंतेश्वरी_हर्बल द्वारा यहां कोंडागांव में ही तैयार की गई बेहतरीन स्वादिष्ट तथा स्वास्थ्यवर्धक #हर्बलचाय ( #HerbalTea ) भी पी। कार्यक्रम की दूसरे चरण में मां दंतेश्वरी हर्बल के ‘हर्बल इस्टेट’ परिसर के “बईठका-कक्ष” में भाई राजाराम तोड़ेम जी,राजेंद्र थवाईत तथा विजय जी का “मां दंतेश्वरी हर्बल समूह” की ओर से जसमती नेताम,अनुराग कुमार, शंकर नाग, कृष्णा नेताम के द्वारा अंगवस्त्रम से नागरिक सम्मान किया गया तथा अपने अधिकतम उत्पादन एवं बेहतरीन गुणवत्ता के कारण देश विदेश में धूम मचाने वाली बस्तर में ही विकसित की गई “मां दंतेश्वरी काली मिर्च-16” भी उन्हें सादर भेंट की गई।