महासमुंद। शिक्षा विभाग में कैसे नियमों को ताक पर रख अपने चहेतों को मनचाहा स्कूल देने का खेल खेला जा रहा है. इसका जीता जागता उदाहरण महासमुंद जिले में देखने को मिल रहा है. जी हां, एक तरफ शिक्षक के अभाव में जहां जिले के स्कूलों में तालाबंदी आम बात हो चुकी है. वहीं शिक्षा विभाग के आला अधिकारी शासन के नियमों को दर किनार करते हुए अपना खुद का नियम चलाते हुए एक स्कूल में दो – दो प्रधान पाठक की नियुक्ति कर दे रहे हैं और ऊपर से नीचे तक मिले अधिकारी गलत होना जानते हुए भी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए गलत आदेश का क्रियान्वयन करा कर अपने आप को पाक साफ बता रहे हैं.
महासमुंद मुख्यालय से 12 किमी दूर स्थित शासकीय प्राथमिक कन्या शाला तुमगांव है. जहां कक्षा पहली से लेकर पाचंवी तक के 86 छात्र – छात्राएं पढ़ाई करते हैं. इन बच्चों को पढ़ाने के लिए शासन ने बकायदा एक प्रधान पाठक व तीन सहायक शिक्षक पदस्थ कर रखा है. यहा की प्रधान पाठक करमता भांडेकर की नियुक्ति वर्ष 1998 मे हुई है और ये मई 2024 में सेवानिवृत्त होंगी पर शिक्षा विभाग के आला अधिकारी नियमों को दर किनार करते हुए अपने चहेतो को लाभ देते हुए जून 2023 को परसराम साहू को दूसरे प्रधान पाठक के रूप में पदस्थ कर दिया और परसराम साहू ज्वाइन कर अपनी सेवा देने के साथ बकायदा वेतन भी ले रहे है. शासन के नियमानुसार एक स्कूल में दो प्रधान पाठक की नियुक्ति नहीं की जा सकती. पहले से प्रधान पाठक के पद पर पदस्थ प्रधानपाठिका गलत मानते हुए अधिकारी के आदेशों का पालन करने की बात कह रही है.
इस पूरे मामले में नये प्रधान पाठक का सैलरी निकालने वाले ब्लाक शिक्षा कार्यालय के लेखापाल कमलेश चन्द्राकर का कहना है कि नियम के अनुसार नियुक्ति नहीं की जा सकती और न ही सैलरी वहां से निकाली जा सकती है. लेकिन अधिकारी का आदेश है तो पालन किया जा रहा है.
दूसरे नव नियुक्त प्रधान पाठक परसराम साहू का कहना है कि ऐसा आदेश मेरा ही नहीं और लोगों का भी हुआ है. सेवानिवृत्त के प्रत्याशा में किया गया है.