acn18.com कोरबा/राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के निर्देशों की धज्जियां उड़ाने का काम कोरबा जिले में जमकर हो रहा है। बिजली घरों से निकलने वाली राख का परिवहन खुले तरीके से करने के कारण कई प्रकार की समस्याएं पैदा हो रही हैं। बरबसपुर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी राख की समस्या से कुछ ज्यादा ही प्रभावित है। लोगों ने प्रशासन से राहत दिलाने की मांग की है।
कोरबा जिले में कोयला खदानों और बिजली घरों की गतिविधियों से रोजगार के अवसर में बढ़ोतरी हुई है लेकिन कई प्रकार की समस्याओ का जन्म भी हुआ है। बिजली घर से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में राख का उत्सर्जन हो रहा है और इसके सुरक्षित भंडारण एवं परिवहन का काम नहीं होने के चलते समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के द्वारा राख की शत-प्रतिशत उपयोगिता और कुछ मामलों में परिवहन को सुरक्षा के साथ करने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन देखने को मिल रहा है कि राख का परिवहन असुरक्षित रूप से कराया जा रहा है जिससे विभिन्न क्षेत्रों में प्रदूषण की चुनौती पैदा हो रही है। कोरबा चंपा मार्ग पर बरबसपुर क्षेत्र की जनता इस समस्या से दो-चार हो रही हैं। ग्रामीणों ने बताया कि समाधान के लिए प्रशासन को अवगत कराया गया लेकिन कुछ नहीं हुआ। प्रदूषण की वजह से लोग बीमार पड़ रहे हैं और उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा उपचार पर खर्च हो रहा है।
इससे पहले भी कोरबा जिले में बिजली घरों से निकलने वाली राख को यहां वहां डंप कर दिए जाने को लेकर लोगों की ओर से आपत्ति जताई जाती रही है। इस मसले पर प्रदर्शन भी हो चुके हैं। सरकारी तंत्र की ओर से पेनल्टी लगाने का काम कुछ अवसर पर जरूर किया गया है लेकिन इसका कोई असर राख ट्रांसपोर्ट करने वाले वर्ग पर नहीं पड़ा है।