Acn18.com/छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में नक्सली हमले में शहीद हुए 2 जवानों का कारली के शांतिकुंज में ही अंतिम संस्कार किया गया। माओवादियों ने फरमान जारी करते गांवों में शव लाने से मना कर दिया था। यदि शव लाया जाता तो अंजाम बुरा होने की धमकी भी दी थी। सुरक्षा के लिहाज से परिजनों को दंतेवाड़ा बुलाया गया और यहीं शवों का अंतिम संस्कार किया गया। इधर, माओवादियों ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि, हमारी लड़ाई पुलिस के साथ नहीं है। नौकरी छोड़ो और जिंदगी जिओ।
दरअसल, जिन जवानों की शहादत हुई उनमें से एक जवान जोगा कवासी नक्सल प्रभावित गादम और एक दुलगो मंडावी मारजुम के रहने वाले थे। इनकी शहादत के बाद इनके शवों को गांव में लाने की नक्सलियों ने मनाही कर दी गई थी। इसके बाद इन दोनों जवानों के परिजनों ने गांव वालों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए खुद दंतेवाड़ा पहुंचे। जहां पुलिस जवानों के साथ मिलकर रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। जिस गांव में जन्में शहादत के बाद उस गांव में शव तक नहीं ले जा पाए।
नक्सली बोले- PLGA ने की वारदात
माओवादियों के दरभा डिवीजन कमेटी के प्रवक्ता साईनाथ ने प्रेस नोट जारी किया है। माओवादियों ने कहा कि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले नक्सलियों का उन्मूलन कर देंगे। अब अरनपुर में हमारी PLGA ने वारदात की है। साईनाथ ने कहा कि, बस्तर में पुलिस फोर्स में भर्ती के लिए योग्यता और मापदंड भी बदल दिया गया है। अनपढ़ और फिजिकल फिटनेस नहीं होने के बावजूद भी सिर्फ शिकार करने में माहिर लोगों को DRG में भर्ती किया जा रहा है। ऐसे लोगों को पहले प्राथमिकता दी जा रही है।
माओवादियों ने पुलिस जवानों से कहा कि, आप पुलिस की नौकरी छोड़ दीजिए। फोर्स में भर्ती न होकर सम्मान पूर्वक तरीके से जिंदगी जिएं। दूसरे विभागों में नौकरी करें। सरकार के विरोध में संघर्ष कीजिए। हमारी लड़ाई सामंतवाद, नौकरशाह पूंजीपति और साम्राज्यवाद के खिलाफ है। केंद्र और राज्य सरकारें इनके लिए काम कर रही है। इसके लिए पुलिस को एक औजार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। सरकार सिर्फ पुलिस विभाग को छोड़कर बाकी सभी विभागों में नियुक्तियां बंद कर दी है।