Acn18.com/कांकेर जिले के पखांजूर में धर्म परिवर्तन करने वाले ग्रामीण की मौत के बाद शव को वार्ड क्रमांक- 1 में दफनाए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। शव को बाहर निकालने और कब्रिस्तान के लिए अवैध तरीके से आवंटित की गई भूमि को निरस्त करने की मांग को लेकर रविवार को पखांजूरवासियों ने बंद का आह्वान किया है।
बंद के आह्वान पर रविवार को पखांजूर में सभी दुकानें बंद हैं। शहर के तनावपूर्ण हालात को देखते हुए चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात किया गया है। वहीं स्थानीय लोगों का धरना-प्रदर्शन थाने के सामने लगातार दूसरे दिन भी जारी है।
ये है पूरा मामला
पखांजूर से 12 किलोमीटर दूर माचपल्ली गांव में शुक्रवार को दिलीप पिस्दा (50 वर्ष) की मौत तबियत बिगड़ने के बाद हो गई थी। इसके बाद जब परिजनों ने मृतक का अंतिम संस्कार करना चाहा, तो ग्रामीणों ने धर्म परिवर्तन करने के कारण गांव में शव नहीं दफनाने दिया। परिजनों ने उनसे काफी निवेदन किया, मगर लोग नहीं माने।
इसके बाद परिजन शव को लेकर पखांजूर पहुंच गए। उन्होंने वहां प्रशासन से शव दफनाने के लिए जगह की मांग की। इस पर प्रशासन ने परिजनों को वार्ड क्रमांक- 1 के पास पहाड़ी पर शव दफनाने के लिए कहा। परिजनों ने भी वहां शव दफना दिया, फिर वहां से चले गए। इधर शनिवार को स्थानीय लोगों को इस बात की जानकारी मिली, तो लोग नाराज हो गए। लोगों ने थाने का घेराव कर दिया और जमकर नारेबाजी की।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां कोई कब्रिस्तान नहीं है। तत्कालीन एसडीएम ने बिना नगर पंचायत की अनुमति के यहां ईसाई धर्म के लिए कब्रिस्तान अलॉट किया है, जो अवैध है। शनिवार को दिन भर थाने के सामने विरोध-प्रदर्शन होता रहा। अब रविवार सुबह से ही स्थानीय लोग फिर से थाने के सामने जमा हो गए हैं और विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं बंद के आह्वान पर सुबह से ही सारी दुकानें पूरी तरह से बंद हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है।
शव निकालने तक आंदोलन जारी रखने की चेतावनी
स्थानीय लोगों ने शव को बाहर निकालने और कब्रिस्तान के लिए अवैध तरीके से आरक्षित की गई जमीन को रद्द करने तक आंदोलन जारी रखने की बात कही है। पुलिस-प्रशासन की समझाइश के बाद भी आंदोलन जारी है।
प्रशासनिक बैठक जारी
इस मामले को लेकर पुलिस और प्रशासन की टीम स्थानीय लोगों के साथ बैठक कर रही है। हालांकि अब तक मसले का हल नहीं निकल सका है। यह पहला मामला नही है, जब धर्म परिवर्तन करने के बाद शव दफन को लेकर विवाद खड़ा हुआ है। इसके पहले आमाबेड़ा, कांकेर, अंतागढ़ में भी इसी तरह के विवाद हो चुके हैं।