Acn18.com/छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के सेंट्रल जेल में विचाराधीन बंदी की संदिग्ध परिस्थतियों में मौत हो गई। उसके परिजनों ने जेल प्रबंधन और कैदियों पर मारपीट करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सुबह उसका भाई जेल में मिलने गया था। लेकिन, उसे नहीं बुलाया गया। बंदी के पीठ सहित शरीर में कई जगह चोट के निशान है। इधर, जेल प्रबंधन ने उसके बीमार होने पर इलाज के दौरान सिम्स में मौत होने की बात कही है।
सिविल लाइन थाना क्षेत्र के तालापारा भरत चौक स्थित गीतांजली कॉलोनी निवासी रानू उर्फ शाहिर अहमद पिता सिराज अहमद (51) को पुलिस ने 23 अप्रैल 2021 को जेल भेजा था। उसके खिलाफ मारपीट और एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज है और प्रकरण कोर्ट में लंबित है। बताया जा रहा है कि उसे जेल के जनरल वार्ड में रखा गया था।
जेल अधीक्षक बोले- मनोरोगी था बंदी, इलाज के दौरान हुई मौत
जेल अधीक्षक खोमेश मंडावी ने बताया कि जेल आने के बाद से उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। वह मनोरोगी था और जेल में उसका इलाज चल रहा था। उसे रोज दवाई दी जाती थी और उसकी स्थिति सामान्य थी। सोमवार की रात अचानक उसकी तबीयत खराब हुई। उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और तेज बुखार भी था। प्रारंभिक जांच और इलाज के बाद उसे रात 9 बजे सिम्स रेफर किया गया था, जिसके बाद इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
परिजन बोले- नहीं था बीमार
मृतक बंदी शाहिर अहमद के परिजनों का कहना है कि वह कोई मानसिक रोगी नहीं था। जेल में वह स्वस्थ्य था। परिजन लगातार उससे मिलने भी जाते थे और उसका हाल चाल लेते रहते थे। उन्होंने आरोप लगाया कि जेल प्रबंधन अपनी गलती छिपाने के लिए उसे बीमार बता रहा है।
सुबह से दोपहर तक इंतजार करता रहा भाई
इधर शाहिर अहमद के भाई छोटे भाई जफर अहमद खान का आरोप है कि उन्हें मौत की सूचना मंगलवार दोपहर को दी गई। मौत के भी कारणों की भी जानकारी नहीं दी गई है। एक दिन पहले सोमवार को वह बड़े भाई से मिलने गया था। उसने चिट भी भेजा था। उसके इंतजार में दोपहर 2 बजे तक वह जेल के बाहर खड़ा रहा। लेकिन, उसे नहीं भेजा गया। परिजनों का कहना है कि वह जेल से पैदल चलकर आने की स्थिति में नहीं रहा होगा। या फिर चोट लगने और मारपीट की जानकारी बाहर परिजनों को होने के डर से उसे मिलने नहीं दिया गया होगा।
जेल में हुआ था गैंगवार, कई बंदियों की हो चुकी है मौत
कुछ समय पहले सेंट्रल जेल में बंद बदमाशों के बीच गैंगवार भी हुआ था। इस हमले में वसीम गैंग के बदमाशों ने मैडी गैंग के सिद्धार्थ शर्मा पर हमला कर दिया था, जिससे उसके सिर में गंभीर चोटें आई थी। इससे पहले भी केंद्रीय जेल में कई बंदियों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है। मस्तूरी क्षेत्र के एक बंदी युवक की मौत पर परिजनों ने हत्या का आरोप लगाया था। वहीं, कोटा क्षेत्र के एक युवक को आबकारी एक्ट में जेल भेजा गया था, जिसके चार दिन बाद ही उसकी मौत हो गई थी। जेल में जितने भी बंदियों की मौत होती है, उसे जेल प्रबंधन की ओर से बीमारी की वजह से मौत होने के बहाने केस को रफादफा कर दिया जाता है।
चार माह पहले भी जेल में युवक की हुई थी मौत
बीते 10 फरवरी को कोटा क्षेत्र के गनियारी निवासी उमेंद्र वर्मा पिता रंगलाल (24) 13 लीटर महुआ शराब के साथ गिरफ्तार किया गया था। 11 फरवरी को उसे जेल भेज दिया गया था और 12 फरवरी की रात युवक की अचानक तबीयत बिगड़ने की वजह से मौत हो गई। उसके पिता रंगलाल वर्मा का आरोप था कि उमेंद्र की मौत स्वाभाविक नहीं है। उसकी बेरहमी से पिटाई की गई है। पैसे नहीं देने पर जबरदस्ती आबकारी के केस में फंसाया गया है।
पचपेड़ी के युवक के शरीर में मिले थे चोट के निशान
पचपेड़ी थाना क्षेत्र के चिल्हाटी निवासी छोटेलाल यादव (33) पिता चैनूराम यादव के घर में पिछले 10 मई 2022 को आबकारी विभाग के आनंद कुमार वर्मा और 15 लोगों ने दबिश दी थी। छोटेलाल पर आरोप था कि वह शराब की अवैध बिक्री करता था। दावा किया गया कि उसके पास से 20 लीटर महुआ शराब जब्त किया गया। इस केस में उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इधर, चार दिन बाद अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई और उसे गंभीर हालत में सिम्स ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।