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एक देश-एक चुनाव को लेकर समिति ने चर्चा शुरू की:केंद्र सरकार ने कहा- लोकसभा चुनाव समय से पहले या बाद में करवाने का इरादा नहीं

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Acn18.com/देश में लोकसभा चुनाव समय से पहले या बाद में करवाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। यह बात केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने रविवार देर रात एक इंटरव्यू में कहा। ठाकुर ने कहा, ‘आम चुनाव समय से पहले या बाद में करवाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है।’

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उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल के आखिरी दिन तक देश और जनता की सेवा करना चाहते हैं। भाजपा लंबे समय से एक चुनाव के समर्थन में है। इससे समय-धन बचेगा। इसका इस्तेमाल गरीबों के लिए, देश के विकास के लिए हो सकता है।’

दरअसल, संसद का विशेष सत्र बुलाने और एक देश-एक चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति के गठन के बाद ऐसी अटकलें बढ़ गईं कि लोकसभा चुनाव समय से पहले हो सकते हैं।

वहीं, एक देश- एक चुनाव पर रामनाथ कोविंद कमेटी ने अधिसूचना जारी होने के अगले ही दिन इस पर काम शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय कानून मंत्रालय के टॉप ऑफिसर्स ने रविवार को पूर्व राष्ट्रपति कोविंद से मुलाकात कर उन्हें एक देश-एक चुनाव के मसले पर ब्रीफिंग दी है। केंद्रीय कानून सचिव और इस कमेटी के सचिव नितेन चंद्रा, विधायी सचिव रीता वशिष्ठ और अन्य ने भी कोविंद से इसे लेकर मुलाकात की है।

एक देश-एक चुनाव पर विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया…

1. राहुल ने कहा – वन नेशन-वन इलेक्शन का आइडिया संघ और राज्यों पर हमला

  • कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स (जो पहले ट्विटर था) पर लिखा कि मोदी सरकार चाहती है कि लोकतांत्रिक भारत धीरे-धीरे तानाशाही में तब्दील हो जाए। ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर कमेटी बनाने की यह नौटंकी भारत के संघीय ढांचे को खत्म करने का हथकंडा है। 2024 में लोगों के पास ‘वन नेशन वन सॉल्यूशन’ है- भाजपा के कुशासन से छुटकारा पाना।
  • वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि देश के लिए क्या जरूरी है? वन नेशन वन इलेक्शन या वन नेशन वन एजुकेशन (अमीर हो या गरीब, सबको एक जैसी अच्छी शिक्षा), वन नेशन वन इलाज (अमीर हो या गरीब, सबको एक जैसा अच्छा इलाज), आम आदमी को वन नेशन वन इलेक्शन से क्या मिलेगा?
  • एक देश-एक चुनाव कमेटी में 8 सदस्य, अधीर रंजन और गुलाम नबी का भी नाम
    एक देश-एक चुनाव के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनाई गई समिति के लिए सरकार ने 2 सितंबर को आठ सदस्यों का नाम जारी किया था।

    इनमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और राज्यसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी का नाम शामिल है।

    इनके अलावा समिति में 15वें​ वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ. सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी भी हैं।

    केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य और विधि विभाग के सचिव नितेन चंद्र समिति के सचिव होंगे।

    अधीर रंजन चौधरी ने कमेटी में शामिल होने से इनकार करते हुए कहा कि नतीजे पहले से ही तय हैं। हालांकि, सरकारी सूत्रों के हवाले से न्यूज एजेंसी ANI ने कहा कि नामों के साथ नोटिफिकेशन जारी होने से पहले अधीर रंजन चौधरी ने ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव कमेटी’ का हिस्सा बनने के लिए अपनी सहमति दे दी थी।

  • अधीर रंजन बोले- मैं इस कमेटी में काम नहीं करूंगा
    कमेटी में नाम आने के बाद अधीर रंजन ने गृहमंत्री अमित शाह को लेटर लिखा था। उन्होंने कहा कि मैं इस समिति में काम नहीं करूंगा। इसका गठन ऐसे किया गया है कि नतीजे पहले से तय हो सकें। आम चुनाव से पहले ऐसी समिति सरकार के गुप्त मंसूबों की ओर इशारा करती है, जिसमें संवैधानिक रूप से एक संदिग्ध व्यवस्था को लागू करने की कोशिश की जा रही है।

    उन्होंने कहा कि राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को शामिल नहीं करना संसदीय लोकतंत्र का अपमान है।

  • सरकार ने कहा- हर साल बिना तय समय होने वाले चुनाव रुकने चाहिए
    दिसंबर 2015 में संसद की स्थायी समिति ने अपनी 79वीं रिपोर्ट में लोकसभा और विधानसभा चुनाव दो चरणों मे करवाने की सिफारिश की थी। शनिवार को जारी अधिसूचना में सरकार ने विधि अयोग की 170वीं रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि हर साल और बिना तय समय के होने वाले चुनाव रुकने चाहिए।

    सरकार ने कहा कि एक बार फिर 1951-52 से 1967 तक चली एक देश एक चुनाव की व्यवस्था की ओर लौटना चाहिए। अलग चुनाव अपवाद की स्थिति में होना चाहिए। नियम यह हो कि लोकसभा और विधानसभाओं के लिए चुनाव पांच साल में एक बार होने चाहिए।

  • मोदी सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक विशेष सत्र बुलाया
    एक देश एक चुनाव की चर्चा के बीच केंद्र सरकार ने संसद का पांच दिन विशेष सत्र बुलाया है। यह 18 सितंबर से शुरू होकर 22 सितंबर तक चलेगा। यह 17वीं लोकसभा का 13वां और राज्यसभा का 261वां सत्र होगा। इसमें 5 बैठकें होंगी। इस सत्र को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं। यह सत्र क्यों बुलाया गया है, इसे लेकर सरकार की तरह से अभी कोई बयान नहीं आया है।
  • संसद में 5 दिन का सत्र और 5 संभावनाएं

    • महिलाओं के लिए संसद में एक-तिहाई अतिरिक्त सीट देना।
    • नए संसद भवन में ​शिफ्टिंग।
    • यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पेश हो सकता है।
    • लोकसभा-विधानसभा चुनाव साथ कराने का बिल आ सकता है।
    • आरक्षण पर प्रावधान संभव। (OBC की केंद्रीय सूची के उप-वर्गीकरण, आरक्षण के असमान वितरण के अध्ययन के लिए 2017 में बने रोहिणी आयोग ने 1 अगस्त को राष्ट्रपति को रिपोर्ट दी है।)
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