Acn18.com/हमारे मोहल्ले में ही स्कूल और हमारे बच्चों को ही प्रवेश नहीं, आखिर क्यों? इस सवाल के साथ कुछ पालक पंप हाउस कॉलोनी में संचालित स्वामी आत्मानंद विद्यालय पहुंचे । इन लोगों को भ्रम है कि बाहर के बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है और हमारे बच्चे वंचित किया जा रहे हैं। प्राचार्य ने स्पष्ट किया कि यहां शिक्षा के अधिकार वाली व्यवस्था नहीं है, जैसा कि लोग समझ रहे हैं।
सरकारी स्कूलों के बच्चे भी अंग्रेजी माध्यम से बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सके इस उद्देश्य के साथ पिछले वर्षों में छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा स्वामी आत्मानंद के नाम से विद्यालयों की शुरुआत की गई। यहां अंग्रेजी माध्यम वाले शिक्षक नियुक्त किए गए जो विद्यार्थियों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। नवीन भर्तियों में सभी पदों के लिए बैचलर आफ एजुकेशन की डिग्री अनिवार्य की गई है। स्वामी आत्मानंद विद्यालय मैं बच्चों को प्रवेश देने की प्रक्रिया सरकार ने निर्धारित की है और इसके हिसाब से काम किया जा रहा है। शिक्षा के अधिकार आरटीई वाली व्यवस्था इस संस्था में लागू नहीं है, यह बात पलकों को याद रखना चाहिए। इसलिए अपने बच्चों के मामले में आवेदन करने वाले लोगों को अनेक मौके पर ऐसा लगता है कि दूसरों का चयन हो रहा है और वह सुविधा से वंचित हो रहे हैं। कुछ इसी तरह की शिकायत को लेकर पंप हाउस कॉलोनी क्षेत्र में रहने वाले लोग यहां पहुंचे थे। चित्ररेखा दीवान और जनकी महंत की बातों को सुनकर कुछ ऐसा ही लगा। इनका तर्क है कि इस इलाके के बच्चों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ना कि बाहर के लोगों को।
कुछ लोगों ने इस मामले को लेकर विद्यालय के प्राचार्य से संपर्क किया और अपनी बात रखी। मीडिया से चर्चा करते हुए प्राचार्य विवेक लांडे ने लोगों की गलतफहमी को दूर करते हुए स्पष्ट किया कि पहली बात तो विद्यालय सीएसईबी माध्यम का है और यहां पर बच्चों के प्रवेश के मामले में आरटीई यानी शिक्षा का अधिकार जैसी व्यवस्था नहीं है। सभी कक्षाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन करने होते हैं और स्कूटी के बाद लॉटरी की प्रक्रिया अपनाई जाती है। स्वाभाविक रूप से जिनके नाम के लॉटरी निकलती है वही प्रवेश के लिए पात्र होते हैं बाकी नहीं
प्राचार्य ने बताया कि प्रवेश से पहले लॉटरी की प्रक्रिया को भी पारदर्शी बनाया गया है जिसकी वीडियोग्राफी की जाती है। इस अवसर पर प्रशासन के प्रतिनिधि के साथ जनप्रतिनिधि और पालको की उपस्थिति भी होती है।
तो इस तरह की है व्यवस्था स्वामी आत्मानंद शासकीय हायर सेकेंडरी विद्यालयों की। यहां पर वर्तमान में जिन बच्चों का प्रवेश हुआ है वह सभी निश्चित व्यवस्था के अंतर्गत यहां तक पहुंचे हुए और आगे जो भी आएंगे उन्हें भी इसी रास्ते पर चलना होगा। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को शिक्षा के अधिकार के तहत सरकारी और निजी विद्यालयों में निशुल्क पढ़ाने की व्यवस्था की गई है। जिले में सभी तरफ ऐसे विद्यालयों की संख्या पर्याप्त है और शिक्षा सत्र की शुरुआत के साथ वहां आवेदन की प्रक्रिया शुरू होगी।