Acn18.com/कोरबा के लब्ध प्रतिष्ठित पत्रकार, साहित्यकार सुरेश चंद्र रोहरा का बीती रात हार्ट अटैक से निधन हो गया। लगभग 57 वर्षीय श्री रोहरा ने अपने निधन से कुछ घंटे पूर्व एक गीत सुनाया था यह गीत भी समाज की पीड़ा को अभिव्यक्त करने वाला था।
प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा कोरबा में आयोजित बहुभाषी कवि गोष्ठी में संघ के अध्यक्ष और संयोजक सुरेश रोहरा ने अन्य कवियों की तरह एक गीत सुनाया। यह गीत देश के विभाजन के पश्चात पाकिस्तान से भारत आने को विवश हुए सिंधी समाज के लोगों की पीड़ा को व्यक्त करता है।
इस गीत का मुख्य अंश आपको सुनाया जाए इससे पहले आप यह भी जान ले की सुरेश रोहरा कोरबा के साहित्यकारों और पत्रकारों में विशिष्ट स्थान रखते थे। उनकी लेखनी सदैव सर्वहारा वर्ग के कष्ट के इर्द-गिर्द भ्रमण करती थी। उन्होंने लगभग 35 वर्ष की पत्रकारिता में उन सामाजिक विसंगतियों को उजागर किया जिसकी और किसी का ध्यान नहीं जाता था। गांधीवादी सुरेश रोहरा ने गद्य और पद्य दोनों विधाओं में लिखकर अनेकों बार अपनी प्रतिभा से पाठकों को प्रभावित किया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी सुरेश चंद्र प्रगतिशील लेखक संघ के कार्यक्रम में शामिल होने के बाद घर पहुंचे थे और थोड़ी देर बाद ही उनका हृदय घात से निधन हो गया। सारी जिंदगी दूसरों का दर्द साझा करने वाले सुरेश चंद्र ने आखरी कविता पाठ में भी अपने समाज की पीड़ा को स्वर दिया और इस दुनिया को अलविदा कह गए।