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साय के सुशासन से सफलता, रमन को केंद्र में मिलेगा मौका!

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ACN18.COM    रायपुर । हाल ही संपन्न हुए नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय चुनाव में भाजपा की बंपर जीत के पीछे मोदी की गारंटी , साय का सुसाशन और पुराने व भाजपा के निष्ठावान नेताओं की मेहनत को माना जा रहा है। जिन्होंने कांग्रेस को अपनी रणनीति से प्रदेश की राजनीतिक पटल से बाहर कर दिया। मोदी की गारंटी और मुख्यमंत्री साय के सुसाशन ने कांग्रेस को चारों खाने चित कर दिया है। जिस तरह से कांग्रेस में गुटबाजी देखने मिली वैसा भाजपा में कहीं दिखाई नहीं दिया। विधानसभा अध्यक्ष डा रमन सिंह सहित सारे मंत्री विधायक और कार्यकर्ताओं ने मोदी की गारंटी और साय के सुसाशन को कोने कोने तक पहुंचाया और जबरदस्त जीत हासिल कर अपने काम का लोहा मनवाया। 2018 से 2023 तक कांग्रेस की सरकार ने भ्रष्टाचार, घोटाला किए उसे मुद्दा बनाकर लगातार विधानसभा के बाद लोकसभा और अब त्रिस्तरीय चुनाव में भाजपा की बंपर जीत की रणनीति को अमलीजामा पहनाकर मुक्कमल जीत का रास्ता तय किया। केंद्रीय नेतृत्व इस जीत का इनाम डा. रमनसिंह को जल्द देने की जानकारी मिल रही है। हालाँकि 2018 में ही राज्यपाल बनाने की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। पर वे राज्य की राजनीति में सक्रिय रहना चाहते थे, और अपनी मंशा से केंद्रीय नेतृत्व को अवगत भी करा दिया था।

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समय के साथ सब कुछ बदलता रहा। मुख्यमंत्री साय के साथ मिलकर डा रमन सिंह ने चुनाव मैनेजमेंट को बखूबी सम्हाल कर निकाय चुनाव में भी कमल खिलाया, इसके बदले केंद्रीय संगठन उपराष्ट्रपति पद के लिए उनकी जगह सुरक्षित कर सकती है। उनके नाम पर किसी भी नेता को कोई आपत्ति भी नहीं होने वाली है। 2018 में छत्तीसगढ़ में भाजपा के सत्ता से बाहर होते ही डा. रमनसिंह लगातार भाजपा को सत्ता में लाने के लिए मेहनत मशक्कत करते रहे। डा. रमनसिंह ने सारे निष्ठावान नेताओ्ं और कार्यकर्ताओं जोड़े रखा । उनके होसले बढ़ाते रहे । ये राजनीति है जनता कभी -कभी गलत फैसला भी ले लेती है। लेकिन अगले चुनाव में उस गलती को दोहराने के बजाय सुधारने के लिए तत्पर रहती है। और यही हुआ । 2023 के विधानसभा चुनाव डा. रमनसिंह के नेतृत्व में लड़ा गया और कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर भाजपा को सत्ता में वापसी कराया और मुख्यमंत्री चयन में किसी तरह का सवाल नहीं उठाया, केंद्रीय नेतृत्व के आदेश का पालन किया। उनके इस त्याग के कारण केंद्रीय संगठन उनका प्रमोशन कर सकती है। अब नगरीय निकाय चुनाव में प्रदेश में ट्रिपल इंजन सरकार बनाने मधुसूदन यादव को महापौर की टिकट दिलाकर जीत दर्ज कराया है।

डा. रमनसिंह 2014 के चुनाव में जब अभिषेक सिंह को सांसद का टिकट मिला तो मधुसूदन को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी । डा. रमनसिंह एक बार कई बार इस बात को दोहरा चुके है कि अभिषेक और मधुसूदन में कोई अंतर नहीं है दोनों ही मेरे पुत्र है। इसका असर राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र में देखने को मिला। संतोष पांडेय को दो बार लोकसभा भेजने में भी डा. रमनसिंह और अभिषेक सिंह का बहुत बड़ा योगदान है। डा. रमनसिंह ने भाजपा के लिए जो त्याग किया उसके बारे में केंद्रीय नेतृत्व कुछ बड़ा सोच रही है। निकट भविष्य़ में कोई बड़ी खुशखबरी मिल सकती है। राज्यपाल के लिए तो स्वयं डा. रमनसिंह ने मना कर दिया था, अब कयास लगाए जा रहे हैं कि उपराष्ट्रपति जैसे सम्मानजनक पद के लिए नामित किया जा सके तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। पार्टी में राजनीतिक पैठ रखने वालों का तो कहना है कि देर सबेर डा. रमनसिंह केंद्र में किसी अहम पद पर होंगे यह तय माना जा रहा है। साथ ही यह भी माना जा रहा है की अभिषेक सिंह को उनके जगह देकर उपकृत किया जा सकता है।

राज्य में ट्रिपल इंजन सरकार बनने के बाद अब मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। शायद मुख्यमंत्री इसी सिलसिले में मंजूरी लेने दिल्ली रवाना हो गए है। वैसे सीएम साय कल दिल्ली में भाजपा सरकार की शपथ समारोह में शामिल होने के बाद केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात कर सकते है। जिसमें मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर मंजरी ले सकते है। मंत्रिमंडल विस्तार की दौड़ में सबसे आगे दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव और बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल का नाम है।

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