Acn18.com/दुर्ग जिले पाटन क्षेत्र के घुघुआ गांव में संचालित आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल के बच्चों ने फ्यूल चोरी रोकने की ऐसी डिवाइस बनाई कि उसे देखने के लिए IIT असम और IIT दिल्ली में उन्हें बुलाया गया। इन बच्चों के अविष्कार ने IIT असम में आयोजित जोनल नेशनल इनोवेशन में फर्स्ट प्राइज जीता है।
मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन इनोवेशन सेल (MIC) और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) कि ओर से इनोवेशन डिजाइन एंड एंटरप्रेन्योरशिप बूट कैंप का आयोजन 22 जून से 26 जून तक देश के 6 जोन में किया गया था। इसमें स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल घुघुवा (k), पाटन के छात्र आयुष जोशी और पुर्वेश निषाद के बनाए गए प्रोजेक्ट स्मार्ट व्हीकल का चयन आईआईटी असम गुवाहाटी के लिए किया गया था। वहां से फर्स्ट प्राइज जीत कर दुर्ग लौटे बच्चों ने आईआईटी जैसी बड़ी संस्था में जाने का अनुभव भास्कर के साथ शेयर किया।
छात्र पुर्वेश निषाद ने बताया कि वो बचपन से सुनता था कि पेट्रोल पंप में कम तेल डालकर फ्यूल की चोरी की जा रही है। इस समस्या को देखकर उसने इसे रोकने की डिवाइस बनाने का फैसला किया। उसने अपने साथियों से साथ मिलकर ऐसा प्रोजेक्ट बनाया कि जो फ्यूल इंडिकेटर कांटे वाला होता है उसे मिलीमीटर रेसियो में डिजिटली डेवलप किया जाए। इससे पेट्रोल की छोटी चोरी को भी रोका जा सकता है। उनके द्वारा बनाया गया डिवाइस पेट्रोल टैंक के पास लगेगा और उसका इंडिकेटर स्पीडोमीटर के पास लगेगा। इससे जितना भी पेट्रोल होगा उतना मीटर में बताएगा।
प्रोजेक्ट में शामिल दूसरे छात्र आयुष जोशी ने बताया कि वो 12वीं कॉमर्स का छात्र है। उनके प्रोजेक्ट को ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी, आईआईटी गुवाहाटी असम में फर्स्ट प्राइज मिला है। वो इसे आगे ले जाने के लिए आईआईटी दिल्ली में इसे शामिल करेंगे। इस डिवाइस को बनाने के पीछे का मकसद पेट्रोल चोरी को रोकना है। पेट्रोल पंप में अक्सर तेल की चोरी होती है और लोगों को पता भी नहीं चलता है। इस डिवाइस से ये चोरी पकड़ी जा सकती है।
ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी से पता चला नेशनल कॉम्पिटिशन के बारे में
आत्मानंद स्कूल की टीचर मारिया जैसमिन ने बताया कि आईआईटी गुवाहाटी के इस नेशनल जोनल कॉम्पिटिशन के बारे में उन्हें ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी रायगढ़ से पता चला। उन लोगों ने पिछले साल ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी रायगढ़ में आयोजित नेशनल इनोवेशन फेस्ट 2022 अपना प्रोजेक्ट रखा था। वहां उन्हें पहला पुरस्कार मिला था। वहां से प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए 15 हजार रुपए की विनर राशि मिली थी। साथ ही वहां बताया गया था कि आईआईटी गुवाहाटी में नेशनल लेवल का आयोजन है। हमने वहां पार्टिसिपेट किया। पूरे देश से बच्चे आए थे। उनके प्रोजेक्ट को वहां सभी ने सराहा।
सात दिन के इस प्रोग्राम में बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने डिवाइस को देखा और बच्चों को काफी कुछ बताया भी। इसके बाद उनका प्रोजेक्ट फर्स्ट प्राइज भी जीता। वो पूरे बच्चों के साथ कलेक्टर दुर्ग पुष्पेंद्र मीणा के पास आई थीं। कलेक्टर ने बच्चों को दिल्ली में पार्टिसिपेट करने में मदद करने का आश्वासन दिया है।