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सरकारी अस्पतालों में कैशलेस इलाज के लिए अभी और इंतजार:यूनिवर्सल हेल्थ केयर को कानूनी दर्जा देने की तैयारी, राइट-टू-हेल्थ ला सकती है सरकार

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Acn18.com/छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में पूरी तरह से कैशलेस सुविधा के लिए मरीजों को अभी और इंतजार करना होगा। कुछ तकनीकी कारणों से अभी ये रुक गया है। कैबिनेट की अगली बैठक के बाद ही ये तय हो सकेगा कि ये सुविधा कब लागू हो सकेगी। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के मुताबिक जिस तरह राइट टू एजुकेशन में बच्चों को पढ़ने का अधिकार मिलता है, ठीक उसी तरह राइट टू हेल्थ के तहत यूनिवर्सल हेल्थ केयर में स्वास्थ्य सुविधाओं का हक मरीजों को मिलेगा।

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कानूनी दर्जा मिलने पर ही यूनिवर्सल हेल्थ केयर आएगा। तब तक इसे लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। हमर क्लिनिक, हमर लैब, डॉ खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना, मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना भी हेल्थ केयर कवरेज का ही हिस्सा हैं।

सिंहदेव के मुताबिक ये सभी स्वास्थ्य की सुविधाएं टैक्स पेयर्स के पैसे से लोगों को मिलेगी। इसके लिए अलग से पैसा नहीं देना होगा। इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने यूनिवर्सल हेल्थ केयर को स्वीकारा है। राजस्थान में हेल्थ से जुड़ा जो कानून पास किया गया ये उस दिशा में ठोस कदम है। छत्तीसगढ़ में भी बहुत सारी योजनाएं चल रही हैं। बहुत सारे इलाज मुफ्त हो रहे हैं और ये भी यूनिवर्सल कवरेज का ही एक रूप है।

कैबिनेट में मंजूरी मिलने के बाद फ्री होगी ओपीडी- टीएस सिंहदेव
1 जून से सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की घोषणा स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बजट में चर्चा के दौरान कही थी ओपीडी में लगने वाली 5 से 10 रुपए की पर्ची और घंटों लगने वाली कतार को लेकर ये ऐलान था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से इस पर चर्चा भी हुई और कैबिनेट की अगली बैठक में इसकी मंजूरी मिल सकती है।

1 जून से मुफ्त इलाज के लिए बजट में 1 रुपए नहीं दिया- बृजमोहन अग्रवाल
इस मामले में पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि सिंहदेव ने विधानसभा में घोषणा की थी कि 1 जून से प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज होगा। साथ ही दवाइयां और जांच भी निशुल्क होगा। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य में भूपेश बघेल की संवेदनहीन सरकार ने आपसी कलह में जनता का जीवन संकट में डाल दिया है।

बृजमोहन ने कहा कि सिंहदेव सिर्फ वही दावा करते हैं जो उनकी सरकार कर ही नहीं सकती। उन्हें पता है कि जब बजट में मुफ्त इलाज, मुफ्त परीक्षण, मुफ्त दवा के लिए राशि ही नहीं है तो उनकी यह योजना कैसे सफल होगी। कुल मिलाकर भूपेश बघेल और टीएस की नूरा कुश्ती में जनता पिस रही है। लुभावने वादे करके उनकी आंखों में धूल झोंका जा रहा है।

सरकारी अस्पतालों में 1 जून से मुफ्त इलाज की थी चर्चा
सभी सरकारी अस्पताल में 1 जून से मरीजों का इलाज फ्री किए जाने की चर्चा थी। जिसमें प्रदेश के 10 सरकारी मेडिकल कॉलेज, सभी जिलों के जिला अस्पतालों के ओपीडी, आईपीडी, ब्लड और रेडियो डायग्नोस्टिक, पैथालॉजी, एक्सरे जैसी सुविधाओं के लिए नगद भुगतान ना करके कैशलेस इलाज कराए जाने की बात कही जा रही थी। पब्लिक जो पैसा टैक्स के रूप में देती है उससे इलाज की भरपाई करने को कैशलेस सुविधा से जोड़कर देखा जा रहा था।

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