Acn18.com/BJP और RSS बीते कुछ महीनों से BJP का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने के लिए माथापच्ची कर रहे हैं। लिस्ट तैयार है, बस किसी एक नाम पर सहमति बनाने और अनाउंसमेंट की देर है। माना जा रहा है कि 10 से 20 मार्च के बीच अध्यक्ष के नाम का ऐलान हो जाएगा।
नया अध्यक्ष चुनने के लिए दो तरह के डिस्कशन चल रहे हैं।
पहला: किसी ऐसे लीडर को अध्यक्ष बनाने का है, जो संगठन चलाने में माहिर हो, RSS बैकग्राउंड का हो और चुनावी रणनीति में खुद को साबित कर चुका हो। ऐसा इसलिए क्योंकि आगे पंजाब, पश्चिम बंगाल, बिहार और UP जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं।
दूसरा: नया अध्यक्ष साउथ इंडिया से हो। बीते 20 साल से कोई दक्षिण भारतीय नेता BJP का अध्यक्ष नहीं बना है। दक्षिण अब भी BJP के लिए अभेद है, जिसे अगले लोकसभा चुनाव में भेदने की तैयारी है। अगले तीन साल में तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों में चुनाव होने हैं। साउथ इंडिया के लीडर को अध्यक्ष बनाने से यहां BJP को मदद मिलेगी।
सोर्स बताते हैं कि अध्यक्ष बनने की रेस में ये तीन नाम सबसे आगे हैं।
1. शिवराज सिंह चौहान, कृषि मंत्री
2. मनोहर लाल खट्टर, आवास और शहरी विकास मंत्री
3. धर्मेंद्र प्रधान, एजुकेशन मिनिस्टर
शिवराज सिंह चौहान 6 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। चार बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। मुख्यमंत्री रहते हुए लाडली बहना योजना शुरू की, जो विधानसभा चुनाव में गेमचेंजर साबित हुई। ये योजना दूसरे राज्यों के लिए रोल मॉडल बन गई। विपक्षी पार्टियों भी इसे कॉपी कर रही हैं।
शिवराज 13 साल की उम्र में RSS से जुड़ गए थे। इमरजेंसी के दौरान जेल भी गए। OBC कैटेगरी से हैं। 2005 में मध्य प्रदेश BJP के अध्यक्ष रहे हैं।
सीनियर जर्नलिस्ट प्रदीप सिंह कहते हैं कि अगर RSS की चली, तो शिवराज BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते हैं। उनके नाम पर मोदी-शाह के पास कोई नेगेटिव पॉइंट नहीं है। हालांकि, दोनों की लिस्ट में शिवराज का नाम धर्मेंद्र प्रधान के बाद दूसरे नंबर पर है। RSS की लिस्ट में शिवराज सबसे ऊपर हैं।
हरियाणा के पूर्व CM और मौजूदा केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर PM नरेंद्र मोदी के पुराने साथी हैं। उनकी दोस्ती 90 के दशक से है, जब दोनों किसी पद पर नहीं थे।
खट्टर की छवि जमीनी नेता की है। हालांकि, हरियाणा में उनके खिलाफ नाराजगी इतनी बढ़ी कि उन्हें हटाकर नायब सिंह सैनी को CM बनाना पड़ा। हरियाणा में CM पद से हटाए जाने के बाद मनोहर लाल खट्टर को केंद्रीय मंत्री बनाया गया। वे अभी करनाल सीट से सांसद हैं।
RSS में खट्टर की छवि मेहनती और ईमानदार नेता की है। खट्टर BJP जॉइन करने से 17 साल पहले RSS से जुड़ गए थे। 1977 में उन्होंने RSS जॉइन किया और तीन साल बाद पूर्णकालिक प्रचारक बन गए। 1994 में BJP जॉइन की। खट्टर को BJP का अध्यक्ष बनाने पर RSS भी राजी है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह उनके नाम पर राजी नहीं हैं। मोदी-RSS की हां के बाद अमित शाह का राजीनामा ही खट्टर को अध्यक्ष पद तक पहुंचा सकता है।
मौजूदा एजुकेशन मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान ओडिशा से आते हैं। सरकार और संगठन दोनों में पसंद किए जाते हैं। ABVP से पॉलिटिकल करियर शुरू करने वाले प्रधान 2010 में BJP के राष्ट्रीय महासचिव बने। दो बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा सांसद रहे। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में इस्पात, पेट्रोलियम और कौशल विकास मंत्री रह चुके हैं। अभी संबलपुर सीट से सांसद हैं।
2022 में UP विधानसभा चुनाव से पहले BJP ने 8 मंत्रियों की टीम बनाई थी। इसे धर्मेंद्र प्रधान ने ही लीड किया था। चुनाव में BJP ने 255 सीटें जीती थीं।
प्रधान की इमेज संगठन और पार्टी के बीच साइलेंट वॉरियर की है। ताजा उदाहरण हरियाणा का विधानसभा चुनाव है। यहां धर्मेंद्र प्रधान ने राज्य प्रभारी बिप्लव देब के साथ मिलकर विपक्ष के नैरेटिव को पहचाना और उसके सामने एंटी नैरेटिव गढ़ने में अहम भूमिका निभाई। जहां BJP के हारने की बातें हो रही थीं, वहां पार्टी बहुमत से सरकार बनाई।
इस जीत पर PM मोदी, गृह मंत्री अमित शाह के साथ RSS ने भी धर्मेंद्र प्रधान की पीठ थपथपाई थी। इससे पहले धर्मेंद्र प्रधान ने 2017 में उत्तराखंड में मोर्चा संभाला था। ओडिशा में उन्होंने लगातार 5 साल काम किया और पहली बार BJP की सरकार बनवाई।
धर्मेंद्र प्रधान की बड़ी उपलब्धियों में 2021 का पश्चिम बंगाल चुनाव भी है। प्रधान को नंदीग्राम सीट की जिम्मेदारी दी गई थी। CM ममता बनर्जी यहां से चुनाव लड़ रही थीं। पश्चिम बंगाल में ममता की पार्टी ने 213 सीटें जीतीं, लेकिन ममता नंदीग्राम नहीं बचा पाईं। BJP कैंडिडेट शुभेंदु अधिकारी ने उन्हें 1956 वोट से हरा दिया। ममता की हार का क्रेडिट भी धर्मेंद्र प्रधान को मिला।
हरियाणा में BJP से जुड़े हमारे एक सोर्स के मुताबिक, प्रधान की सबसे बड़ी काबिलियत चुनाव के नैरेटिव को समझना और उसके खिलाफ दूसरा नैरेटिव खड़ा करना है। वे ग्राउंड पर पकड़ रखते हैं। उससे भी बड़ी खासियत ये है कि वो ये सब कुछ इतना चुपचाप करते हैं कि विपक्ष को भनक तक नहीं लगती।’
‘हरियाणा में प्रधान ने वोटिंग से एक महीने पहले ग्राउंड का फीडबैक आलाकमान को देना शुरू किया। उसी हिसाब से आगे की स्ट्रैटजी बनाई गई।’
धर्मेंद्र प्रधान जितने BJP में पसंद किए जाते हैं, उतने ही RSS के करीब हैं। संगठन पर उनकी मजबूत पकड़ है। पार्टी और RSS दोनों की लीडरशिप में प्रधान को लेकर कोई नेगेटिव राय नहीं है।