Acn18.com/आज से सावन महीने की शुरुआत हो चुकी है। मंदिर में लोग शिवलिंग पर जल चढ़ाने पहुंचे। रायपुर शहर के प्राचीन शिव मंदिर महादेव घाट के हटकेश्वर महादेव मंदिर में सुबह 5:00 बजे से ही श्रद्धालु पहुंचने लगे थे। मंदिर में सावन को ध्यान में रखते हुए विशेष पूजा की जा रही है। मंदिर को लेकर ऐसी ऐसी मान्यता है कि नंदी के कानों में बताई मनोकामना भगवान भोलेनाथ सुनते हैं और पूरी करते हैं।
रायपुर के कलचुरी वंश के राजाओं ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान भोलेनाथ से मांगी गई मुरादें पूरी होती हैं। रायपुर शहर के लोग इस मंदिर के प्रति विशेष आस्था रखते हैं।
कई पीढ़ियों से यहां शिवभक्त पहुंच रहे हैं। ऐसे ही एक श्रद्धालु विनोद अग्रवाल यहां पूजा पाठ करने पहुंचे। उन्होंने बताया कि वह खुद, उनके पिताजी, उनके बेटे और पोते भी इस मंदिर में पूजा करते हैं। विनोद की तरह ही इस मंदिर में आने वाले हजारों श्रद्धालु सालों से अपने परिवार के साथ यहां पूजा करते हैं।
महादेव घाट मंदिर का इतिहास
राजधानी रायपुर से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर शहर की जीवनदायिनी मानी जाने वाली खारुन नदी तट पर ऐतिहासिक हटकेश्वर नाथ मंदिर है। ऐसा कहा जाता है कि 1402 ई में कल्चुरी राजा रामचंद्र के पुत्र ब्रह्मदेव राय के शासन काल में हाजीराज नाइक ने मंदिर का निर्माण कराया था। हरिद्वार के लक्ष्मण झूला की तर्ज पर दो साल पहले खारुन नदी के उपर सड़क रूपी झूला बनाया गया है। जबसे यह झूला बना है। तबसे यहां सैलानियों की संख्या कई गुणा बढ़ चुकी है।
श्रावण के महीने में तो हर दिन शिवजी और माता पार्वती की पूजा होती है, लेकिन सावन सोमवार का व्रत बहुत ही खास रहता है। शास्त्रों में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस कारण से सावन सोमवार का महत्व होता है।
सावन माह की प्रमुख तिथियां
इस साल अधिक मास के कारण सावन का महीना 58 दिनों तक चलेगा। सावन महीने की शुरुआत के साथ ही कई व्रत-त्योहार भी आरंभ हो जाते हैं। 4 जुलाई से सावन का महीना शुरू होकर 31 अगस्त तक रहेगा। इस दौरान कई त्योहार मनाए जाएंगे। 6 जुलाई को संकष्टी चतुर्थी, 13 जुलाई को कामिका एकादशी, 15 जुलाई को मासिक शिवरात्रि, 17 जुलाई को श्रावण माह की अमावस्या, 19 अगस्त को हरियाली तीज, 21 अगस्त नाग पंचमी, 30 अगस्त को रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाएगा।
सावन महीने का महत्व
हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन का महीना पांचवां महीना होता है। आषाढ़ खत्म होते ही श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से सावन का पवित्र महीना शुरू हो जाता है। इस माह को श्रावण के नाम से भी जाना जाता है। श्रावण का महीना भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना होता है।
भोले भंडारी को सावन का महीना प्रिय होने के पीछे एक कथा है। सावन के महीने ही मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था जिससे भगवान शिव प्रसन्न होकर मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
सावन के महीने में शिवलिंग का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है। पूरे सावन महीने के दौरान हर दिन शिवजी की पूजा-उपासना करने पर सभी तरह की मनोकामना जल्दी पूरी होती हैं। सावन के महीने में सोमवार व्रत, मासिक शिवरात्रि और कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व होता है।