acn18.com रायपुर/मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में सोमवार को कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों को 1866 करोड़ रुपए का भुगतान किए,। इस बीच अरहर,मूंग, और उड़द को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने की घोषणा की है। कैबिनेट बैठक से पहले दो मिनट का मौन रखकर मनोज मंडावी को श्रद्धांजलि दी गई। मंडावी को याद करते हुए सीएम ने कहा कि,एक बहुत अच्छा साथी हमने खोया है।
दिवाली से पहले किसानों को बड़ा उपहार
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हितग्राहियों को किया 1866 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। ये भुगतान राजीव किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना तथा राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के हितग्राहियों को किया गया है। अरहर, मूंग एवं उड़द की फसलों की बुआई करने वाले किसानों के हित में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बड़ा निर्णय लेते हुए कहा है कि, धान खरीदी के बाद अब समर्थन मूल्य में अरहर, मूंग एवं उड़द भी छत्तीसगढ़ सरकार खरीदेगी। अरहर एवं उड़द की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य 6600 रूपए प्रति क्विं
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना की तीसरी किस्त के रूप में प्रदेश के 23 लाख 99 हजार 615 किसानों को 1745 करोड़ रूपए दिए। राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के तहत 4 लाख 66 हजार 880 हितग्राहियों को 115 करोड़ 80 लाख 32 हजार रूपए और गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को 5 करोड़ 59 लाख रूपए की राशि का ऑनलाइन भुगतान किया।
भूपेश कैबिनेट के अहम फैसलें
आरक्षण पर अभी क्वांटिफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट का इंतजार करने की बात तय हुई है। उसके आधार पर सरकार कोई फैसला करेगी। विधि मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा, एससी और एसटी आबादी का डाटा जनगणना की रिपोर्ट में है. क्वांटिफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट से ओबीसी और ईएसडब्ल्यू की तस्वीर साफ हो जाएगी।
भूपेश कैबिनेट में निर्णय लिया गया कि,तीन महीने अक्टूबर,नवंबर और दिसंबर 2022 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की पात्रता के समकक्ष राज्य योजना के राशनकार्डों (सामान्य राशनकार्ड को छोड़कर) में अतिरिक्त राशन दिया जाएगा। एवं चावल निःशुल्क वितरित करने पर सहमति बनी है।
- एक नवंबर 2022 से 31 जनवरी 2023 तक समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की जाएगी। इसी प्रकार मक्का की खरीदी एक नवंबर 2022 से 28 फरवरी 2023 तक की जाएगी।
- धान उपार्जित क्षेत्र में धान के बदले अन्य फसल लेने पर प्रति एकड़ 10 हजार रूपए सहायता राशि उसी खरीफ सीजन के लिए लागू करने की अनुमति दी गई।
- गन्ना प्रोत्साहन योजना के क्रियान्वयन के संबंध में निर्णय लिया गया कि गन्ना प्रोत्साहन राशि 11.99 करोड़ रूपए का भुगतान किया जाएगा।
- आबकारी विभाग द्वारा आयोजित की जाने वाली आबकारी उप निरीक्षक के पद पर सीमित विभागीय प्रतियोगिता परीक्षा में दो से अधिक बार परीक्षा में शामिल नहीं होने के प्रावधान को केवल एक बार के लिए छूट प्रदान करने का निर्णय लिया गया।
- राज्य कर विशेष आयुक्त के पद पर पदोन्नति हेतु निर्धारित अर्हकारी सेवा अवधि 5 वर्ष में केवल एक बार के लिए दो वर्ष की छूट प्रदान करने का निर्णय लिया गया।
- संचालनालय स्वास्थ्य सेवा के तहत प्रशासकीय अधिकारी के पदोन्नति के पद का वेतनमान सीधी भर्ती के पद के समान मैट्रिक्स लेवल-12 पात्रता तिथि से स्वीकृत किए जाने का निर्णय लिया गया।
- वन विभाग के ट्रांसपोर्ट में अब NTPS सिस्टम लागू होगा, इधर PPP मॉडल से कॉलेज खोलने पर छूट दी जाएगी।
आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने पिछले सप्ताह इसकी जानकारी दी थी। उनका कहना था, हमारी सरकार इस मामले को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की तैयारी कर रही हैं। इस मामले को 17 अक्टूबर को कैबिनेट की बैठक में भी रखेंगे। कवासी लखमा ने कहा, आरक्षण मामले को भाजपा ने अच्छी तरीके से कोर्ट में नहीं रखा। इसकी वजह से आदिवासी समाज को नुकसान हुआ है। हमारी सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को अच्छे वकीलों के माध्यम से रखेगी। अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी जैसे वकील अब इस मामले पर सरकार का पक्ष रखेंगे। आबकारी मंत्री ने कहा, हम भी चाहते हैं कि आदिवासी समाज को 32% आरक्षण मिले, ताकि बस्तर और सरगुजा का आदिवासी समाज विकास के पथ पर आगे बढ़े।
इससे पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी आबादी के अनुपात में आरक्षण देने की बात करते रहे हैं। उन्होंने कहा है, कांग्रेस आबादी के अनुपात में आरक्षण की पक्षधर है। हम चाहते हैं कि संविधान में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समाज को जो अधिकार मिला हुआ है वह बना रहे। यही नहीं पिछड़ा वर्गों के लिए मंडल आयोग ने जो सिफारिशें की हैं वह भी मिले और संसद ने सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए आरक्षण की जो व्यवस्था की है वह भी लागू रहे। बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले के बाद इसे किस तरह किया जाए उसपर मंथन जारी है।
आदिवासी समाज सड़कों पर है
आरक्षण पर उच्च न्यायालय के फैसले के बाद आदिवासी समाज में भारी बेचैनी है। इसको लेकर सर्व आदिवासी समाज और उनसे जुड़े संगठन लगातार सड़कों पर है। कई जिलों में प्रदर्शन और चक्का जाम हुए हैं। सर्व आदिवासी समाज के भारत सिंह धड़े ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर अध्यादेश लाकर 32% आरक्षण देने की मांग की है। मुख्यमंत्री ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि सरकार आरक्षण बचाने के लिए हर संभव कदम उठाएगी।
राजनीतिक हमले का सामना कर रही है कांग्रेस
2018 के चुनाव में कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत बस्तर और सरगुजा संभाग के आदिवासी बहुल सीटों पर हुई है। इन्हीं वोटरों के दम पर कांग्रेस लोकसभा चुनाव में भी दो सीटें जीत पाई। आरक्षण मामले में अदालत में सरकार की हार ने प्रदेश की राजनीति को भी गर्म कर दिया है। प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने कांग्रेस और राज्य सरकार पर राजनीतिक हमला तेज कर दिया है।पिछले दिनों भाजपा ने राजभवन तक मार्च कर 32% आरक्षण बहाल करने की मांग की थी।
आरक्षण मामले में अब तक क्या हुआ है
राज्य सरकार ने 2012 आरक्षण के अनुपात में बदलाव किया था। इसमें अनुसूचित जनजाति वर्ग का आरक्षण 32% कर दिया गया। वहीं अनुसूचित जाति का आरक्षण 12% किया गया। इस कानून को गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी। बाद में कई और याचिकाएं दाखिल हुईं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 19 सितम्बर को इसपर फैसला सुनाते हुये राज्य के लोक सेवा आरक्षण अधिनियम को रद्द कर दिया। इसकी वजह से आरक्षण की व्यवस्था खत्म होने की स्थिति पैदा हो गई है। शिक्षण संस्थाओं में भी आरक्षण खत्म हो गया है। भर्ती परीक्षाओं का परिणाम रोक दिया गया है। वहीं कॉलेजों में काउंसलिंग नहीं हो पा रही है।