ACN18.COM रायपुर। खनन परियोजनाओं की वजह से छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य में बड़े पैमाने पर कटाई का मामला अब अंतरराष्ट्रीय बन गया है। जंगल उजाड़कर कोयला निकालने की नीति के खिलाफ कई देशों में प्रदर्शन हुआ है। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और ब्राजील सहित कई देशों में प्रदर्शनकारियों ने भारतीय दूतावासों और दूसरे महत्वपूर्ण केंद्रों के बाहर प्रदर्शन कर विरोध जताया है।
दुनिया भर में आदिवासी अधिकारों और पर्यावरण के लिए काम कर रही संस्थाओं और समूहों ने सरगुजा के आदिवासियों के आंदोलन को समर्थन दिया है। इसके लिए दुनिया भर के संगठनों ने छोटे-छोटे समूहों में प्रदर्शन किए। अमेरिका के वाशिंगटन डीसी स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल, लंदन के प्रसिद्ध इंडिया हाउस, आस्ट्रेलिया में सिडनी ओपेरा हाउस के पास, कनाडा और ब्राजील के भारतीय दूतावासों के पास प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए। प्रदर्शनकारियों ने हाथ में नारे लिखी तख्तियां ले रखी थीं। इसमें सेव हसदेव, आदिवासी लाइव्स मैटर, सपोर्ट आदिवासी राइट्स, डोंट माइन आदिवासी राइट्स और नो कोल जैसे स्लोगन लिखे हुए थे।
ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में कुछ इस तरह उठी हसदेव के लिए आवाज।
प्रदर्शनकारियों ने हसदेव अरण्य में खनन बंद करने की मांग करते हुए नारेबाजी भी की। परसा कोयला खदान से प्रभावित कई गांवों के लोग पिछले दो महीनों से अधिक समय से फतेहपुर गांव में धरने पर बैठे हैं। उनका कहना है, वे अपना गांव और जंगल छोड़कर नहीं जाएंगे। उनके समर्थन में पिछले कुछ दिनों से छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों में भी प्रदर्शन हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर आवाज उठाई जा रही है। वहीं अदालतों में कानूनी लड़ाई लड़ी जा रही है।
प्रदर्शनकारियों ने पेड़ों से लिपटकर जंगल बचाने का संदेश दिया।
हसदेव को संरक्षित क्षेत्र घोषित करे सरकार
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन संयोजक मंडल सदस्य आलोक शुक्ला का कहना है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हसदेव को बचाने की आवाज बुलंद हुई है। दुनिया भर के आठ देशों में इसके लिए प्रदर्शन हुए हैं। वहां से मांग उठाई जा रही है, जो आदिवासियों का इलाका और समृद्ध वन क्षेत्र हैं, उनका विनाश नहीं होना चाहिए। भारत सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार वहां कोयला खनन के निर्णय से पीछे हटे और खनन परियोजनाओं को निरस्त कर उसे संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए।
कनाडा में प्रदर्शनकारी इस तरह सड़क पर उतरे।
पिछले दिनों कांग्रेस मुख्यालय पर हुआ था प्रदर्शन
पिछले चार मई को विभिन्न नागरिक संगठनों ने देश के कई शहरों में हसदेव के आदिवासी ग्रामीणों के समर्थन में प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों का एक समूह दिल्ली स्थित कांग्रेस के राष्ट्रीय मुख्यालय के बाहर भी पहुंचा। वहां उन्होंने हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई के खिलाफ नारेबाजी की। जनगीत गाए और कांग्रेस सरकार से अपना फैसला वापस लेने की मांग की।
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