शनिवार, 22 जून को संत कबीर की जयंती है। कबीरदास जी के दोहों में और उनसे जुड़े किस्सों में जीवन प्रबंधन के सूत्र छिपे हैं। इन सूत्रों को जीवन में उतार लेने से हमारी सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। जानिए संत कबीर से जुड़ा एक ऐसा किस्सा, जिसमें उन्होंने घमंड से बचने की सलाह दी है।
कबीरदास जी का एक बेटा था, उसका नाम कमाल था। एक दिन कमाल ने कबीरदास जी से कहा कि आप यहां कुटिया में नहीं थे, उस समय कुछ लोग आए थे, उनके साथ एक मरे हुए युवक का शव भी था। मैंने उस शव के सामने दो-तीन बार राम नाम लिया और गंगाजल डाला तो वह मरा हुआ युवक जीवित हो गया।
कबीरदास जी कमाल की ये बात सुनकर हैरान थे। उनकी हैरानी और बढ़ गई जब कमाल ने आगे कहा कि आप बहुत दिनों से कह रहे थे कि आप तीर्थ यात्रा पर जाना चाहते है तो आप चले जाइए, यहां काम मैं संभाल लूंगा।
कबीरदास जी समझ गए कि मेरे बेटे को घमंड हो गया है। जो साधनाएं इसने की हैं, उनका परिणाम देखकर इसका घमंड जाग गया है। कबीरदास जी ने एक चिट्ठी लिखी और कमाल को दे दी। उन्होंने कहा कि इसे खोलना मत।
कबीरदास जी ने कमाल को चिट्ठी के साथ एक संत के पास भेजा। कमाल उस संत के पहुंचा तो उस संत ने चिट्ठी खोली। उसमें कबीर जी ने लिखा था कि कमाल भयो कपूत, कबीर को कुल गयो डूब।
उस संत के यहां भी बीमार लोगों की लाइन लगी हुई थी। संत ने गंगाजल कई लोगों पर एक साथ डाला तो वे सभी ठीक हो गए। कमाल को लगा कि ये तो मुझसे भी बड़े चमत्कारी हैं। वह संत थे सूरदास जी।
सूरदास जी ने कमाल से कहा कि जाओ पीछे नदी में एक युवक डूब रहा है, उसे बचा लो।
कमाल तुरंत नदी की ओर गया तो देखा कि वहां एक लड़का डूब रहा है, कमाल ने उसे बचा लिया।
लड़के को बचाकर कमाल सूरदास के पास लौटा तो वह चौंक गया कि ये तो देख ही नहीं सकते, मेरे पिता का पत्र भी नहीं पढ़ सकते, मैंने इन्हें जो बताया वह ठीक है, लेकिन मेरे बारे में ये सब कुछ जान गए। जब कमाल ने अपने पिता कबीरदास का लिखा हुआ पत्र पढ़ा तो वह जान गया कि मेरे पिता ने मेरा घमंड दूर करने के लिए मुझे यहां भेजा है। सिद्धि, साधनाएं कई लोगों के पास हैं, लेकिन वे इन साधनाओं का गलत इस्तेमाल नहीं करते हैं।
कबीरदास की सीख
इस किस्से में संत कबीर ने संदेश दिया है कि हमें कभी भी अपनी योग्यता का घमंड नहीं करना चाहिए। घमंड की वजह से योग्यता खत्म हो सकती है।