छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय की फिर से बीजेपी में वापसी हो गई है। इस दौरान न कोई बड़ा आयोजन किया गया न बड़े नेताओं की मौजूदगी रही। उन्होंने सदस्यता अभियान के तहत जारी किए गए नंबर पर मिस्ड कॉल के जरिए सदस्यता ग्रहण की है।
दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान साय ने लोकतंत्र में विपक्ष का ताकतवर होना जरूरी बताया। भाजपा छोड़ने से लेकर वापसी करने के सवालों का भी नंदकुमार साय ने खुलकर जवाब दिया। पढ़िए क्या कहा साय ने:-
सवाल – बीजेपी में वापसी पर पहली प्रतिक्रिया ?
जवाब – आज भी बहुत सारे लोग सदस्यता ग्रहण कर रहे हैं, तो मैंने भी बीजेपी की सदस्यता ली। हमने लंबे समय से इस दल को सींचा है। मैं अविभाजित मध्यप्रदेश के समय अध्यक्ष था। जब कल्याण सिंह यूपी के अध्यक्ष हुआ हुआ करते थे, तब हमारे प्रभारी नरेंद्र मोदी थे और अनेक पदों पर अनेक जगह पर रहकर हमने इस पार्टी को बढ़ाया है।
सवाल – क्या पार्टी जॉइन करने से पहले राष्ट्रीय नेतृत्व में किसी नेता से आपकी बात हुई?
जवाब – पार्टी में मेरी वापसी से पहले भी बहुत सारे नेताओं से बात होती थी। भले ही वरिष्ठ लोगों से हमेशा बात नहीं हो पाती होती थी लेकिन जो सीनियर नेता थे, उनसे बातचीत थी।
सवाल – आपके कांग्रेस में जाने की क्या कहानी थी, क्या आपको वहां से किसी ने एप्रोच किया था?
जवाब – किसी ने एप्रोच नहीं किया। मैं खुद कांग्रेस में गया था। किसी के बुलाने पर नहीं गया था। दरअसल तब बीजेपी में वरिष्ठ नेताओं के लिए एक लाइन बना दी थी कि 60 से ज्यादा उम्र के नेताओं को पीछे रखा जाएगा। उस समय मैंने अकेले पार्टी नहीं छोड़ी बल्कि मध्यप्रदेश के तो 10 नेताओं ने पार्टी छोड़ दी थी। पार्टी ने पद नहीं दिया, लेकिन महत्व कम कर दिया था। ये गलत था।
सवाल – क्या बीजेपी की पिछली सरकार में बैठे लोगों से नाराजगी थी, जो आपने उस समय भाजपा छोड़ी थी?
जवाब – मैंने पहले भी आपको बताया कि वो सरकार का मामला नहीं था। मैंने बीजेपी तब छोड़ी थी, जब वहां उम्रदराज लोगों के महत्व को कम किया था। अब वो नियम हटा दिया गया है।
सवाल – फिर कांग्रेस छोड़ने की वजह क्या रही?
जवाब – मैंनें कांग्रेस क्यों छोड़ी, यह अलग मैटर है। लेकिन मैं सोचता हूं कि हमारे लोकतंत्र में केवल एक दल के मजबूत रहने से काम नहीं होने वाला। अगर देश को ठीक रखना है, तो विरोधी दल को ताकतवर रहने की जरूरत है।
सवाल – काफी कम समय में कांग्रेस से आपका मोह भंग हो गया लेकिन जितने भी समय आप रहे वहां का अनुभव कैसा था ?
जवाब – वे अपने अनुसार सरकार चला रहे थे। मुझे जितने समय वहां रहना था, मैं रहा। वहां की जो परिस्थितियां थी, वो भी हमने देखीं।
सवाल- कांग्रेस में टिकट भी नहीं मिली? भाजपा में होते तो सीएम की रेस में आप आगे होते। आपको ऐसा नहीं लगता?
जवाब – राजनीतिक दल पार्टी लाइन, पार्टी की दिशा और सोच के हिसाब से कैंडिडेट तय करते हैं। परिस्थितियां कुछ ऐसी थीं कि हम कांग्रेस में चले गए थे।
जहां तक मेरे सीएम होने का सवाल है, सबसे पहले ट्राइबल चीफ मिनिस्टर की मांग हमने ही की थी। लेकिन हम पार्टी के लिए काम कर रहे थे, सीएम बनने के लिए नहीं। जिन्हें सीएम बनाया गया है वो ट्राइबल हैं और काम अच्छा कर रहे हैं।
सवाल – ऐसा क्यों माना जा रहा है कि अब कोई सामान्य वर्ग से सीएम नहीं बनेगा? या तो आदिवासी या ओबीसी?
जवाब – हमने पहले मांग की थी लेकिन आगे प्रथा क्या होगी, ये भविष्य बताएगा। अभी से उसे तय नहीं कर सकते लेकिन अभी आदिवासी मुख्यमंत्री बनाया गया है तो अच्छा काम हो।