acn18.com कोरबा /रेल प्रबंधन द्वारा लगातार कोरबा की की जा रही उपेक्षा से लोगों में काफी नाराजगी है. आपस में चर्चा शुरू हो गई है कि रेलवे को सबक सिखाने के लिए फिर बड़े आंदोलन का सहारा लेना पड़ेगा क्या. नाम मात्र की चल रही यात्री ट्रेनों को गंतव्य तक पहुंचने के लिए कई कई घंटे तक रास्ते में इसलिए रोक दिया जाता है ताकि मालगाड़ी निर्बाध गति से चलती रहे. कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत ने कहा है अगर लोग चाहेंगे तो वे स्वयं रेल पथ पर बैठकर आंदोलन करने को तैयार हैं
रेलवे को सर्वाधिक आय देने वालों में जिसका नाम अव्वल पोजीशन में है उस कोरबा के साथ रेल प्रबंधन कैसा उपेक्षा पूर्ण व्यवहार कर रहा है यह किसी से छिपा नहीं रह गया है. कुरौना काल में जिन ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया गया था उनमें से अधिकांश अभी भी नहीं शुरू की गई हैं. नाममात्र की जो ट्रेनें चल भी रही है वह अपने गंतव्य तक कई कई घंटे बाद पहुंच रही हैं. इससे यात्री परेशान हो चले हैं. लिंक ट्रेन छूट रही हैं. रायपुर या नागपुर जाकर हवाई जहाज पर सफर करने वाले भी जब तक हवाई अड्डा पहुंचते हैं तब तक प्लेन अपने गंतव्य तक पहुंच गया होता है. यह परेशानी एक-दो दिन की नहीं बल्कि पिछले कई महीनों से हर रोज की है. यात्री कई बार परेशान होकर स्टेशन मास्टर अथवा अन्य रेल कर्मचारियों के साथ बहस कर अपनी भड़ास निकालते हैं लेकिन कर्मचारी भी हाथ जोड़कर कह देते हैं कि वह कुछ नहीं कर सकते सब कुछ ऊपर से हो रहा है. रेल प्रबंधन के इस तानाशाही पूर्ण रवैया से लोग क्रोधित हैं उनके क्रोध का ज्वालामुखी जिस दिन फूटेगा उस दिन रेल प्रबंधन को जवाब देते नहीं बनेगा. आपस में चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि क्या होना एक बार फिर से ऐसा आंदोलन किया जाए जिससे रेल प्रबंधन में बैठे लोगों को उनकी नानी याद आ जाए.
इस मामले में कोरबा सांसद श्रीमती ज्योत्सना महंत भी रेल प्रबंधन से नाराज हैं. उन्होंने बताया कि रेल मंत्री से लेकर अधिकारियों तक उन्होंने कई बार मुलाकात और खतो किताबत की है लेकिन उनके कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है. सांसद ज्योत्सना महंत ने बताया कि लगता है छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है इसलिए केंद्र की सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है.
सांसद से जब पूछा गया कि कोरबा की जनता यदि आंदोलन करती है तो क्या वे सड़क पर उतरने को तैयार हैं. इस पर उन्होंने कहा, निश्चित ही वे जनता जनार्दन के साथ हैं और रेल पटरी पर बैठकर वे आंदोलन करने को तैयार हैं
गौरतलब है कि कोरबा की उपेक्षा करना रेल प्रबंधन के लिए मनोरंजन जैसा हो गया है. यहां के यात्रियों के कष्ट से कोई लेना-देना नहीं रह गया है रेल प्रबंधन का. उन्हें मतलब है तो सिर्फ कोयला परिवहन करने से. पैसेंजर को तो छोड़िए एक्सप्रेस ट्रेनों को कहीं पर भी खड़ा कर मालगाड़ी को पहले निकाला जा रहा है. यह देखकर यात्रियों की आंखों में खून आ जाता है लेकिन वे बातों में ही अपना आक्रोश व्यक्त कर घर चले जाते हैं. परंतु अब लोगों के सब्र का बांध फिर से भर गया है. यह बांध जिस दिन छलकेगा या टूटेगा रेल प्रबंधन के लिए शुभ नहीं होगा. बहर हाल कोरबा सांसद श्रीमती ज्योत्सना महंत द्वारा यह आश्वासन दिए जाने के बाद की यदि आवश्यकता पड़ी तो वह भी जनता के साथ रेल पथ पर बैठने को तैयार हैं, इससे कोरबा के जागरूक लोगों के मनोबल में निश्चित ही अतिशय वृद्धि होगी.