spot_img

मकर संक्रांति का पुण्यकाल 15 को:शनिवार को देर रात उत्तरायण होंगे सूर्य, रविवार को दिन भर स्नान-दान का योग

Must Read

देश भर में मकर संक्रांति की धूम है, लेकिन धर्मगुरुओं और ज्योतिषियों का कहना है मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को होगा। बताया जा रहा है कि शनिवार को भगवान सूर्य देर रात उत्तरायण होंगे। ऐसे में संक्रांति का पुण्यकाल रविवार सूर्योदय के बाद शुरू होगा। इसी काल में स्नान, दान और भोजन आदि का शास्त्रीय महत्व है।

- Advertisement -

रायपुर के बोरियाकला स्थित शंकराचार्य आश्रम के प्रमुख स्वामी इंदुभावानंद ब्रह्मचारी का कहना है, सूर्य के राशि परिवर्तन योग का संक्रांति कहते हैं। सूर्य जिस राशि में प्रवेश करता है संक्रांति का नाम उसके नाम पर रखा जाता है। वर्ष भर में 12 संक्रांति होती हैं। मुख्य रूप से कर्क संक्रांति और मकर संक्रांति का बड़ा महत्व है। जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है ताे कर्क संक्रांति होती है। उस दिन से सूर्य दक्षिणायन हो जाता है और शुभ कार्य वर्जित होते हैं। मकर राशि में जब सूर्य प्रवेश करता है तो देवताओं का दिन प्रारंभ हो जाता है। सभी मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। उस दिन से भगवान सूर्य का उत्तरायण प्रवेश माना जाता है। इंदुभावानंद महाराज ने कहा, इस बार भगवान सूर्य माघ कृष्ण सप्तमी शनिवार को देर रात पचास-तीस ईष्ट पर यानी रात 2.52 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसकी वजह से 15 जनवरी को पूण्यकाल माना जाएगा। रविवार को सूर्योदय से लेकर 40 घटी तक सामान्य पुण्यकाल और सूर्योदय से 20 घटी तक विशेष पुण्यकाल होगा। इस वर्ष की संक्रांति का नाम मंदाकिनी होगा। शनिवार को पड़ने के कारण यह राक्षसी कही जाएगी।

शंकराचार्य आश्रम के इंदुभावानंद ब्रह्मचारी ने रविवार को संक्रांति के पुण्यकाल की व्यवस्था बताई है।
शंकराचार्य आश्रम के इंदुभावानंद ब्रह्मचारी ने रविवार को संक्रांति के पुण्यकाल की व्यवस्था बताई है।

रात 8.43 पर भी उत्तरायण की बात

महामाया मंदिर के पुजारी और ज्योतिषी पं. मनोज शुक्ला का कहना है, “भगवान सूर्य का मकर राशि में प्रवेश शनिवार रात 8.43 बजे ही हो जाएगा। मगर मकर संक्रांति का पूण्यकाल रविवार को दिन भर रहेगा।’ पंचांगों में मकर संक्रांति 14 जनवरी की रात 8.57 बजे बताई गई है। इसका पूण्यकाल 15 जनवरी को सुबह 6.43 बजे से शाम 5.42 बजे तक यानी पूरे 10 घंटे 59 मिनट का है। 15 जनवरी की सुबह 6.43 से सुबह 8.33 तक महा पूण्यकाल माना गया है।

मकर संक्रांति पुण्यकाल में यह करने का महत्व

इंदुभावानंद ब्रह्मचारी का कहना है, “संक्रांति के समय व्यक्ति की तीर्थ अथवा शुद्ध जल में प्रात: काल स्नान करना चाहिए। अपने शरीर पर तिल का लेप करना चाहिए। भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। तिल खाना चाहिए। जो संक्रांति प्रारंभ होने के बाद स्नान नहीं करता है वह सात जन्म तक दरिद्र होता है।’ माना जाता है कि मकर संक्रान्ति के दिन यज्ञ में दिये हव्य को ग्रहण करने के लिए देवता धरती पर अवतरित होते हैं। इसी मार्ग से पुण्यात्माएं शरीर छोड़कर स्वर्ग आदि लोकों में प्रवेश करती हैं। इसलिए यह आलोक का अवसर माना जाता है। इस दिन पुण्य, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का बहुत महत्त्व है।

मकर संक्रांति पर तिल का भोग लगाने और दान का विशेष महत्व है।
मकर संक्रांति पर तिल का भोग लगाने और दान का विशेष महत्व है।

यह उत्तरायण-दक्षिणायन का गणित क्या है

ज्योतिषियों का कहना है, जितने समय में पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एक चक्कर लगाती है, उस अवधि को सौर वर्ष कहते हैं। पृथ्वी का गोलाई में सूर्य के चारों ओर घूमना क्रांतिचक्र कहलाता है। इस परिधि चक्र को आभासी रेखाओं में बांटकर बारह राशियों का नाम दिया गया है। सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है। इसी प्रकार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को संक्रांति कहते हैं।

सूर्य का मकर रेखा से उत्तरी कर्क रेखा की ओर जाना उत्तरायण कहलाता है। वहीं कर्क रेखा से दक्षिणी मकर रेखा की ओर जाना दक्षिणायन है। उत्तरायण में दिन बड़े हो जाते हैं तथा रातें छोटी होने लगती हैं। दक्षिणायन में रात बड़ी होती जाती है और दिन छोटे। शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण देवताओं का दिन और दक्षिणायन देवताओं की रात होती है। इसीलिए उत्तरायण में सूर्य की स्थिति को मंगलकारी माना जाता है।

377FansLike
57FollowersFollow


v

377FansLike
57FollowersFollow
Latest News

पावर प्लांट के बाथरूम में मिला कोबरा,जहरीले सर्प को देख बाथरूम गई महिला की निकली चीख

Acn18.com/छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के केटीपीएस प्लांट के एक बाथरूम में महिला कर्मचारी जब गई तो उसे अंदर...

More Articles Like This

- Advertisement -