acn18.com कोरबा/मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल मैं संसाधन के बढ़ोतरी के बावजूद कई स्तर पर समस्याओं का बोलबाला बना हुआ है और इनके चलते मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। हालात इस तरह के बन गए हैं कि यहां के मेटरनिटी वार्ड में पर्याप्त व्यवस्था नहीं करने से प्रसव के बाद कई महिलाओं को कक्ष के बजाय गैलरी में रात गुजारनी पड़ रही है।सिस्टम के आगे यह वर्ग नतमस्तक होने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहा है।
मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल का नाम सुनकर मरीज के साथ-साथ लोगों के मन में एक अलग प्रकार की तस्वीर निर्मित होती है जिसमें वे आभास कर पाते हैं कि ऐसी जगह पर दुनिया भर की सुविधा होगी और संसाधन भी। समस्या नाम की कोई चीज वहां पर हो ही नहीं सकती और ना ही किसी को परेशान होना पड़ सकता है। लेकिन कोरबा के मामले में अगर कोई ऐसा सोच रहा है तो उसकी धारणा मौके पर पहुंचने के साथ गलत साबित हो सकती है। भले ही दूसरे मामलों में सब कुछ ठीक हो लेकिन यहां के मेटरनिटी वार्ड में स्थिति उम्मीद के अनुसार बिल्कुल नहीं है। इसलिए प्रशव के मामलों में प्रसूता महिलाओं को कई प्रकार की दिक्कत से दो-चार होना पड़ रहा है। वार्ड में जगह की भारी कमी होने के कारण बच्चों को जन्म देने वाली माता को वार्ड की गैलरी में रात गुजारनी पड़ रही है। पाली विकासखंड के एंडीकछार की रहने वाली रामेश्वरी बाई ने बताया भीतर फुल हाउस पुणे के कारण इस प्रकार की स्थिति निर्मित हुई लेकिन उसने एहसास किया की व्यक्तिगत रूप से उसे दिक्कत नहीं हुई। सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजना और समय के साथ बढ़ती समझ का नतीजा कहना होगा कि वर्तमान में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा मिल रहा है और संबंधित वर्ग सरकारी संस्थाओं की तरफ रुख कर रहा है। इसलिए ऐसे केदो में प्रसव के मामले पहले की तुलना में ज्यादा आ रहे हैं इस लिहाजा से जरूरी हो गया है की खास तौर पर कोरबा के मेडिकल कॉलेज सहित अन्य अस्पतालों में मेटरनिटी वार्ड की क्षमता में विस्तार किया जाए ताकि महिलाओं को अनावश्यक परेशानियां से नहीं जूझना पड़े।