ACN18.COM भोपाल /मध्य प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के डाटा के अनुसार दीपावली की रात एक्यूआई भोपाल में 310, इंदौर में 293, जबलपुर 319 में दर्ज किया गया। वहीं, दीपावली के एक दिन बाद सोमवार को भोपाल में प्रदूषण का स्तर 354 तक पहुंच गया। वहीं, ग्वालियर में एक्यूआई डीडी नगर पर 399, इंदौर की छोटी ग्वालटोली में 335 और जबलपुर में 330 पर पहुंच गया। यह एमपी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड का रियल टाइम डाटा के आंकड़े हैं। जबकि पिछले साल 2022 में दीवाली के एक दिन बाद एक्यूआई भोपाल में 334, ग्वालियर में 316, जबलपुर में 309 और इंदौर में 262 दर्ज किया गया था।
यह भी है वायु प्रदूषण का कारण
ठंड के मौसम में वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ती है। दरअसल, ठंड के दिनों में नमी से सूक्ष्म कण ऊपर नहीं उठ पाते और नीचे ही रहते हैं। इससे विकास कार्यों से उठने वाले धूल के कण, वाहनों का धुंआ, आग लगने से उठने वाला धुआं, नमी के कारण निचले वातावरण में ही रहते हैं। हवा के ऊपर नहीं उठने के कारण प्रदूषण बना रहता है।
क्या होता है पीएम-2.5 और पीएम-10
पीएम को पर्टिकुलेट मैटर कहते हैं। इन कणों का साइज 2.5 माइक्रोमीटर या इससे बड़ा 10 माइक्रोमीटर तक होता है। इसमें पीएम-2.5 पॉल्यूशन धूल, कंस्ट्रक्शन, कूड़ा व पराली जलाने से होता है। वहीं, पीएम-10 धूल, गर्दा और अन्य सूक्ष्म कण होते हैं। पीएम 2.5 का सामान्य स्तर 60 माइक्रो ग्राम और पीएम-10 का 100 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए। इससे ज्यादा होने पर सांस लेने संबंधी शिकायतें बढ़ने लगती हैं।
एयर क्वालिटी इंडेक्स को ऐसे समझें
एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) हवा की गुणवत्ता को बताता है। इससे पता चलता है कि हवा में किन गैसों की कितनी मात्रा घुली है। एक्यूआई की गुणवत्ता के आधार पर छह अलग-अलग श्रेणी बनाई गई है। इसमें 0-50 अच्छी, 51-100 संतोषजनक, 101-200 मध्यम, 201-300 खराब, 301-400 बहुत खराब और 401 से 500 एक्यूआई को गंभीर श्रेणी में रखा गया है। /
सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे देश में मनाही के बावजूद मध्य प्रदेश में दीपावली पर जमकर पटाखे जलाए। इससे मध्य प्रदेश का प्रदूषण स्तर पर दो गुना बढ़ गया। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबुलपर समेत अन्य शहरों में हवा की गुणवत्ता दिल्ली जैसी जहरीली हुई।
यह भी है वायु प्रदूषण का कारण
ठंड के मौसम में वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ती है। दरअसल, ठंड के दिनों में नमी से सूक्ष्म कण ऊपर नहीं उठ पाते और नीचे ही रहते हैं। इससे विकास कार्यों से उठने वाले धूल के कण, वाहनों का धुंआ, आग लगने से उठने वाला धुआं, नमी के कारण निचले वातावरण में ही रहते हैं। हवा के ऊपर नहीं उठने के कारण प्रदूषण बना रहता है।
क्या होता है पीएम-2.5 और पीएम-10
पीएम को पर्टिकुलेट मैटर कहते हैं। इन कणों का साइज 2.5 माइक्रोमीटर या इससे बड़ा 10 माइक्रोमीटर तक होता है। इसमें पीएम-2.5 पॉल्यूशन धूल, कंस्ट्रक्शन, कूड़ा व पराली जलाने से होता है। वहीं, पीएम-10 धूल, गर्दा और अन्य सूक्ष्म कण होते हैं। पीएम 2.5 का सामान्य स्तर 60 माइक्रो ग्राम और पीएम-10 का 100 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए। इससे ज्यादा होने पर सांस लेने संबंधी शिकायतें बढ़ने लगती हैं।
एयर क्वालिटी इंडेक्स को ऐसे समझें
एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) हवा की गुणवत्ता को बताता है। इससे पता चलता है कि हवा में किन गैसों की कितनी मात्रा घुली है। एक्यूआई की गुणवत्ता के आधार पर छह अलग-अलग श्रेणी बनाई गई है। इसमें 0-50 अच्छी, 51-100 संतोषजनक, 101-200 मध्यम, 201-300 खराब, 301-400 बहुत खराब और 401 से 500 एक्यूआई को गंभीर श्रेणी में रखा गया है।