acn18.com सूरजपुर/अलग-अलग कारणों से सूरजपुर जिले के कई तालाबों का नामोनिशान मिट गया है और कुछ अपनी पहचान बचाने के लिए इन दिनों संघर्ष कर रहे हैं। आसपास से फेंकी जाने वाली गंदगी और दूसरे सामानों ने स्थानीय तालाबों को कहीं का नहीं छोड़ा। तालाबों की दुर्गति के कारण धार्मिक प्रयोजन से लोगों का यहां जाना बंद हो गया है।
कचरे का अंबार, आम लोगों के घरों से निकलते गंदे पानी को अपने में समाता यह नजारा सूरजपुर जिला मुख्यालय के तालाबों का। जिला मुख्यालय में कुल 7 तालाब मौजूद हैं, जो सौ वर्ष पुराने हैं। ये तालाब स्थानीय लोगों के लिए आस्था के केंद्र हुआ करते थे। सभी जाति और धर्म के लोग इन तालाबों का उपयोग किया करते थे, लेकिन पिछले कुछ सालों से यहां फैली गंदगी की वजह से लोगों ने इन तालाबों से दूरी बना ली है। कुछ तालाबों का अस्तित्व लगभग समाप्त हो चुका है और कुछ बचे तालाब खुद को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं,। नगर के मीट मार्केट की पूरी गंदगी तालाबों में फेंकी जाती है। साथ ही आसपास के लोगों के घर का गंदा पानी भी तलाब में जा रहा है। इन कारणों से प्रदूषण ज्यादा हो गया है और इंसान से लेकर जानवर यहां आने की जरूरत नहीं समझ रहे है। हालांकि स्थानीय लोगों के द्वारा समय-समय पर तालाबों की सफाई के लिए कोशिश की जाती रही। तालाबों की इस स्थिति का कारण स्थानीय लोग नगर पालिका और जिला प्रशासन के इच्छाशक्ति की कमी को मानते है,
नगरपालिका के सीएमओ के अनुसार उनके कार्यकाल में तालाबों के सौंदर्यीकरण के लिए कोई कार्य नहीं किया गया है और पहले किए गए कार्य की उनके पास जानकारी मौजूद नहीं है।
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि तालाबों के खतरे में पड़े अस्तित्व को लेकर नगर पालिका परिषद कितना गंभीर है।
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