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रेत पर हो रही राजनीति लेकिन रोकथाम नहीं , प्रशासन के बैरियर को तोड़कर की जा रही है रेत की डकैती , खनिज विभाग को रेत चोर दिखा रहे है ठेंगा , कुछ लोग रेत चोरो से लेते है ” महीना “

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acn18.com कोरबा/ रेत चोरी पर अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा है यह प्रश्न कई बार लोग पूछते हैं. इसका उत्तर किसी के पास नहीं होता बस यही कहा जाता है कि सब मिली भगत से हो रहा है. सियासी दल एक दूसरे को इसके लिए दोषी बताते हैं, लेकिन चोरी का विरोध करने कोई सामने नहीं आता. कहा तो यह भी जाता है कि कुछ तथा कथित खबरची व जिम्मेदार विभाग के लोग महीना लेकर रेत चोरों को अभय दान दे देते हैं।

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रेत चोरी का कारोबार खुलेआम चल रहा है. रेत घाट स्वीकृत नहीं किए गए हैं इसलिए रॉयल्टी का कोई मतलब नहीं है. आप शहर में किसी भी वक्त ट्रैक्टर वह मिनी ट्रक में रेत ले जाते हुए देख सकते हैं. लेकिन यह चोरी उन लोगों को दिखाई नहीं देती जिनको इस पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी मिली है. हां उन्हें जरूर दिखाई दे जाता है जो मोबाइल हाथ में लिए यत्र तत्र घूमते दिखाई देते हैं. सूत्र बताते हैं कि ऐसे लोगों में से किसी को ₹200 तो किसी को ₹500 प्रति माह मिल जाता है यदि यह राशि मिलने में विलंब होता है तब यह मोबाइल धारक फिर से सक्रिय हो जाते हैं और विवश कर देते हैं रेत चोरों को महीना देने के लिए. बताया तो यह भी जाता है उस क्षेत्र में जो पुलिसकर्मी ड्यूटी पर तैनात होते हैं उन्हें प्रति ट्रैक्टर अथवा प्रतिमाह निर्धारित राशि प्राप्त हो जाया करती है जिसके कारण कोई भी अवरोध उत्पन्न नहीं हो पाता ।

यह सच है कि जो रेत 500 में मिलनी चाहिए वहीं अब 3000 रुपए प्रति ट्रैक्टर से ज्यादा राशि अदा करने पर प्राप्त हो रही है. इससे सभी वाकिफ हैं. कोरबा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे लखनलाल देवांगन एंड कंपनी रेत चोरी के लिए कांग्रेस प्रत्याशी और उनके कार्यकर्ताओं की ओर इंगित करते हैं. पार्टी की सरकार होने के नाते कांग्रेस पदाधिकारीयों का यह दायित्व है कि रेत के बढ़े हुए दाम पर अंकुश लगाने के लिए रेत घाट को स्वीकृत करवाने अथवा चोरी पर अंकुश लगवाने का प्रयत्न करें लेकिन वह ऐसा नहीं कर पा रहे हैं. कांग्रेस की सरकार होने के कारण पार्टी से जुड़े लोगों की विवशता हो सकती है लेकिन भारतीय जनता पार्टी की लाचारी समझ से परे है। चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले वह सड़क पर क्यों नहीं उतरे. अभी भी उन्हें रेत चोरी पर अंकुश लगाने के लिए किसी भी आंदोलन से किसने रोका है. सिर्फ किसी पर आरोप लगाने से ही हमारी जिम्मेदारी खत्म नहीं होती बल्कि हमारे लिए भी आगे बढ़कर ऐसी किसी भी समस्या के निराकरण हेतु पहल आवश्यक होती है.

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