Acn18.com/सर्वहारा वर्ग को ऊंचा उठाने के लिए सरकार के स्तर पर कई प्रकार से जतन किया जा रहा है लेकिन इन सबके बावजूद बहुत सारे लोग अभीशापित जीवन जीने को मजबूर हैं। कुरुडीह में सपेरों के परिवारों का लगभग यही हाल है। किसी तरह इन लोगों को जमीन के सरकारी पट्टे प्राप्त हो गए लेकिन जीवनयापन के लिए संसाधन के नाम पर केवल अलग-अलग प्रजाति के सर्प ही मौजूद हैं। आर्थिक स्थिति मजबूत ना होने का नतीजा यह हो रहा है कि सपेरों के बच्चे मिडिल से आगे नहीं पढ़ पा रहे हैं। सपेरों को इसे लेकर काफी चिंता है, पर वक्त के आगे वे लाचार है।
करतला विकासखंड के मुकुंदपुर पंचायत के अंतर्गत आने वाले कुरुडीह के एक मोहल्ले की पहचान है सपेरों की बस्ती के रुप में। यहां पर लगभग महिला पुरुष बच्चे मिलाकर 100 लोग रहते हैं। चार दशक से भी ज्यादा समय से इन लोगों की उपस्थिति यहां पर है जो पशुपालकों के अंदाज में अपने साथ रखते हैं जहरीले सांपों को। सपेरों के बच्चे इनके साथ बिल्कुल दोस्त की तरह खुले मिले हैं और खौफ जैसे यहां कोई चीज ही नहीं है। कटंगी लाल बताते हैं कि लंबे समय से वे सांपों के साथ अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं। यहां वहां सर्पों का का प्रदर्शन करते हुए मिलने वाले अनाज व रुपयों से अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं।
गांव की गोचर भूमि का उपयोग उन लोगों को करने का मौका मिला है इसके साथ ही सरकारी योजना से रहने के लिए घर।
गांव में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय स्थित है जहां पर उनके परिवार के बच्चे पांचवी और छठी से ज्यादा नहीं पढ़ सके हैं क्योंकि इसके बीच में धन की कमी सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है।
कुरुडीह गाव के दुबराज की पहचान भी विभिन्न क्षेत्रों में सपेरा के बतौर बनी हुई है। बताते हैं कि छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश तक सफर करने के साथ अपने परिवार के लिए धन की व्यवस्था की जाती है। अमरकंटक और चतुर्गढ़ के जंगल से मिलने वाली जड़ी बूटी भी उनकी कमाई का जरिया बनी है।
गांव में जितने भी युवा और पुरुष है वे सभी परिवार की जरूरत की पूर्ति करने के लिए सांपों को यहां वहां दिखाने का काम करते हैं। एक तरह से दूसरों के लिए खौफ का कारण बने हुए विषधर इस गांव के शताधिक लोगों को जिंदा रखे हुए है।