22 दिन किरंदुल नहीं आएगी यात्री ट्रेनें:धीमी रफ्तार से चलेंगी मालगाड़ियां, नक्सलियों के शहीदी सप्ताह के चलते दंतेवाड़ा होगा अंतिम स्टॉप

Acn18.com/छत्तीसगढ़ के बस्तर में माओवादी 14 जुलाई से 28 जुलाई तक नक्सल नेता चारु मजूमदार की पुण्यतिथि और इसके बाद 28 जुलाई से 3 अगस्त तक शहीदी सप्ताह मनाने का ऐलान किय है। इसके चलते दंतेवाड़ा से किरंदुल तक 22 दिनों के लिए यात्री ट्रेनें नहीं चलाई जाएंगी। किरंदुल-विशाखापट्टनम पैसेंजर और नाइट एक्सप्रेस दोनों ट्रेनें दंतेवाड़ा से आगे किरंदुल नहीं जाएंगी। मालगाड़ियां चलती रहेंगी।

किरंदुल-कोत्तावालसा रेलवे लाइन पर दंतेवाड़ा से किरंदुल के बीच का पैच नक्सलियों का गढ़ है। बासनपुर-झिरका के घने जंगल में माओवादी ज्यादातर रेल पटरियों को उखाड़ कर ट्रेनों को डिरेल करते हैं। इसी दहशत की वजह से इस बार भी यात्री ट्रेनों के परिचालन पर ब्रेक लग गया है। धीमी गति से मालगाड़ी आना-जाना करेगी। कमालूर में पुलिस कैंप स्थापित होने के बाद से इलाका थोड़ा शांत तो जरूर हुआ है, लेकिन माओवादियों की उपस्थिति अब भी बरकरार है।

साल 2021 में भी इसी जगह माओवादियों ने एक यात्री ट्रेन को डिरेल किया था। हालांकि, रफ्तार कम होने की वजह से कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ था। किरंदुल-बचेली से आयरन ओर लेकर विशाखापट्टनम जाने वाली मालगाड़ियों को भी नक्सली अपना निशाना बना चुके हैं। जिससे रेलवे और NMDC को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। इसलिए अब रेलवे दोबारा कोई रिस्क लेना नहीं चाहता है।

छुट्टियां मनाने और मेडिकल कामों ले लिए जाते हैं लोग
किरंदुल से विशाखापट्टनम के बीच सिर्फ 2 यात्री ट्रेनें चलती हैं। इनमें से एक दिन में चलने वाली किरंदुल-विशाखापट्टनम पैसेंजर ट्रेन तो वहीं दूसरी नाइट एक्सप्रेस हैं। इन दोनों ट्रेनों में बस्तर के सैकड़ों लोग सफर करते हैं। ट्रेन ओडिशा होते हुए विशाखापट्टनम पहुंचती है। ऐसे में ओडिशा के अरकू की खूबसूरत वादियों का आनंद और विशाखापट्टनम में बीच की सैर करने समेत मेडिकल कामों के लिए जाने वाले लोगों की संख्या अधिक होती है।

साल 2022 में इतने दिन नहीं चली ट्रेन

  • जनवरी महीने में 7 दिन और फरवरी में सिर्फ एक दिन ट्रेन नहीं चली।
  • नक्सली बंद की वजह से 10 मार्च से 15 मार्च के बीच ट्रेनों का परिचालन बंद रहा। वहीं इसी महीने 23 मार्च से 29 मार्च तक नक्सलियों के साम्राज्यवाद विरोधी सप्ताह के तहत किरंदुल तक ट्रेनें नहीं पहुंची थी।
  • 25 अप्रैल को माओवादियों ने दंडकारण्य बंद का आह्वान किया था। जिसके चलते 23 अप्रैल से 26 अप्रैल तक यात्री ट्रेनें नहीं चली।
  • फिर 28 अप्रैल से 6 मई के बीच ब्रिज के मेंटेंसन कार्य को लेकर ट्रेनों का परिचालन रोक दिया गया। यह तारीख बढ़ कर 12 मई हो गई थी।
  • जून माह में अग्निपथ विरोध के चलते 19 और 20 जून को ट्रेन बंद रही।
  • इसके अलावा 26 जून से 2 जुलाई तक माओवादियों के आर्थिक नाकेबंदी सप्ताह को देखते ट्रेनों के पहिए थमे थे।