Acn18.com/प्रसिद्ध पांडवानी कलाकार तीजन बाई की तबीयत अचानक बिगड़ गई। गुरुवार रात उनकी बीमारी को लेकर सोशल मीडिया पर खबर फैल गई। इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फौरन दुर्ग जिला प्रशासन को निर्देश देते हुए डॉक्टर्स की टीम को उनके भेजी है। फिलहाल उनकी स्थिति स्थिति सामान्य बताई जा रही है।
गुरुवार रात में ही बीजेपी सांसद विजय बघेल भी तीजन बाई का हाल जानने पहुंचे। विजय बघेल ने उन्हें खिचड़ी खिलाई और छत्तीसगढ़ी में उनसे कहा, 5 दिन तैं दऊड़ बे..।
शुक्रवार की दोपहर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तीजनबाई को फोन करके हाल जाना। उन्होंने अपने ट्वीट पर लिखा- पद्म विभूषण तीजन बाई जी के परिवार के लोगों से फोन पर बात हुई है। वे अभी स्वास्थ्य लाभ ले रही हैं। चिकित्सकों की लगातार निगरानी में हैं। हम हर तरह से उनके साथ हैं।
दुर्ग के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जे पी मेश्राम तीजन बाई की सेहत मॉनिटर कर रहे हैं। अब तक मिली जानकारी के मुताबिक,तीजनबाई को घर पर ही डॉक्टर्स की निगरानी में रखा गया है। तीजन बाई पहले से ही कोरोनरी आर्टरी डिसीज, हाइपरटेंशन,डायबिटीज , स्ट्रोक विथ रेसीड्यूल परेसिस जैसी बीमारियों का इलाज करा रही हैं।
तीजनबाई के गांव गनियारी पहुंचे सांसद विजय बघेल ने कहा, हमारे छत्तीसगढ़ की पद्मश्री सम्मानित पंडवानी गायिका जल्द ही पूरी तरह स्वस्थ हैं और जल्द ही हमारे बीच होंगी। सांसद ने बताया कि दस दिन पहले उन्हें लकवा मारा था। उसके बाद सेक्टर-9 अस्पताल में उपचार हुआ। वो खिचड़ी खाते-खाते बात कर रहीं थीं। घबराने की जरूरत नहीं है।
जानिए कौन हैं तीजन बाई…
- भिलाई के गांव गनियारी में जन्मी तीजन बाई के पिता का नाम हुनुकलाल परधा और माता का नाम सुखवती था।
- तीजन अपने नाना ब्रजलाल को महाभारत की कहानियां गाते सुनाते देखतीं और धीरे धीरे उन्हें ये याद होने लगी। उनकी अद्भुत लगन और प्रतिभा को देखकर उमेद सिंह देशमुख ने उन्हें अनौपचारिक प्रशिक्षण भी दिया। 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना पहला मंच प्रदर्शन किया।
- तीजन बाई की लोक शैली और गायन को देखते हुए 1988 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री और 2003 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से अलंकृत की गईं।
- 1995 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और 2007 में नृत्य शिरोमणि से भी सम्मानित किया जा चुका है। बिलासपुर विश्वविद्यालय द्वारा डी लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया है।
- एक दिन ऐसा भी आया जब प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर ने उन्हें सुना और तभी से तीजनबाई का जीवन बदल गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी समेत कई लोगों के सामने देश-विदेश में उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया।