Acn18.com/मध्यप्रदेश में इसी साल नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। कर्नाटक में बड़ी जीत के बाद कांग्रेस मध्यप्रदेश में बीजेपी से मुकाबला करने के लिए भ्रष्टाचार, महंगाई जैसे मुद्दों के साथ सॉफ्ट हिंदुत्व के रास्ते चल पड़ी है। हाल ही पार्टी ने पांच ऐसे बड़े कदम उठाए हैं, जो सीधे धर्म-कर्म से जुड़े हैं।
कांग्रेस की चुनावी रणनीति बनाने वाली टीम में शामिल एक पदाधिकारी के मुताबिक पार्टी ने अपनी छवि बनाने के लिए पिछले साल जुलाई-अगस्त में ही प्लेटफॉर्म तैयार कर लिया था। पहले मंदिर पुजारी प्रकोष्ठ का गठन किया। अब चुनाव के लगभग 6 महीने पहले इस प्रकोष्ठ ने सक्रियता दिखाना शुरू कर दिया है। पिछले महीने ही (13 मई) इंदौर में खजराना गणेश मंदिर से बिजासन माता मंदिर तक निकाली गई धर्म रक्षा यात्रा इसी चुनावी रणनीति का हिस्सा है।
ऐसे में सवाल उठता है कि एमपी में हिंदुत्व के मुद्दे पर कांग्रेस क्यों बीजेपी की राह पर है? आइए, आपको बताते हैं कि हिंदुत्व के मुद्दे पर कांग्रेस में चल क्या रहा है?
पहले जानते हैं धर्मपथ पर कांग्रेस के 5 बड़े कदम…
1. मठ मंदिरों की जमीन मुद्दे के जरिए पुजारियों पर नजर
मठ मंदिर की भूमि नीलाम न हो, पुजारी का वंश परंपरा से नामांतरण हो, कलेक्टर व्यवस्थापक न हो और पुजारी को सामान्य कृषक के अधिकार मिले। ये वो मांगें हैं, जिसे कांग्रेस जोरशोर से उठा रही है। इसके मार्फत कांग्रेस का मकसद चुनाव के दौरान पुजारियों को लामबंद करना है। नवंबर 2022 में कांग्रेस ने मंदिर पुजारी प्रकोष्ठ बनाया। शिवनारायण शर्मा को इसका अध्यक्ष बनाया। जानकारों का कहना है कि इस प्रकोष्ठ के जरिए पार्टी ब्राह्मण वोटों को साधना चाहती है। मंदिर की जमीन पर अपना मालिकाना हक जताने के लिए आंदोलन शुरू करना है। पूर्व सीएम कमलनाथ के इस संकल्प को पूरे मध्यप्रदेश में यात्रा के माध्यम से प्रचारित किया जाएगा।
2. घोषणा पत्र में राम वन गमन पथ
मध्यप्रदेश में कांग्रेस धर्म के मुद्दे पर अपनी पैठ बनाने की कोशिश पिछले चुनाव से ही कर रही है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने राम वन गमन पथ को अपने वचन पत्र में शामिल किया था। इसमें उन धार्मिक स्थानों को आध्यात्मिक रूप से विकसित करने की योजना है जिन पर वन गमन के समय भगवान राम के चरण पड़े थे। सरकार बनने पर 2019 में कमलनाथ सरकार ने ‘श्रीराम वन गमन पथ’ कॉरिडोर निर्माण का फैसला लिया था। इसके तहत श्राइन बोर्ड कॉम्प्लेक्स, धर्मशालाएं व यात्रियों के लिए पैदल ट्रैक शामिल था। कमलनाथ सरकार ने कार्ययोजना बनाकर 22 करोड़ रुपए का बजट भी अध्यात्म विभाग को दिया, लेकिन 15 महीने बाद ही सरकार चली गई।
3. 230 विधानसभा क्षेत्रों में निकलेगी धर्म रक्षा यात्राएं
कांग्रेस विधानसभा चुनावों तक मध्यप्रदेश के अलग-अलग शहरों में धर्म रक्षा यात्राएं निकालेंगी। इसकी शुरुआत इंदौर से हो चुकी है। मध्यप्रदेश कांग्रेस मंदिर पुजारी प्रकोष्ठ द्वारा धर्म रक्षा अभियान में किए जा रहे कार्यों के तहत धर्म रक्षा यात्राएं निकाली जा रही हैं।
4. कथाएं और धार्मिक यात्राएं
पिछले 6 महीने में प्रदेश के हर जिले में कांग्रेसी कथाएं सहित अन्य धार्मिक आयोजन करा रहे हैं। इंदौर में कांग्रेस विधायक अपने क्षेत्र के लोगों को हरिद्वार और अयोध्या की धार्मिक यात्रा करा रहे हैं। इसी तरह भोपाल में कांग्रेस नेता मनोज शुक्ला महिलाओं को अलग-अलग जत्थों में मथुरा-वृंदावन की यात्रा करा रहे हैं।
5. धर्म संवाद कार्यक्रम में धर्माचार्यों को एकत्र किया
दो महीने पहले भोपाल में प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) के दफ्तर में धर्म संवाद का कार्यक्रम का श्रीगणेश हुआ था। इसमें प्रदेशभर के मठ, मंदिरों के पुजारी और धर्माचार्य शामिल हुए थे। कार्यक्रम के लिए कांग्रेस कार्यालय को भगवा रंग के झंडों से सजाया गया। धर्म संवाद में धर्माचार्यों ने अपनी बातें रखी थीं। इस कार्यक्रम के तहत कांग्रेस धर्माचार्यों और भाजपा के पारंपरिक हिंदू वोट में सेंधमारी की कोशिश में है।
क्या पहले भी इस राह पर चलते रहे हैं कमलनाथ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन किया था। भूमिपूजन से पहले मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपनी ट्विटर प्रोफाइल पिक्चर बदल ली थी। इस तस्वीर में वे भगवा चोला पहने हुए नजर आ रहे थे। उन्होंने लिखा था- श्रीराम के हनुमान करो कल्याण। इसके अलावा उन्होंने भोपाल स्थित अपने आवास में हनुमान चालीसा का पाठ किया था।
कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में मंदिर बनाया
पिछले साल (अप्रैल 2022) प्रदेश कांग्रेस ने रामनवमी और हनुमान जयंती पर अपने कार्यकर्ता, पदाधिकारियों, विधायकों को रामलीला, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा का पाठ करने के निर्देश दिए थे, ताकि चुनाव से पहले कांग्रेस जनता के बीच अपनी पैठ को और मजबूत कर सकें। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में भव्य हनुमान मंदिर बनाया है।
आखिर किन वोटों की साधने की कोशिश?
धार्मिक आयोजनों और धर्म गुरुओं के चक्कर लगाकर के जरिए दोनों पार्टियां हिंदू वोटों को साधने की कोशिश में हैं। जानकार कहते हैं कि पुजारियों के लिए धर्म संवाद जैसे कार्यक्रम आयोजित कर कांग्रेस प्रदेश में ब्राह्मण वोट को अपनी ओर लाने की कोशिश कर रही है। 2018 विधानसभा चुनाव के आंकड़े के अनुसार प्रदेश में 40 लाख के करीब ब्राह्मण वोटर हैं। यह कुल वोट बैंक का 10 प्रतिशत के करीब है। जो विंध्य, महाकौशल, चंबल और मध्य क्षेत्र की 60 से अधिक सीटों पर सीधा प्रभाव डालते हैं। प्रदेश में आठ महीने बाद चुनाव हैं। ऐसे में यदि ब्राह्मण वोट कांग्रेस की ओर आता है तो पार्टी के लिए 2023 का रास्ता आसान हो जाएगा।
जानकार मानते हैं कांग्रेस को नहीं होगा फायदा
राजनीतिक विश्लेषक अरुण दीक्षित कहते हैं कि मध्यप्रदेश में धर्म रक्षा यात्रा निकालने का फैसला गले से ही नहीं उतर रहा है, क्योंकि कांग्रेस की इमेज सभी धर्मों को साथ लेकर चलने की रही है। कांग्रेस ने जिस तरह धर्म संवाद का कार्यक्रम अयोजित किया, उसी तरह मुस्लिम समुदाय से जुड़ा कोई आयोजन नहीं किया। दरअसल, इस पार्टी के नेताओं को लगता है कि मध्यप्रदेश में मुसलमानों के पास राजनीतिक तौर पर कांग्रेस का विकल्प नहीं है। यही वजह है कि वह बहुसंख्यकों के बीच अपना हिंदूवादी चेहरा दिखाना चाहती है, लेकिन इसका कोई फायदा कांग्रेस को चुनाव में नहीं होगा।
यहां चुनाव में धार्मिक मुद्दों का ज्यादा असर नहीं पड़ा
सियायत में धार्मिक मुद्दों पर नजर रखने वाले अनिल चावला कहते हैं कि चुनाव में कोई भी पार्टी धार्मिक मुद्दों को तब उठाती है, जब उसके पास जनता को बताने के लिए कोई खास उपलब्धि नहीं होती है। यदि मध्यप्रदेश का रिकाॅर्ड देखें तो यहां चुनाव में धार्मिक मुद्दों का ज्यादा असर नहीं पड़ा है। वे उदाहरण देते हैं कि 1992 में बाबरी मस्जिद कांड के बाद पटवा सरकार को बर्खास्त किया गया था। यदि धार्मिक मुद्दों का असर होता तो 1993 में फिर पटवा सरकार बनती, लेकिन प्रदेश की जनता ने सत्ता कांग्रेस को सौंपी।
इसी तरह, 2003 में बीजेपी ने मध्यप्रदेश में सड़क, बिजली और पानी के मुद्दे पर सरकार बनाई ना कि धर्म के नाम पर, जबकि बीजेपी ने फायर ब्रांड नेता उमा भारती की अगुवाई में चुनाव लड़ा था, जिनकी पृष्ठभूमि धार्मिक थी। दूसरी तरफ कांग्रेस ने हमेशा से चुनाव में बीच का रास्ता अपनाया है। यही वजह है कि उनके नेता मस्जिद भी जाएंगे और मंदिर भी। हालांकि हिंदुत्व के रास्ते पर चलने का कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होगा।
महाकाल की तर्ज पर आस्था के बड़े केंद्रों का कायाकल्प
शिवराज सरकार सभी बड़े मंदिरों का कायाकल्प करने जा रही है। इसके लिए सरकार 3000 करोड़ रुपए खर्च करेगी। महाकाल मंदिर के बाद अब धीरे-धीरे ओंकारेश्वर मंदिर (खंडवा जिला), सलकनपुर माता मंदिर (सीहोर जिला), पीताम्बरा मंदिर (दतिया जिला), शनिश्चरा मंदिर (चित्रकूट सतना जिला), मैहर माता मंदिर (सतना जिला) को भी सजाया और संवारा जाएगा।
सरकार ने सभी मंदिरों के कायाकल्प के लिए पर्यटन मंत्रालय को जिम्मा सौंपा है। ऐसे में ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर मंदिर का काम सबसे पहले किया जाएगा। उसके बाद दूसरे मंदिरों का विस्तारीकरण सरकार करेगी। ऐसा करने से ना केवल मंदिरों का स्वरूप बदलेगा, बल्कि श्रद्धालुओं को भी काफी सुविधाएं मिलेगी, साथ ही पर्यटन भी बढ़ेगा।