Acn18.com/25 मई के दिन बस्तर की झीरम घाटी में कांग्रेस नेताओं और सुरक्षाकर्मियों समेत 30 लोगों की हत्या की गई थी। इस कांड की जांच NIA ने की और अब इसे लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ा बयान दिया है। CM के मुताबिक केंद्र की इस जांच एजेंसी ने जांच में लापरवाही बरती और जब प्रदेश सरकार ने जांच की डायरी मांगी तो नहीं दी गई। भूपेश बघेल ने ये भी कहा कि इस कांड के बारे में कुछ तो ऐसा है जो भाजपा दबाना-छिपाना चाहती है।
ये बयान मुख्यमंत्री ने रायपुर एयरपोर्ट पर दिया। अपने तय कार्यक्रम में रवाना होने से पहले उन्होंने कहा- हमारे पास सबूत हैं, मगर किसको दें, उस NIA को दें। जिसने झीरम कांड के जीवित लोगों से पूछताछ तक नहीं की। उस NIA से बात करें, जिससे जांच वापस राज्य सरकार ने मांगी तो वो हाईकोर्ट चले गए, सुप्रीम कोर्ट चले गए। खुद जांच नहीं कर रहे और हमें जांच करने दे नहीं रहे। आखिर डर क्यों हैं भाजपा को।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने एसआईटी बनाई तो जांच होने देते, कोर्ट क्यों गए। रिपोर्ट जमा कहां की, राजभवन में, आज तक ऐसा नहीं हुआ। इसमें सब कुछ दिख रहा है, कुछ न कुछ भाजपा छिपाने का प्रयास कर रही है। यदि सही हैं और एनआईए जब जांच पूरी कर चुकी है तो उसे राज्य सरकार को सौंपें। हमने एचएम समेत सभी को पत्र लिखा। दो तीन सवाल हैं, जिनके जवाब मिलने चाहिए, क्यों रोड ओपनिंग पार्टी को हटाया गया। नक्सली पूछ-पूछकर मार रहे थे, दिनेश पटेल कौन है, नंदकुमार पटेल कौन है, आज तक ऐसा नहीं किया नक्सलियों ने और नेताओं को और सुरक्षा क्यों नहीं दी गई ?
जज के घर बम फेंका
CM बघेल ने आगे बताया कि एनआई की कोर्ट ने कहा था कि नक्सली जो सरेंडर कर चुके हैं, तेलंगाना में उनका बयान लिया जाए। एनआईए ने पूछताछ तक नहीं की और जज का ट्रांसफर करा दिया गया । उनके घर में सुतली बम फेंका गया, डराया गया। साफ है भाजपा इस मामले में कुछ दबाना छिपाना चाहती है। इतनी बड़ी घटना पर अब उटपटांग बयान देते हैं, निर्लज हैं, ये लोग शर्म भी नहीं आती , इतने नेताओं की सुरक्षाकर्मियों की जान गई, इनको राजनीति सूझ रही है, हमारे लिए ये भावनात्मक मामला है।
मूणत ने लगाया था किसी को बचाने का आरोप
एक दिन पहले ही इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने बयान दिया था। मूणत ने कहा था- झीरम मामले में मुख्यमंत्री बघेल के पास जो सबूत हैं, उसे वे सार्वजनिक क्यों नहीं करते? आखिर वे सबूत कब तक सामने रखे जाएंगे? क्या कांग्रेस की प्रदेश सरकार झीरम मामले के दोषियों को बचाने की कोशिश कर रही है?
मूणत ने आगे कहा था- जिस समय इस हमले की जांच की घोषणा की गई थी, उस समय केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी। उस समय सोनिया गांधी व राहुल गांधी ने रायपुर में एक बैठक में यह निर्णय करने के बाद इसकी जांच की घोषणा की थी। भाजपा लगातार जांच की मांग करती रही है। कांग्रेस के लोग सिर्फ सियासत करेंगे, आगामी विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे पर प्रदेश को गुमराह करने का प्रयास करेंगे। मुंहजुबानी जमा-खर्च करके जनता को गुमराह करने और अखबारों में सुर्खियां पाने के लिए आरोप-प्रत्यारोप करते रहते हैं।
25 मई को बड़ा कार्यक्रम भी
देश के सबसे बड़ी नक्सली घटनाओं में से एक दरभा झीरम घाटी नक्सली हमले के10वीं बरसी के मौके पर, सीएम बघेल 24 और 25 मई को बस्तर दौरे पर रहेंगे। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा, पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम समेत कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता बस्तर पहुचेंगे। 25 मई को झीरम घाटी हमले की 10वीं बरसी पर लालबाग़ में बने झीरम घाटी स्मारक में, हमले में मारे गए कांग्रेसियों और शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देंगे।
क्या था झीरम घाटी हमला?
दरअसल 25 मई 2013 को सुकमा जिले में परिवर्तन यात्रा सभा कर वापस बस्तर लौट रहे कांग्रेसियों के काफिले पर, दरभा झीरम घाटी में घात लगाए 200 से ज्यादा नक्सलियों ने हमला बोल दिया था। नक्सलियों ने काफिले पर ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। जिसमें कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल, बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, कांग्रेसी नेता उदय मुदलियार और जवानों के साथ ही आम आदमी सहित कुल 30 लोग मारे गए थे। इस घटना में कांग्रेस की एक पीढ़ी पूरी तरह से समाप्त हो गई थी, 25 मई को इस घटना की 10वीं बरसी के मौके पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने बस्तर में दिग्गज नेता जुटेंगे।