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दंड से न्याय की ओर जा रही नई कार्यप्रणाली.पांच अनुपयोगी कानून निरस्त, कई कानून बदले गए

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acn18.com कोरबा/ भारत सरकार ने 1 जुलाई से बड़ा परिवर्तन करने का निर्णय लिया है। इसके अंतर्गत भारतीय दंड विधान को भारतीय न्याय संहिता के नाम से जाना जाएगा। सरकार की ओर से अंग्रेजों के समय से बने हुए पांच कानून को अनुपयोगी बताते हुए निरस्त कर दिया गया है जबकि कई कानून को बदल दिया गया है। कलेक्टर कार्यालय के ऑडिटोरियम में नए कानून की समझ के प्रति जानकारी देने के उद्देश्य से कार्यशाला रखी गई जिसमें इन सभी विषय पर विस्तार से अवगत कराया गया।

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प्रदेश सरकार के श्रम और उद्योग मामलों के मंत्री लखन लाल देवांगन ने इस कार्यशाला का शुभारंभ किया कार्यशाला में गृह विभाग के अधिकारियों सहित थाना और चौकी प्रभारी समेत मीडिया के लोगों ने उपस्थिति दर्ज कराई।पावरप्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से भारतीय न्याय संहिता में किए गए बदलाव के बारे में जानकारी दी गई। मंत्री लखन लाल देवांगन ने बताया कि काफी समय से बने हुए गैर जरूरी कानून में सरकार ने बदलाव किया है। काफी सोच समझकर इस काम को किया गया है और यह कुल मिलाकर आज के दौर के लिए जरूरी है ।

विषय का प्रतिपादन करते हुए एक अधिकारी ने बताया कि जो चीज अब वर्तमान के हिसाब से आवश्यक नहीं है ऐसे पांच कानून को डिलीट कर दिया गया है जबकि कई अन्य कानून में परिवर्तन किया गया है।

कार्यशाला में विशेष जानकारी देने के लिए रायपुर से एक अधिकारी भी यहां आए थे जिन्होंने मीडिया से चर्चा की और बताया कि किस प्रकार से न्याय संहिता काम करेगी और भिन्न-भिन्न वर्ग को इसके माध्यम से सहूलियत होगी।

पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी ने बताया कि 164 वर्ष पहले इंडियन पेनल कोड जिस परिपेक्षय में बना था ।उसमें बहुत सी चीजों की प्रासंगिकता नहीं रह गई है। भारत सरकार ने समय के साथ इसमें परिवर्तन किया है। अब नए कानून को इस तरीके से क्रियान्वित किया जाएगा जो दंड से न्याय की ओर जाएगा और संबंधित पक्षों को इससे लाभ होगा। मीडिया की जिम्मेदारी बनती है कि वह नए कानून में बदलाव के बारे में जन-जन तक जानकारी देने के मामले में एक अच्छे मार्गदर्शक की भूमिका निभाएं

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के द्वारा लंबे समय से कई प्रकार के कानून में परिवर्तन और उन्हें समाप्त करने को लेकर अध्ययन किया गया। सरकार का फोकस इसी बात को लेकर है कि जो चीज आधुनिक भारत के मामले में जरूरी है उसके हिसाब से काम किया जाए। भारतीय दंड विधान को भारतीय न्याय संहिता के रूप में स्वीकृत करने के पीछे कुछ इसी तरह की कोशिश की गई है।

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