इस सप्ताह मंगलवार और बुधवार ये दो दिन धर्म-कर्म के नजरिए से बहुत खास हैं। मंगलवार (21 मार्च) को चैत्र मास की अमावस्या है। बुधवार (22 मार्च) से चैत्र नवरात्रि और नवसंवत्-2080 शुरू होगा। इन दो दिनों में किए गए धर्म-कर्म से अक्षय मिलता है। सकारात्मक सोच के साथ नववर्ष की शुरुआत करेंगे तो पूरे साल इसका लाभ मिल सकता है। जानिए अमावस्या और चैत्र नवरात्रि की शुरुआत पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…
- उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। ये परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। इस कारण अमावस्या पर गंगा, यमुना, शिप्रा, नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान के लिए हजारों भक्त पहुंचते हैं। स्नान के बाद नदी किनारे ही जरूरतमंद लोगों को दान-पुण्य करना चाहिए। दान में धन के साथ ही अनाज, कपड़े, जूते-चप्पल भी दे सकते हैं। नदी स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए।
- जो लोग नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं, वे घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान करते समय सभी तीर्थों और पवित्र नदियों का ध्यान करना चाहिए। इसके बाद घर के आसपास ही जरूरतमंद लोगों को दान दे सकते हैं।
- अमावस्या और चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पर जल और दूध से शिव जी का अभिषेक करना चाहिए। तांबे के लोटे में जल भरें और शिवलिंग पर चढ़ाएं। चांदी के लोटे में दूध भरकर अभिषेक करें। इसके बाद एक बार फिर जल से अभिषेक करें। मिठाई और फलों का भोग लगाएं। पूजा में ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें। शिव जी के साथ ही देवी पार्वती की भी पूजा करनी चाहिए।
- चैत्र नवरात्रि के पहले दिन देवी दुर्गा को लाल फूल, लाल चुनरी, सुहाग का सामान चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं। मौसमी फल अर्पित करें। देवी दुर्गा के मंत्र दुं दु्र्गायै नम: का जप करें। मंत्र जप कम से कम 108 बार करें।
- मंगलवार और अमावस्या के योग में हनुमान जी का चोला चढ़वाएं। सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। हनुमान चालीसा, सुंदरकांड या हनुमान जी के मंत्रों का जप करें। आप चाहें तो राम नाम का जप भी कर सकते हैं।
- किसी गोशाला में गायों की देखभाल के लिए दान करें। गायों को हरी घास खिलाएं। किसी तालाब या नदी में मछलियों का आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं।