Acn18.com/ओडिशा ट्रेन हादसे की खबर सबसे पहले NDRF के जवान ने अपने कंट्रोल रूम भेजी। ये जवान कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार था और छुट्टी पर अपने घर जा रहा था। उसने कंट्रोल रूम में घटनास्थल की लाइव लोकेशन भेजी। NDRF जवान की भेजी वॉट्सऐप लाइव लोकेशन की वजह से पहली रेस्क्यू टीम घटनास्थल पर पहुंची।
NDRF जवान वेंकटेश (39) कोरोमंडल एक्सप्रेस से छुट्टियों पर अपने घर जा रहे थे। रेस्क्यू टीम के पहुंचने तक वो मोबाइल टॉर्च की मदद से घायलों को बाहर निकालते रहे।
2 जून की शाम 7 बजे बालासोर के पास 3 ट्रेन टकरा गईं थीं। हादसे में 288 लोगों की मौत हो गई और 1100 से ज्यादा घायल हुए।
हादसे के बाद की 2 तस्वीरें…
हादसे की कहानी चश्मदीद NDRF जवान वेंकटेश की जुबानी…
वेंकटेश 2021 में ही सीमा सुरक्षा बल (BSF) से NDRF में शामिल हुए हैं। वेंकटेश कोलकाता में NDRF की दूसरी बटालियन में कॉन्स्टेबल हैं। वे शुक्रवार को बंगाल के हावड़ा से तमिलनाडु अपने घर जा रहे थे। हादसे के वक्त उनका कोच बी-7 पटरी से तो उतर गया था, लेकिन आगे के कोचों से नहीं टकराया। इस वजह से वो बच गए।
वेंकटेश ने बताया, “एक्सीडेंट होते ही मुझे जोर का झटका लगा और फिर मैंने अपने कोच में कुछ यात्रियों को गिरते हुए देखा। मैंने पहले यात्री को बाहर निकाला और उसे रेलवे ट्रैक के पास एक दुकान में बैठाया। फिर मैं दूसरों की मदद के लिए दौड़ा। मैंने हादसे की कुछ फोटो और लाइव लोकेशन कोलकाता ऑफिस में भेजी। इसके बाद उन्होंने ही ओडिशा में स्थानीय प्रशासन को हादसे की खबर दी।
वहां मेडिकल शॉप के ओनर समेत स्थानीय लोग ही असली रक्षक थे, क्योंकि उन्होंने पीड़ितों की हर संभव मदद की। हादसे के बाद वहां काफी अंधेरा था, घायल और फंसे हुए यात्रियों का पता लगाने के लिए अपने मोबाइल फोन की लाइट का इस्तेमाल करना पड़ा। बचाव दल के आने तक स्थानीय लोगों ने भी यात्रियों की मदद के लिए अपने मोबाइल फोन और टॉर्च का इस्तेमाल किया।
NDRF ने कहा- हमारा जवान हमेशा ड्यूटी पर रहता है
दिल्ली में NDRF के डीआईजी मोहसेन शहीदी ने कहा, “एनडीआरएफ का जवान हमेशा ड्यूटी पर होता है चाहे वह वर्दी पहने हो या नहीं। शुक्रवार की दुर्घटना के बाद एनडीआरएफ और ओडिशा की स्टेट रेस्क्यू टीम को घटनास्थल पर पहुंचने में लगभग एक घंटे का समय लगा। उस समय तक, एनडीआरएफ जवान घायलों की जान बचाने के लिए जो कुछ भी कर सकता था, उसने किया।”