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दक्षिण में ​​​​​​​नक्सली और उत्तर में खनिज माफिया:प्रदेश में साइबर फ्रॉड बढ़ा, लेकिन हत्या और डकैती जैसे गंभीर अपराध कम

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Acn18.com/छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले महा-सर्वे में प्रदेश के 8382 लोगों ने हिस्सा लेकर स्वास्थ्य और शिक्षा के अलावा बेहतर प्रशासन व कानून-व्यवस्था को चुनावी मुद्दा बताया है। हालांकि यह हर बार मुद्दा बनते हैं, इस बार भी स्थिति ऐसी ही है। गृह विभाग को हर साल बड़ा बजट जा रहा है, ताकि कानून-व्यवस्था को सुधारने के लिए फोर्स को आधुनिक संसाधन से लैस किया जाए।

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जवानों को बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और संसाधन उपलब्ध करवाए जाएं, उनके वेलफेयर के लिए काम किया जाए। इन सबका असर नजर आने लगा है। भले ही छत्तीसगढ़ में पिछले 22 साल में साइबर क्राइम, खासकर ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले बढ़े हैं, थोड़ी वृद्धि नाबालिगों की गुमशुदगी और उत्पीड़न जैसे अपराधों में भी है, लेकिन लेकिन हत्या, डकैती, जानलेवा हमले और लूटपाट जैसे जघन्य क्राइम यहां कम हुए हैं।

उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र की तुलना में यहां क्राइम रेट कम है, यानी अपराधों में कमी आई है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के 2021 के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में सभी प्रकार की घटनाओं व अपराधों पर खासा नियंत्रण हुआ है।

गंभीर श्रेणी के अपराधों में या तो कमी आई है, या फिर ट्रेंड वैसा ही रहा है जैसा पांच साल पहले था। इस रिपोर्ट के आधार पर अफसरों ने दावा किया कि हत्या के मामले में छत्तीसगढ़ 2015 के बाद से देश में 13वें से 15वें नंबर के बीच रहा। जहां तक पिछले तीन साल के आंकड़ों का सवाल है, छत्तीसगढ़ देश में 15वें स्थान पर बना हुआ है, यानी कोई इजाफा नहीं हुआ है।

जबकि हत्या के मामले में पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश देश में लगातार पहले स्थान पर बना हुआ है। सबसे ज्यादा हत्याएं वहीं हो रही हैं। उसके बाद बिहार, एमपी, कर्नाटक, असम, हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे आते है। छत्तीसगढ़ इनसे काफी पीछे है।

हत्या के प्रयास में बंगाल आगे
जानलेवा हमला या हत्या के प्रयास के मामले में छत्तीसगढ़ 2015 से अब तक 17वें स्थान पर है। राज्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्ती भी हुई है। ऐसे अपराधों में पश्चिम बंगाल सबसे आगे है। उसके बाद बिहार, एपमी, कर्नाटक हरियाणा, गुजरात समेत अन्य राज्यों का नंबर है। अपहरण के मामले में 2019 तक छत्तीसगढ़ देश में 11वें स्थान पर था। 2020 व 2021 में इसमें सुधार हुअा और अपहरणों में कमी अाई। जिससे यह देश में 11 से उतरकर 12वें नंबर पर आ गए।

ज्यादा असुरक्षित महिलाएं थीं
दुष्कर्म के मामले में पांच साल पहले तक राज्य की स्थिति ठीक नहीं थी। महिलाएं व युवतियां ज्यादा असुरक्षित थीं। 2015 से 2017 तक इस मामले में छत्तीसगढ़ 7वें स्थान पर था। 2018 में 5 वें स्थान पर आ गया। 2019 में कमी आने लगी और छत्तीसगढ़ 12 वें स्थान पर पहुंचा। अभी 11वें स्थान पर है। पिछले साल दुष्कर्म के 117 केस कम हुए हैं। दुष्कर्म के प्रयास के मामले में 2015 से 2018 तक राज्य 14वें स्थान पर था।
2019 से 2021 में 16वें स्थान है, यानी यह भी कम ही है।

नक्सलवाद: 22 सालमें 1369 शहीद
छत्तीसगढ़ के दक्षिणी हिस्से में नक्सलवाद बड़ी समस्या है। पिछले 22 साल में 1369 से ज्यादा जवान शहीद हो चुके हैं। कुछ दिन पहले दंतेवाड़ा में 10 जवानों की आईआईडी ब्लास्ट में जान गई। उत्तर छत्तीसगढ़ में समस्या खत्म हो गई है, पश्चिम में थोड़ा मूवमेंट सुनाई देने लगा है। इसी तरह, लूटपाट में भी आंशिक वृद्धि हुई है। 2015 में राज्य देश में 17वां था, अब 14वां हो गया है। डकैती में देश में 12वां स्थान है।
अफसरों के मुताबिक छोटे-छोटे केस भी दर्ज हो रहे हैं, इसलिए ये अपराध ज्यादा दिख रहे हैं।

प्रमुख शहरों में पिछले साल वारदातें

  • रायपुर में 145 हत्या, 197 लूट, 08 डकैती।
  • बिलासपुर में 112 हत्या, 125 लूट, 07 डकैती।
  • दुर्ग में 82 हत्या, 149 लूट और 03 डकैती।
  • रायगढ़ में 144 हत्या, 72 लूट, 04 डकैती।
  • कोरबा में 88 हत्या, 36 लूट और 14 डकैती।
  • जांजगीर-चांपा 67 हत्या, 05 डकैती।

तीन साल से 10वें नंबर पर
अपराधों के मामले में अन्य राज्यों की तुलना में छग का देश में स्थान(प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध दर के आधार पर) 2019, 2020 और 2021 में 10वां है। अपराध दर(प्रति लाख जनसंख्या पर) 2019 में 334.7, 2020 में 352.9 और 2021 में यह बढ़कर 373.7 है। 2022 और 2023 के अपराधों का डेटा अभी एनसीआरबी से प्रकाशित नहीं हुआ है।

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